अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों के इलाज में लगीं नर्सों को अस्पताल के भीतर अलग से कोई सुविधा नहीं मिलती. तारीख भी बाकी मरीजों की तरह बरसों बाद मिलती है. वो अगर बाहर इलाज कराते हैं तो कैशलेस की सुविधा नहीं मिलती. अपनी ऐसी ही कुछ मांगों को लेकर एम्स की नर्सों ने आज से भूख हड़ताल शुरू कर दी है. एम्स में सिर्फ आम मरीजों को ही नहीं, नर्सिंग स्टाफ को भी इलाज के लिए लंबी तारीख मिलती है. बाहर इलाज करवाएं तो उसका पैसा रियेंबर्स नहीं होता है क्योंकि कैशलेस की सुविधा इनके पास नहीं है.
नर्सिंग स्टाफ के प्रहलाद कुमार यादव कहते हैं कि हमारे मित्र की पत्नी का एम्पनों प्लास्टिक कान की छोटी सी सर्जरी होनी थी, पर तारीख 2026 की मिली. हमारा ईएचएस बेनीफीशियरी का 650 रुपये हर महीने काटता है. पर बाहर अगर इलाज करवा लिया तो पैसा रियेंबर्स नहीं होता. ऐसी परेशानी बताने वाले नर्सिंग स्टाफ के और भी लोग मिले. एम्स में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर मीनू शर्मा बताती हैं कि बेटी के इलाज के लिए वायरिंग के लिए यहां लेकर आई, डेट मिली दो साल बाद की. यहां इलाज करवाएं या बाहर करवाएं? दो साल में तो प्रॉब्लम कहां से कहां पहुंच जाएगी. इसलिए बाहर करवाया.
सत्याग्रह के तौर पर यह एम्स के नर्सिंग स्टाफ की दो दिन की रिले हंगर स्ट्राइक है. कामकाज पर असर न पड़े इसलिए जो शिफ्ट में नहीं हैं वे धरने पर हैं. एम्स नर्सिंग यूनियन के अध्यक्ष हरीश कुमार काजला मांग को लेकर कहते हैं कि हमारी मुख्य तीन मांगें हैं. पहला कैशलेस की सुविधा. दूसरा आवासीय सुविधा मिले और तीसरा छठे और सातवें वेतन आयोग की खामियों को दूर किया जाए.
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भूख हड़ताल से पहले इन सबने तीन दिनों तक काली पट्टी बांधकर काम किया. आंदोलनकारी 16 अक्टूबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के घर तक पैदल मार्च करेंगे. उन्होंने मांग न सुनने की हालत में कामकाज का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.
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