दिल्ली महिला आयोग और दिल्ली पुलिस ने बाल श्रम के लिए मजबूर एक 12 वर्षीय बच्ची को रेस्क्यू किया. रेस्क्यू की गई बच्ची उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली है जिसको दिल्ली के अशोक विहार इलाके से तीन फरवरी को आयोग और पुलिस द्वारा रेस्क्यू किया गया. लड़की की मां ने दिल्ली के एक घर में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने के लिए उसको केवल 10 साल की उम्र में छोड़ दिया था. पिछले दो सालों से वह बच्ची दिल्ली में काम कर रही थी और यही नहीं, आज तक बच्ची को उसके काम के लिए किसी भी प्रकार का कोई वेतन नहीं दिया गया.
आयोग को एक गुमनाम सूत्र से मामले की जानकारी मिली और आयोग ने तुरंत ही जांच शुरू कर दी. आयोग ने दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर तुरंत लड़की का पता लगाया और शिकायत को प्राप्त करने के कुछ घंटों के भीतर ही लड़की को दिल्ली के अशोक विहार से रेस्क्यू कर लिया. रेस्क्यू के तुरंत बाद ही दिल्ली पुलिस ने मामले में एफआईआर भी दर्ज कर ली.
12 वर्षीय लड़की ने बताया कि उससे दिन भर घर काम करवाया जाता था और उसे कभी भी घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता था. रेस्क्यू के तुरंत बाद ही बच्ची को एक आश्रय गृह भेज दिया गया जिसके बाद से ही आयोग की टीम पीड़िता के लगातार संपर्क में है. आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की है.
डीसीडब्ल्यू प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा, "यह देखना वाकई दुखद है कि छोटी लड़की बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रही थी. पुलिस के साथ हमारी टीम ने उसे बचाया तथा मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई. मैंने मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. बच्चों का बचपन छीनने का हक़ किसी को नही है.”
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