प्रतीकात्मक फोटो
चंडीगढ़:
चंडीगढ़ हरियाणा के अम्बाला में एक धर्मार्थ अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 15 मरीजों की एक आंख जाते जाते बची। अब ऑपरेशन करवाने वाली एनजीओ के खिलाफ बिना इजाज़त के कैंप लगाने के लिए कार्यवाई की बात कही जा रही है।
यह सिर्फ नाम का धर्मार्थ अस्पताल है। अम्बाला के महेशनगर के सर्व कल्याण सेवार्थ आई अस्पताल में 24 नवंबर को यहां 15 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ। 55 साल के लालचंद अपनी फैक्ट्री के मालिक से 10 हज़ार रुपये क़र्ज़ लेकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया। क्या पता था, लेने के देने पड़ जायेंगे। आंख की पट्टी खुली तो कुछ नज़र नहीं आया। अस्पताल वालों ने चोरी चुपके पीजीआई में भर्ती करवा दिया।
15 में से 14 मरीजों को हॉस्पिटल ने छुट्टी देने की बात कही...
50 साल के मरीज लाल चांद बताते हैं कि मैंने क़र्ज़ लेकर ऑपरेशन करवाया था। अब कैसे लौटूंगा, मैं अकेला कमाने वाला हूं। दो बच्चे हैं। घर का खर्च कैसे चलेगा, डॉक्टर कह रहे हैं कि 3 महीने लग सकते हैं।
लाल चंद की तरह 14 और भी हैं। कोई ऑटो रिक्शा चलता है तो कोई दिहाड़ी मजदूर है। इन बुजुर्ग महिलाओं के लिए अगले 3-4 महीने बेहद दिक्कत भरे हो सकते हैं।
पीजीआई में एडवांस ऑई सेंटर के प्रमुख डॉ. जगत राम ने बताया कि ऐसा ऑपरेशन के दौरान फ्लूड में गड़बड़ के चलते हुआ हो सकता है या फिर हो सकता है कि किसी अन्य वजह से ऐसा हुआ हो। 15 में से 14 मरीजों को हम छुट्टी दे रहे हैं। इनकी आंखों की रौशनी लौट आयेगी लेकिन इसमें 3 महीने भी लग सकते हैं।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले...
अभी मार्च में पानीपत में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। तब सरकार ने कैंप लगाकर मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर सख्ती से बैन लगाने की बात कही थी लेकिन एनजीओ ने कैंप लगाने के लिए इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं समझी।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। सीएमओ की रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्यवाई की जाएगी। बहरहाल, साख बचने के लिए हरियाणा सरकार ने सभी पीड़ितों के इलाज का खर्च उठाने का भरोसा दिया है। ज़रूरतमंदों को सहायता राशि भी दी जाएगी। इसी साल, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी गुरदासपुर और पठानकोट में मोतियाबिंद ऑपरेशन के कैंप में सस्ते इलाज के चक्कर में कई लोग अपनी आंख गंवा चुके हैं।
यह सिर्फ नाम का धर्मार्थ अस्पताल है। अम्बाला के महेशनगर के सर्व कल्याण सेवार्थ आई अस्पताल में 24 नवंबर को यहां 15 लोगों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ। 55 साल के लालचंद अपनी फैक्ट्री के मालिक से 10 हज़ार रुपये क़र्ज़ लेकर मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया। क्या पता था, लेने के देने पड़ जायेंगे। आंख की पट्टी खुली तो कुछ नज़र नहीं आया। अस्पताल वालों ने चोरी चुपके पीजीआई में भर्ती करवा दिया।
15 में से 14 मरीजों को हॉस्पिटल ने छुट्टी देने की बात कही...
50 साल के मरीज लाल चांद बताते हैं कि मैंने क़र्ज़ लेकर ऑपरेशन करवाया था। अब कैसे लौटूंगा, मैं अकेला कमाने वाला हूं। दो बच्चे हैं। घर का खर्च कैसे चलेगा, डॉक्टर कह रहे हैं कि 3 महीने लग सकते हैं।
लाल चंद की तरह 14 और भी हैं। कोई ऑटो रिक्शा चलता है तो कोई दिहाड़ी मजदूर है। इन बुजुर्ग महिलाओं के लिए अगले 3-4 महीने बेहद दिक्कत भरे हो सकते हैं।
पीजीआई में एडवांस ऑई सेंटर के प्रमुख डॉ. जगत राम ने बताया कि ऐसा ऑपरेशन के दौरान फ्लूड में गड़बड़ के चलते हुआ हो सकता है या फिर हो सकता है कि किसी अन्य वजह से ऐसा हुआ हो। 15 में से 14 मरीजों को हम छुट्टी दे रहे हैं। इनकी आंखों की रौशनी लौट आयेगी लेकिन इसमें 3 महीने भी लग सकते हैं।
पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले...
अभी मार्च में पानीपत में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। तब सरकार ने कैंप लगाकर मोतियाबिंद के ऑपरेशन पर सख्ती से बैन लगाने की बात कही थी लेकिन एनजीओ ने कैंप लगाने के लिए इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं समझी।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हम जांच कर रहे हैं। सीएमओ की रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्यवाई की जाएगी। बहरहाल, साख बचने के लिए हरियाणा सरकार ने सभी पीड़ितों के इलाज का खर्च उठाने का भरोसा दिया है। ज़रूरतमंदों को सहायता राशि भी दी जाएगी। इसी साल, पड़ोसी राज्य पंजाब में भी गुरदासपुर और पठानकोट में मोतियाबिंद ऑपरेशन के कैंप में सस्ते इलाज के चक्कर में कई लोग अपनी आंख गंवा चुके हैं।
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