दिल्ली नगर निगम में 10 लोगों को पार्षद मनोनीत करने और पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने पर उप राज्यपाल वीके सक्सेना के दफ्तर ने स्पष्टीकरण दिया है. एलजी के कार्यालय ने कहा है कि ''DMC एक्ट 1957 में लिखा है कि 25 वर्ष से ऊपर के वह 10 लोग जिनको म्युनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन में खास जानकारी या अनुभव है, इनको एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करेंगे. एक्ट में लिखा है कि एडमिनिस्ट्रेटर मतलब दिल्ली के उपराज्यपाल. यही तथ्यात्मक, कानूनी और संवैधानिक प्रावधान है.''
उप राज्यपाल वीके सक्सेना के दफ्तर ने कहा है कि, ''आम आदमी पार्टी झूठ बोल रही है और भ्रम फैला रही है.''
दिल्ली नगर निगम में पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने पर एलजी के आफिस ने कहा है कि, ''अरविंद केजरीवाल भ्रम फैला रहे हैं. उनको संविधान और DMC एक्ट की इज्जत करनी चाहिए. DMC एक्ट में लिखा है कि एडमिनिस्ट्रेटर यानी उप राज्यपाल मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करेंगे. पीठासीन अधिकारी चुनने के लिए सत्या शर्मा और अन्य पांच पार्षदों के नाम MCD और 'आप' सरकार ने भेजे थे.''
एलजी दफ्तर ने कहा है कि, ''मुकेश गोयल के नाम की सिफारिश मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने की थी... लेकिन उनके ऊपर हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में पार्टी टिकट के बदले एक करोड़ मांगने का आरोप था और इस मामले की जांच चल रही है, इसलिए उनको नियुक्त नहीं किया. प्रीति नाम की पार्षद के खिलाफ क्रिमिनल केस पेंडिंग था.''
उप राज्यपाल की ओर से कहा गया है कि, ''शकीला बेगम और हेम चंद्र गोयल पैमाने पर खरे इसलिए नहीं उतरे क्योंकि शकीला बेगम केवल पांचवी और हेमचंद गोयल केवल 10वीं पास हैं. नीमा भगत MA थी, जबकि सत्या शर्मा BA थीं. सत्या शर्मा मेयर रह चुकी हैं इसलिए उनके अनुभव को देखते हुए इस काम के लिए उनको चुना गया.''
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