दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पूर्ण राज्य की मांग की जोरदार पैरवी करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को आरोप लगाया कि केंद्र एक प्रणाली के जरिए चुनी गई सरकार की शक्तियों को धीरे-धीरे कमजोर कर रहा है, जो औपनिवेशिक 'भारत सरकार कानून 1935' द्वारा शासित होने की तरह है.
छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में केजरीवाल ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली के लोग 'कम देशभक्त' और 'अर्ध नागरिक' हैं. उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनका लोकतांत्रिक अधिकार क्यों 'छीना जा रहा है.' मुख्यमंत्री ने दावा किया कि दिल्ली के नागरिकों को ऐसा महसूस कराया जा रहा है कि उन अन्य राज्यों की तुलना में उनके मतों का अधिकार कम है, जहां पर मतदाताओं को 'शक्ति के साथ सरकारों का चुनाव करने का अधिकार है'.
केजरीवाल ने कहा, 'भारत सरकार कानून 1935 के तहत लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार था, लेकिन अंग्रेज सरकार चलाते थे. इस समय केंद्र ने दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था को लागू कर रखा है.' उन्होंने कहा, 'दिल्ली में लोग मुख्यमंत्री, विधायक और सरकार का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पूरे अधिकारों के साथ शासन करने का अधिकार नहीं है. क्या हम अर्ध नागरिक हैं? मुझे समझ नहीं आता कि दिल्लीवासी टैक्स का भुगतान करते हैं, इसके बावजूद उनसे लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं.'
'आप' संयोजक केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता अपनी सरकार चुनती आई है, जिसे पिछले 24 सालों में कुछ अधिकार दिए गए हैं. लेकिन पिछले डेढ़ सालों में एक के बाद एक अधिकार वापस लिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'बहुत कम शक्तियां' होने के बावजूद उनकी सरकार ने कई मोर्चे पर काम किया है, जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. 'आप' सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य का दर्जा पर विधेयक का एक मसौदा पेश किया था.
उन्होंने सवाल किया, 'लोगों में इसको लेकर काफी गुस्सा है कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे अन्य राज्यों की तुलना में क्यों दिल्ली की जनता के मतों का मूल्य कम है? अन्य राज्यों में एक मतदाता के मतों का मूल्य 100 है, लेकिन दिल्ली में यह 20 है. क्या दिल्ली के लोग कम देशभक्त हैं?
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में केजरीवाल ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली के लोग 'कम देशभक्त' और 'अर्ध नागरिक' हैं. उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि उनका लोकतांत्रिक अधिकार क्यों 'छीना जा रहा है.' मुख्यमंत्री ने दावा किया कि दिल्ली के नागरिकों को ऐसा महसूस कराया जा रहा है कि उन अन्य राज्यों की तुलना में उनके मतों का अधिकार कम है, जहां पर मतदाताओं को 'शक्ति के साथ सरकारों का चुनाव करने का अधिकार है'.
केजरीवाल ने कहा, 'भारत सरकार कानून 1935 के तहत लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार था, लेकिन अंग्रेज सरकार चलाते थे. इस समय केंद्र ने दिल्ली में अंग्रेजों के जमाने की व्यवस्था को लागू कर रखा है.' उन्होंने कहा, 'दिल्ली में लोग मुख्यमंत्री, विधायक और सरकार का चुनाव कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पूरे अधिकारों के साथ शासन करने का अधिकार नहीं है. क्या हम अर्ध नागरिक हैं? मुझे समझ नहीं आता कि दिल्लीवासी टैक्स का भुगतान करते हैं, इसके बावजूद उनसे लोकतांत्रिक अधिकार छीने जा रहे हैं.'
'आप' संयोजक केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता अपनी सरकार चुनती आई है, जिसे पिछले 24 सालों में कुछ अधिकार दिए गए हैं. लेकिन पिछले डेढ़ सालों में एक के बाद एक अधिकार वापस लिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'बहुत कम शक्तियां' होने के बावजूद उनकी सरकार ने कई मोर्चे पर काम किया है, जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. 'आप' सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य का दर्जा पर विधेयक का एक मसौदा पेश किया था.
उन्होंने सवाल किया, 'लोगों में इसको लेकर काफी गुस्सा है कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे अन्य राज्यों की तुलना में क्यों दिल्ली की जनता के मतों का मूल्य कम है? अन्य राज्यों में एक मतदाता के मतों का मूल्य 100 है, लेकिन दिल्ली में यह 20 है. क्या दिल्ली के लोग कम देशभक्त हैं?
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