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This Article is From Jun 26, 2017

तमिलनाडु में 140 साल का सबसे भयंकर सूखा, चेन्‍नई में पीने के पानी की आपूर्ति हुई आधी

शहर के चारों मुख्य जल भंडार - पूंदी, रेड हिल्स, चोलावरम तथा चेम्बरम्बक्कम - सूख गए हैं, इसलिए शहर में पेयजल की आपूर्ति रोज़ाना नहीं की जा रही है. कई इलाकों में पाइपों के ज़रिये पानी तीन दिन में एक बार दिया जा रहा है. अधिकारियों ने शहर में पानी के 300 टैंकरों की भी तैनाती की है.

तमिलनाडु में 140 साल का सबसे भयंकर सूखा, चेन्‍नई में पीने के पानी की आपूर्ति हुई आधी
चेन्नई शहर में अधिकारियों ने पानी के 300 टैंकरों की तैनाती की है...
  • चेन्नई के मुख्य जलभंडार पूंदी, रेड हिल्स, चोलावरम व चेम्बरम्बक्कम सूखे
  • कई इलाकों में पाइपों के ज़रिये पानी तीन दिन में एक बार दिया जा रहा है
  • अधिकारियों ने शहर में पानी के 300 टैंकरों की भी तैनाती की है
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चेन्नई: चेन्नई के सामने पेयजल का भयंकर संकट पैदा हो गया है, क्योंकि स्थानीय प्रशासन के मुताबिक शहर की चारों झीलें सूख गई हैं. तमिलनाडु के सामने पिछले 140 वर्ष में आए सबसे खतरनाक सूखे का संकट मुंहबाए खड़ा है. चेन्नई शहर को 83 करोड़ लिटर पानी की रोज़ाना ज़रूरत होती है, लेकिन जलापूर्ति अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से आपूर्ति आधी ही हो पा रही है.

शहर के चारों मुख्य जल भंडार - पूंदी, रेड हिल्स, चोलावरम तथा चेम्बरम्बक्कम - सूख गए हैं, इसलिए शहर में पेयजल की आपूर्ति रोज़ाना नहीं की जा रही है. कई इलाकों में पाइपों के ज़रिये पानी तीन दिन में एक बार दिया जा रहा है. अधिकारियों ने शहर में पानी के 300 टैंकरों की भी तैनाती की है.

लगभग 200 किलोमीटर दूर नैवेली में बनी वीरनम झील, जहां से एक बड़ी पाइपलाइन के ज़रिये चेन्नई को पानी मिलता है, भी सूख चुकी है, हालांकि अधिकारी इस कोशिश में लगे हैं कि अन्य संसाधनों से पानी जुटाकर इसी पाइपलाइन के ज़रिये चेन्नई तक नौ करोड़ लिटर पानी रोज़ पहुंचाया जा सके.

एक वरिष्ठ जलापूर्ति अधिकारी ने बताया, "शहर में मौजूद नमक निकालने के दो संयंत्रों के अलावा कांचीपुटम तथा तिरुवल्लूर स्थित पत्थर की खदानों से भी पानी आ रहा है..."

चेन्नई तथा आसपास के इलाकों में भूजल पांच झीलों - पुझल, शोलावरम, कालिवेली, पुलिकट तथा मदुरांथकम - की वजह से भर आया है. ये झीलें शहर के 60 किलोमीटर के दायरे में मौजूद हैं. वर्ष 2015 में बेमौसम बरसात की वजह से इन झीलों में ज़रूरत से ज़्यादा पानी आ गया था, जिसके चलते चेन्नई में भयंकर बाढ़ आ गई थी.

इनके अलावा चेन्नई और उससे सटे हुए जिलों में हज़ारों की तादाद में झीलें, तालाब आदि मौजूद हैं. हरित कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि इन जल संरचनाओं की देखभाल सही ढंग से की गई होती, तो चेन्नई को इस भयंकर जलसंकट का सामना करना ही नहीं पड़ता. उन्होंने इन जल संरचनाओं की देखभाल में हुई कोताही की वजह तेज़ी से हो रहे शहरीकरण को बताया.

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