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क्या गुरु गोविंद सिंह के जूतों की कहानी...कैसे ये हरदीप सिंह पुरी के परिवार के पास मौजूद थे?

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार ने 300 साल पुरानी धरोहर को सिख संगत को सौंप दिया. सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज और उनकी पत्नी साहिब कौर जी के पवित्र जूते (जोड़ साहिब) अब पटना साहिब के तख्त श्री हरिमंदिर जी में विराजमान हैं.

क्या गुरु गोविंद सिंह के जूतों की कहानी...कैसे ये हरदीप सिंह पुरी के परिवार के पास मौजूद थे?
  • केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के परिवार ने जोड़े साहिब की 300 वर्ष पुरानी धरोहर सिख समुदाय को समर्पित की
  • पुरी ने बताया कि उनके पूर्वज गुरु महाराज की सेवा में थे और सेवा के फलस्वरूप पवित्र चरण सुहावा प्राप्त हुआ था
  • 22 अक्टूबर को दिल्ली में पवित्र पादुकाएं दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और पटना साहिब कमेटी को सौंपी
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हर किसी के लिए वो एक ऐतिहासिक क्षण था, जब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार ने गुरु गोबिंद सिंह जी और माता साहिब कौर जी के पवित्र ‘जोड़े साहिब' 300 साल पुरानी धरोहर को सिख समुदाय को समर्पित की. लेकिन सवाल उठता है कि ये पवित्र पादुकाएं पुरी परिवार के पास कैसे थीं? इसका जवाब खुद हरदीप सिंह पुरी ने अपने एक्स हैंडल पर एक भावुक पोस्ट में दिया. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज गुरु महाराज की सेवा में थे और सेवा के फलस्वरूप उन्हें ये ‘चरण सुहावा' के रूप में प्राप्त हुए थे. इस विरासत को सहेजने के बाद, अब इसे पटना साहिब के तख्त श्री हरिमंदिर जी में स्थापित कर दिया गया है. यहां जानिए पूरी कहानी कि कैसे पवित्र जोड़े साहिब पुरी के परिवार के पास पहुंची.

हरदीप सिंह पुरी के पास कैसे मौजूद थीं पवित्र पादुकाएं

हरदीप पुरी ने अपने एक्स हैंडल पर एक भावुक पोस्ट के माध्यम से बताया कि उनके पूर्वज गुरु महाराज की सेवा में थे. 300 साल पहले उन्हें ये पवित्र जूते 'चरण सुहावा' के रूप में मिले थे. तभी से उनके परिवार ने इन्हें संभालकर रखा था. 22 अक्टूबर को दिल्ली में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और पटना साहिब कमेटी को ये अवशेष सौंपे गए. इसके बाद शुरू हुई 9 दिन की भव्य गुरु चरण यात्रा. दिल्ली से पटना तक हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. इस दौरान यात्रा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से गुजरी. जिसका समापन पटना साहिब पहुंचकर हुआ.

सेवा के बदले मिला था पुरी के पूर्वज को फल

पुरी के एक पूर्वज, जिन्होंने गुरु गोविंद सिंह की सेवा की थी. नतीजतन उनकी सराहनीय ‘सेवा' के बदले में ये पादुकाएं दी गई थीं. एक किंवदंती के अनुसार, जब गुरु ने उन्हें कोई इनाम मांगने के लिए कहा, तो उन्होंने यह अनुरोध किया और अनुमति प्राप्त की कि वह पवित्र ‘जोड़े साहिब' को अपने पास रख सकें, ताकि गुरु और माता के आशीर्वाद को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकें. ‘जोड़े साहिब' के अंतिम संरक्षक मंत्री के दिवंगत चचेरे भाई जसमीत सिंह पुरी थे, जो दिल्ली में करोल बाग में एक सड़क किनारे स्थित मकान में रहते थे. इस सड़क को बाद में बहुमूल्य पवित्र अवशेषों की पवित्रता के सम्मान में गुरु गोबिंद सिंह मार्ग नाम दिया गया.

पवित्र ‘जोड़े साहिब' को ‘गुरु चरण यात्रा' के साथ ले जाया गया

ये पवित्र अवशेष 300 से अधिक वर्षों से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के परिवार के पास हैं. इससे पहले गुरुद्वारा मोती बाग में एक विशेष ‘कीर्तन समागम' आयोजित किया गया, जहां श्रद्धालुओं ने पवित्र अवशेषों के ‘दर्शन' किए थे. पवित्र ‘जोड़े साहिब' को ‘गुरु चरण यात्रा' के साथ ले जाया गया और तख्त श्री पटना साहिब में ‘दशम पिता' के जन्मस्थान पर स्थायी रूप से स्थापित किया गया, जहां श्रद्धालु अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे और ‘दर्शन' कर सकेंगे. गुरु चरण यात्रा 23 अक्टूबर को गुरुद्वारा मोती बाग से शुरू हुई थी.

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