
अमेरिका और रूस के बीच जारी बातचीत के बीच एक ऐसा फैसला सामने आया है, जिसने भारत को सीधे तौर पर प्रभावित किया है. अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन पर ऐसी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है. अमेरिका की तरफ से यह टैरिफ ऐसे वक्त में लगाया गया है जब उसके विशेष व्यापारिक दूत स्टीव विटकॉफ और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात को ‘सकारात्मक' बताया गया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही हैचीन को आखिर अभी क्यों छोड़ा गया?
चीन पर फिलहाल कोई नया टैरिफ नहीं, अमेरिका ने दिखाई सतर्कता
व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने बताया कि अमेरिका फिलहाल चीन पर रूसी तेल की खरीद को लेकर किसी तरह का नया टैरिफ लगाने की जल्दी में नहीं है. उन्होंने एक इंटरव्यू में साफ किया कि अमेरिका नहीं चाहता कि उसकी नीतियों से खुद को ही नुकसान हो जाए.
नवारो के मुताबिक, चीन पहले से ही कई प्रोडक्ट्स पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ का सामना कर रहा है. ऐसे में अमेरिका फिलहाल हालात पर नजर बनाए हुए है और किसी भी जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं करना चाहता.
भारत पर क्यों लगाया गया टैरिफ?
स्टीव विटकॉफ और पुतिन की मुलाकात के तुरंत बाद अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. ट्रंप ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि भारत पर यह फैसला रूस के साथ उसके ऊर्जा व्यापार और विटकॉफ-पुतिन मुलाकात के आधार पर लिया जाएगा.
अब जब यह मुलाकात हो चुकी है और अमेरिका ने इसे पॉजिटिव बताया है, तो भारत पर तुरंत असर दिखा. भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका पहले ही चिंता जाहिर कर चुका था.
चीन पर टैरिफ टला, क्या है वजह?
चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है, और इस पर अमेरिका पहले भी सख्त बयान दे चुका है. लेकिन इस बार, अमेरिका ने चीन के खिलाफ 25% टैरिफ लगाने से खुद को रोके रखा है. वजह साफ है अमेरिका फिलहाल किसी बड़े ट्रेड वॉर से बचना चाहता है.
व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि चीन और रूस के बीच ऊर्जा समझौते पर अमेरिका बारीकी से नजर रखे हुए है. लेकिन तत्काल कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जा रहा है. अमेरिका को डर है कि ऐसे फैसलों से उसकी अपनी इकॉनमी पर भी बुरा असर पड़ सकता है.
क्या पुतिन से फिर मिल सकते हैं ट्रंप? चर्चा तेज
खबरों की मानें तो ट्रंप जल्द ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फिर मिल सकते हैं. कहा जा रहा है कि यह मुलाकात यूक्रेन में चल रहे युद्ध को रोकने के लिए हो सकती है. अगर ऐसा होता है, तो आने वाले दिनों में और भी बड़े फैसले देखने को मिल सकते हैं जिनमें चीन का नाम शामिल हो सकता है.
भारत पर दिखा अमेरिका का दबाव, चीन को अभी मिली राहत
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अमेरिका फिलहाल चीन के मुकाबले भारत पर सख्त रुख अपना रहा है. रूस के साथ किसी भी देश के एनर्जी रिलेशन को लेकर अमेरिका लगातार एक्टिव है. लेकिन टैरिफ जैसे बड़े कदमों पर खासकर जब बात चीन की हो तो फिलहाल अमेरिका ‘वेट एंड वॉच' की पॉलिसी पर चल रहा है .
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