वैश्विक बाजारों में अमेरिकी करेंसी की मजबूती और विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी के कारण निवेशकों की धारणा प्रभावित होने से रुपया मंगलवार को शुरुआती कारोबार में चार पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 84.76 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि रुपये में गिरावट की मुख्य वजह डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स मुद्रा को लेकर दी गई चेतावनी, यूरोक्षेत्र में राजनीतिक अस्थिरता, कमजोर घरेलू समष्टि आर्थिक संकेतक और निरंतर विदेशी पूंजी की निकासी रही.
डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी से अमेरिकी डॉलर हुआ मजबूत
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि ब्रिक्स राष्ट्र अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए काम करते हैं तो उन देशों से आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा.इसके अलावा, निवेशक छह दिसंबर को आने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जिसमें संभवतः मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच संतुलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
रुपये में पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.75 प्रति डॉलर पर खुला. शुरुआती सौदों के बाद अपने सर्वकालिक निचले स्तर 84.76 प्रति डॉलर पर पहुंच गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट दर्शाता है. इसस पहले रुपया सोमवार को 12 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 84.72 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
रुपया सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एशियाई करेंसी: वित्त राज्य मंत्री
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को संसद में कहा था कि पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद रुपया सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एशियाई करेंसी में से एक बना हुआ है, जो भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद का संकेत है.
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) सोमवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 238.28 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
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