
भारत के सबसे अमीर लोगों में से 22% अब विदेश बसने की योजना बना रहे हैं. कोटक प्राइवेट बैंकिंग और ईवाई की रिपोर्ट के मुताबिक, हर पांच में से एक अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (Ultra HNI) या तो विदेश जाने की प्रक्रिया में है या जल्द ही वहां बसने की योजना बना रहा है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या 36-40 साल और 61 साल से ज्यादा उम्र के अमीरों की है. साथ ही, प्रोफेशनल कैटेगरी के लोग, बिजनेसमैन और पैतृक संपत्ति पाने वालों की तुलना में विदेश बसने को लेकर ज्यादा इच्छुक हैं.
किन देशों को चुन रहे हैं अमीर भारतीय?
सर्वे में शामिल 150 अमीर भारतीयों ने बताया कि वे अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और UAE जैसे देशों में बसना चाहते हैं. खासतौर पर UAE का गोल्डन वीजा प्रोग्राम इन्हें आकर्षित कर रहा है, जो अमीर लोगों को लंबी अवधि के लिए रहने की अनुमति देता है.
भारतीय रईसों के विदेश बसने की क्या है वजह?
अमीर भारतीय कई वजहों से विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, जिनमें बेहतर जीवन स्तर और मॉडर्न लाइफस्टाइल,अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं और हाई-क्वालिटी एजुकेशन, अनुकूल टैक्स नीति और बिजनेस फ्रेंडली एनवायरनमेंट प्रमुख वजहों में शामिल है.रिपोर्ट के मुताबिक, दो-तिहाई अल्ट्रा रिच भारतीय बिजनेस एक्सपैंशन और आसान निवेश के लिए विदेश जा रहे हैं. वे ग्लोबल नेटवर्किंग और निवेश के अवसर के चलते भी विदेश शिफ्ट हो रहे हैं.
भारत में अमीरों की बढ़ती संख्या
2023 में भारत में अल्ट्रा HNIs की संख्या 2.8 लाख थी, जो 2028 तक 4.3 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, इनकी कुल संपत्ति 232 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 359 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
पैसा भारत से बाहर जाने का खतरा?
कोटक महिंद्रा बैंक की चेयरपर्सन गौतमी गावनकर ने कहा कि विदेश बसने का मतलब यह नहीं है कि पैसा भारत से बाहर चला जाएगा. उन्होंने बताया किएक भारतीय नागरिक हर साल सिर्फ 2,50,000 अमेरिकी डॉलर विदेश भेज सकता है.जबकि, एक NRI को 10 लाख अमेरिकी डॉलर बाहर भेजने की अनुमति है.इससे यह साफ है कि अगर कोई भारत छोड़ भी दे, तो भी उसकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा देश में ही रहेगा.
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