
- भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में RBI गवर्नर जानकारी देंगे
- ब्लूमबर्ग के सर्वे में 11 अर्थशास्त्रियों ने रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने की संभावना जताई है
- गोल्डमैन सैक्स ने GST में कटौती से अक्टूबर से दिसंबर तिमाही में खपत में वृद्धि आने की संभावना जताई है
सोमवार से चल रही केंद्रीय बैंक RBI की मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग के बाद आज बुधवार को गवर्नर संजय मल्होत्रा लिए गए फैसलों की जानकारी देंगे. मौजूदा रेपो रेट 5.5% है. इसमें कोई बदलाव होगा या दरें पहले की तरह रहेंगी, ये कुछ घंटों में स्पष्ट हो जाएगा. निवेशक बुधवार को होने वाले आरबीआई के फैसले का इंतजार कर रहे हैं, ताकि यह साफ हो सके कि कर्ज की दरों में कटौती की गुंजाइश कब बनेगी. ब्लूमबर्ग के सर्वे में 37 अर्थशास्त्रियों में से 11 यथास्थिति की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि बाकी 26 अर्थशास्त्री 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की उम्मीद करते हैं. इस बारे में अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स के चीफ इंडिया इकॉनॉमिस्ट शांतनु सेनगुप्ता ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौजूदा मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में ब्याज दरों को फिलहाल यथावत रखेगा और नरम रुख अपनाएगा.
दिसंबर में कटौती की उम्मीद
हालांकि, दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, बशर्ते आर्थिक हालात इसकी अनुमति दें. सेनगुप्ता ने कहा कि मजबूत घरेलू विकास दर के बावजूद अनिश्चित व्यापार नीतियां और वैश्विक परिस्थितियां आरबीआई के रुख को प्रभावित करेंगी. उनके मुताबिक, दिसंबर में 25 बेसिस प्वॉइंट की दर कटौती संभव है, यदि ग्रोथ और महंगाई के आंकड़े अनुकूल रहे. विश्लेषकों का मानना है कि जीएसटी सुधारों की बदौलत भारत की जीडीपी FY2026 में 6.5% की दर से बढ़ सकती है, जो पहले 6% आंकी गई थी.
GST में कटौती से खपत में तेजी
उन्होंने बताया कि GST में कटौती से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही से बड़े पैमाने पर खपत में तेजी आएगी. वहीं, अमेरिकी टैरिफ और एच-1बी वीजा नियम जैसी चुनौतियां विदेशी निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि एच-1बी वीजा नियमों का असर निकट भविष्य में बहुत बड़ा नहीं होगा.
घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बात करते हुए सेनगुप्ता ने कहा कि इसका परिदृश्य सकारात्मक है और जीएसटी सुधार आगे विकास को गति देंगे. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार के पास जीएसटी कटौती के अलावा और ज्यादा कदम उठाने की सीमित गुंजाइश है, क्योंकि उसे 4.4% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को भी साधना है.
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