
क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही बर्गर की कीमत अलग-अलग फूड डिलीवरी ऐप पर इतना अलग क्यों होती है? हाल ही में ऑनलाइन फूड डिलिवरी सेक्टर में Swiggy, Zomato को कड़ी टक्कर देने के लिए Rapido ने एंट्री मार ली है. जिसके बाद हर कोई ये जानना चाह रहा है कि क्या सच में अब Rapido सबसे सस्ता फूड डिलीवरी ऑफर करेगा?
NDTV Profit की एक स्टडी में इससे जुड़ा हैरान करने वाला मामला सामने आया, जब अग्निदेव भट्टाचार्य ने अपने ऑफिस में एक McChicken मील बर्गर तीनों ऐप्स स्विगी, ज़ोमैटो और रैपिडो से ऑर्डर किया. इस दौरान प्राइस से जुड़े रिजल्ट चौंकाने वाले थे. जहां Swiggy और Zomato पर वही बर्गर मील 451 रुपये और 402 रुपये का पड़ा, वहीं Rapido पर उसकी कीमत महज 234 रुपये थी. यानी कीमत में लगभग 200 रुपये का फर्क!
प्राइस में इतना अंतर क्यों?
इस भारी अंतर की वजह सिर्फ बर्गर की बेस प्राइस नहीं, बल्कि उन छुपे हुए चार्जेस हैं जो अक्सर हमें दिखाई नहीं देते.स्विगी और जोमैटो पर 199 रुपये का बर्गर मील ऑर्डर करने पर डिश की कीमत 315 रुपये दिखाई गई. इसमें डिलीवरी, पैकेजिंग, प्लेटफॉर्म फीस और जीएसटी जुड़ते हैं. वहीं रैपिडो पर वही डिश 199 रुपये की ही थी, और न कोई पैकेजिंग फीस, न प्लेटफॉर्म चार्ज.
डिलीवरी चार्ज की बात करें तो स्विगी ने 78 रुपये, जोमैटो ने 35 रुपये, और रैपिडो ने सिर्फ 25 रुपये लिए. जीएसटी भी रैपिडो पर सबसे कम 10 रुपये था. कुल मिलाकर, रैपिडो का टोटल 234 रुपये बना, यानी बाकी दोनों की तुलना में आधी कीमत पर वही खाना मिल रहा है.

Photo Credit: NDTV Profit
अब फूड डिलिवरी की दुनिया में भी रैपिडो की एंट्री
रैपिडो अब सिर्फ बाइक टैक्सी सर्विस नहीं रहा. कंपनी ने "Ownly" नाम से बेंगलुरु में अपना नया फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो धीरे-धीरे देशभर में विस्तार करेगा.रैपिडो ने वो मॉडल अपनाया है जो उसने ओला और उबर के खिलाफ इस्तेमाल किया था...कम खर्च, ज्यादा पहुंच और सस्ती सर्विस. कंपनी ने अपने 40 लाख राइडर्स की मदद से बिना किसी बड़े खर्च के इस नई सर्विस की शुरुआत की है.
रैपिडो का गेमचेंजर मॉडल
रैपिडो फिलहाल रेस्टोरेंट से कोई कमीशन नहीं ले रहा है. सिर्फ एक तय डिलीवरी चार्ज यानी 25 रुपये लेता है अगर ऑर्डर 400 से कम है और 50 रुपये अगर ऑर्डर 400 से ज्यादा है.
रैपिडो कैसे कमाएगा पैसा?
हालांकि फिलहाल कंपनी इस सर्विस से कमाई नहीं कर रही, बल्कि एक मजबूत यूजर बेस बनाने पर फोकस कर रही है. कंपनी ने FY24 में ₹695 करोड़ का रेवेन्यू कमाया लेकिन ₹370 करोड़ का घाटा भी हुआ. फिर भी कंपनी के पास ₹240 करोड़ कैश था और FY25 तक इसका कैश बैलेंस ₹1,500 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
मतलब ये कि रैपिडो कुछ समय तक नुकसान झेलकर भी इस सेक्टर में पैर जमा सकता है ,ठीक वैसे ही जैसे पहले कैब सर्विस में किया था.
स्विगी-जोमैटो की उड़ी नींद
आज भारत का फूड डिलीवरी मार्केट करीब 8 अरब डॉलर का है. जोमैटो और स्विगी मिलकर इसका 95% हिस्सा संभालते हैं. लेकिन दोनों पर रेस्टोरेंट मालिकों की नाराजगी बढ़ रही है . इसकी कई वजह है जैसे कमीशन ज्यादा, एक्स्ट्रा चार्ज और कस्टमर को महंगा खाना देना आदि. रैपिडो इसी मौके को भुनाने की कोशिश में है और वह सस्ता खाना, कम प्राइसिंग और बिना किसी कमिशन के ग्राहकों को फूड ऑफर कर रहा है.
हालांकि सरकार समर्थित ONDC, जोमैटो-समर्थित Magicpin, Zepto Cafe, Blinkit Bistro और Swish जैसे विकल्प भी मार्केट में हैं, लेकिन अब तक कोई भी बड़ा प्रभाव नहीं डाल पाया है. ऐसे में रैपिडो की स्केल और स्ट्रैटेजी स्विगी-जोमैटो के लिए एक बड़ा चैलेंज बन सकती है.
क्या सच में रैपिडो बदल देगा फूड डिलीवरी का खेल?
कम कीमत, नो-कमीशन, सही प्राइसिंग और जबरदस्त नेटवर्क रैपिडो ने इन सब केसाथ फूड डिलीवरी सेक्टर में एक दमदार एंट्री ली है. अगर ये मॉडल सफल होता है, तो आने वाले समय में हम फूड डिलीवरी की दुनिया में रैपिडो एक बड़ा नाम बन सकता है.क्योंकि जब एक ही बर्गर 234 रुपये में मिल जाए, तो कोई 450 रुपये क्यों देगा?
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