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सस्टेनेबल इन्फ़्रास्ट्रक्चर की राह मुश्किल, फिर भी आगे बढ़ता गया अदाणी समूह : इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स में प्रणव अदाणी

देश में बुनियादी ढांचे की तरक्की का जश्न मनाने के लिए आयोजित NDTV इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स 2024 के दौरान प्रणव अदाणी (एग्रो, ऑयल एंड गैस के प्रबंध निदेशक (MD) तथा अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के निदेशक (Director) ने अपने कीनोट एड्रेस में कहा कि हम भारत के विकास में बुनियादी ढांचे की बदल डालने की ताकत का जश्न मना रहे हैं.

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देश में बुनियादी ढांचे की तरक्की का जश्न मनाने के लिए आयोजित NDTV इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स 2024 के दौरान अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के निदेशक प्रणव अदाणी ने कीनोट एड्रेस दिया...

नई दिल्ली:

अदाणी समूह की फ़्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के निदेशक प्रणव अदाणी ने कहा है कि बुनियादी ढांचे का विकास बेहद महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट होता है और इसमें उतरने वाले को हर प्रकार की चुनौतियों के लिए तैयार रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े इन्फ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में जटिलताएं और दिक्कतें मिलती ही हैं, और शायद इसीलिए बहुत कम उद्यमी इन चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत जुटा पाते हैं.

देश में बुनियादी ढांचे की तरक्की का जश्न मनाने के लिए आयोजित NDTV इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स 2024 के दौरान प्रणव अदाणी (एग्रो, ऑयल एंड गैस के प्रबंध निदेशक (MD) तथा अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के निदेशक (Director) ने अपने कीनोट एड्रेस में कहा कि हम भारत के विकास में बुनियादी ढांचे की बदल डालने की ताकत का जश्न मना रहे हैं. सभी विजेताओं को पुरस्कार जीतने के लिए बधाई देते हुए प्रणव ने कहा, "आपकी यहां उपस्थिति आपके महान काम और देश के विकास में कई पीढ़ियों तक याद रखे जाने वाले आपके योगदान की पहचान है..."

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उन्होंने कहा, "प्राचीन हो या आधुनिक, मानव इतिहास हमें साफ़-साफ़ बताता है कि बुनियादी ढांचा ही सभी तरह के विकास की नींव है... यही वह नींव है, जिस पर कोई भी विकसित या विकासशील समाज तैयार होता है, और वह बुनियाद है, जो आर्थिक तरक्की की राह बनाती है, जीवनस्तर को सुधारती है, और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को सुनिश्चित करती है..."

"किसी भी देश के लिए बुनियादी ढांचा ही तरक्की का वास्तविक इंजन..."

प्रणव अदाणी ने कहा, "जैसा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं, किसी भी विकासशील देश के लिए तेज़ी से बढ़ता बुनियादी ढांचा ही तरक्की का वास्तविक इंजन है... भारत की तरक्की सीधे तौर पर इस बात से जुड़ी है कि भारत में बुनियादी ढांचे की तरक्की कितनी मज़बूती और तेज़ी से हो रही है... यहां समझने वाली बात है कि किसी भी देश में बुनियादी ढांचे का विकास इस बात से जुड़ा होता है कि सरकार इस अहम क्षेत्र के प्रति कैसा दृष्टिकोण रखती है... भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार का ध्यान बहुत स्पष्ट है और यह इस वित्तवर्ष में इन्फ़्रा फ़ंडिंग को 16 फ़ीसदी बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये से अधिक करने के निर्णय से स्पष्ट है..."

"बुनियादी ढांचे का सफ़र चुनौतियों से भरा है..."

उन्होंने आगे कहा, "यह तथ्य भी अहम है कि पिछले 5 साल में राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पर वार्षिक खर्च तीन गुना हो गया है... हालांकि बुनियादी ढांचा निर्माण आसान काम नहीं है और अदाणी समूह के सदस्य के रूप में, जिसके मूल में ही बुनियादी ढांचा निर्माण बसा हुआ है, मैं आपको बताना चाहता हूं कि टिकाऊ बुनियादी ढांचा निर्माण बेहद मुश्किल है... बुनियादी स्तर पर भी, चाहे भारत में हो या विदेश में, बुनियादी ढांचे की यात्रा चुनौतियों से भरी है..."

अपनी बात को विस्तार देते हुए प्रणव अदाणी ने दो उदाहरण भी दिए. उन्होंने कहा, "मैं अपनी बात को दो उदाहरणों से स्पष्ट करना चाहता हूं... एक, भारत में सबसे प्रसिद्ध उदाहरण USBRL, यानी जम्मू और कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना है, जिसे लगभग 30 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव द्वारा लॉन्च किया गया था... सालों बीत गए, लेकिन बहुत कम काम हुआ और यहां मैं वर्तमान केंद्र सरकार को पूरा श्रेय देना चाहता हूं, क्योंकि एक दशक से भी कम वक्त में अविश्वसनीय रूप से चुनौतीपूर्ण परियोजना का 60 फ़ीसदी से ज़्यादा काम हो चुका है और शेष हिस्से पर भी तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं... यह हर लिहाज़ से अद्भुत उपलब्धि है, क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर सबसे कठिन रेलवे परियोजनाओं में से एक है... बुनियादी ढांचे के निर्माण में चुनौतियों को उजागर करने वाला एक और उदाहरण है सैन फ्रांसिस्को और लॉस एंजिलिस के बीच हाई-स्पीड ट्रेन लाइन... यह पहली बार वर्ष 2008 में प्रस्तावित किया गया था... सोलह साल बाद, अमेरिकियों ने लगभग 10 अरब डॉलर, यानी 80,000 करोड़ रुपये या उससे अधिक खर्च किए, लेकिन एक भी पटरी नहीं बिछाई जा सकी..."

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"मुश्किल थी राह, फिर भी आगे बढ़ते गए हम..."

अदाणी एंटरप्राइज़ेज़ के निदेशक ने कहा, "बुनियादी ढांचे का विकास अपने स्वभाव से ही महत्वाकांक्षी होता है... बढ़ती लागत से हर प्रकार के हस्तक्षेप तक अप्रत्याशित असफलताओं के लिए तैयार रहना पड़ता ही है... मेगा इन्फ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में जटिलताएं और अप्रत्याशितता विरासत में मिलती है... शायद इसीलिए बहुत कम उद्यमी बुनियादी ढांचा विकास की चुनौतियों का सामना करने का साहस कर पाए... एक वक्त हमारे अध्यक्ष, गौतम अदाणी, को अचानक याद आया कि उन्होंने अपनी एक विदेश यात्रा के दौरान यह देखने के बाद कि भारत टिकाऊ उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे में शेष दुनिया से कितना पीछे है, बुनियादी ढांचे के विकास को ज़िम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया था..."

प्रणव अदाणी ने आगे कहा, "हालांकि वह जानते थे कि यह काम आसान नहीं होगा, फिर भी उन्होंने उसी रास्ते पर बने रहने का दृढ़ संकल्प किया... 1990 के दशक के अंत में, जब उन्होंने बंदरगाह, टर्मिनल और बिजली संयंत्र बनाने का फ़ैसला किया, उन्हें पहले से पता था कि आगे क्या होगा... फिर भी हम आगे बढ़े, क्योंकि हम जानते थे कि हमारा मुकाबला किससे है और हम तैयार थे... अदाणी समूह में हमने अपना सबक जल्दी सीख लिया... हमारी अपनी तीन दशक की बुनियादी ढांचागत यात्रा ने हमें बहुत कुछ सिखाया है..."

"ये हैं अदाणी समूह द्वारा सीखे गए तीन सबसे अहम सबक..."

उन्होंने अदाणी समूह द्वारा सीखे तीन सबसे अहम सबक का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैं तीन सबसे अहम सबकों का सारांश पेश करता हूं... सबसे पहले, राष्ट्रीय नीतियों और प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाना अहम है... इसका आदर्श उदाहरण PM गति शक्ति योजना होगी, जो राष्ट्रीय एकीकृत मास्टर प्लान है, जो भारत के समग्र बुनियादी ढांचे के विकास की नींव रखता है..."

प्रणव अदाणी ने आगे कहा, "यह मोटे तौर पर सात क्षेत्रों में भारत की ज़रूरतों को प्राथमिकता देता है, अर्थात सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे, बंदरगाह, जन परिवहन प्रणाली, जलमार्ग और लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचा... हमारे लिए आगे बढ़ने का समझभरा रास्ता इन राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जुड़ना है... यदि हम वह निर्माण करते हैं, जिसकी भारत को आवश्यकता है, तो हम जटिलताओं से बेहतर ढंग से निपट सकते हैं और परिणामस्वरूप तेज़ी से निर्माण कर सकते हैं, बड़ा निर्माण कर सकते हैं और अधिक कुशलता से निर्माण कर सकते हैं..."

उन्होंने कहा, "दूसरा, हमारे पास बड़ी और जटिल परियोजनाओं के प्रबंधन और कार्यान्वयन के लिए तकनीकी विशेषज्ञता और दक्षताओं के साथ मज़बूत प्रतिभा बेंच होनी चाहिए... तीसरा सबक यह है कि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए घरेलू और वैश्विक दोनों रुझानों का अनुमान लगाने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है... हमारे मामले में, गौतम अदाणी ने बहुत पहले ही देख लिया था कि दुनिया को ऊर्जा परिवर्तन के एक हिस्से के रूप में थर्मल पॉवर की आवश्यकता होगी और इसीलिए हमने नवीकरणीय ऊर्जा में उतरने का फैसला किया..."

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"हम बिजली के सबसे बड़े निजी ऑपरेटर, ट्रांसमिटर और वितरक हैं..."

प्रणव अदाणी ने आगे बताया, "थर्मल उत्पादन के साथ-साथ हम बिजली के सबसे बड़े निजी ऑपरेटर और ट्रांसमिटर और वितरक भी हैं... हम बिजली के ट्रांसमिशन वितरण के साथ-साथ हरित ऊर्जा उत्पादन में भी सबसे बड़े निजी उत्पादक हैं और हम नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया में नंबर एक बनने की दिशा में काम कर रहे हैं... हमारी नवीकरणीय ऊर्जा साइट पर हम जिन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहे हैं, उनमें से एक कौड़ा में भी है... कौड़ा नवीकरणीय ऊर्जा पार्क सौर से पवन तक 30 गीगावाट से अधिक स्वच्छ ऊर्जा उत्पन्न करेगा... यह यूनिट कई सौ वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है और यह दुनिया की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना है और हम राष्ट्रीय गौरव और टिकाऊ बुनियादी ढांचे के इस विशाल प्रतीक का निर्माण करने के इस अवसर से अभिभूत हैं..."

"दुनिया की सबसे बड़ी शहरी रीजेनरेशन परियोजना है धारावी..."

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बसे दुनिया की सबसे बड़े स्लम के पुनर्विकास की ज़िक्र करते हुए प्रणव अदाणी ने कहा, "एक और बड़ी चुनौती, जो हमने उठाई है, वह है धारावी का पुनर्विकास... यह दुनिया की सबसे बड़ी शहरी रीजेनरेशन परियोजना है... हमारे लिए धारावी परियोजना केवल सैकड़ों-हज़ारों नए घर बनाने के बारे में नहीं है... हमारे लिए यह परियोजना जीवन की गरिमा बहाल करने के बारे में है... यह लाखों आकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में है और जीवन की व्यापक रूप से बेहतर गुणवत्ता प्रदान करने के बारे में है... धारावी में हमारा दृष्टिकोण समावेशी विकास के प्रति समर्पण और हमारे विश्वास को दर्शाता है कि समाज को लाभ पहुंचाने के लिए बुनियादी ढांचे को वर्तमान से आगे और लंबे समय तक टिकाऊ होना चाहिए..."

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"सतत बुनियादी ढांचे के विकास के बहुमुखी पहलुओं को पहचानते हैं NDTV इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स..."

इसके बाद, प्रणव अदाणी ने NDTV के इन्फ़्राशक्ति अवॉर्ड्स को इस दिशा में सकारात्मक प्रगति करार देते हुए कहा, "ये पुरस्कार सतत बुनियादी ढांचे के विकास के बहुमुखी पहलुओं को पहचानते हैं... इन पथप्रदर्शकों का सम्मान कर हम न केवल उनके विविध योगदान को स्वीकार करते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों को लचीला और समृद्ध राष्ट्र बनाने में सक्षम परिवर्तनकर्ता बनने के लिए प्रेरित करते हैं... मैं इन्फ़्राशक्ति पुरस्कारों को संस्थागत बनाने और इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के आयोजन के लिए NDTV और इन्फ़्राविज़न फ़ाउंडेशन को बधाई देता हूं... मैं इसे एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में देखता हूं, जो भारत को आगे ले जाने में बुनियादी ढांचे के बेहद कम महत्व पर ध्यान आकर्षित करता है... आज आपके सामने बोलने का अवसर देने के लिए धन्यवाद... हम देश को और भी अधिक ऊंचाई हासिल करने में मदद करने के लिए अपना विनम्र योगदान जारी रखने के लिए तत्पर हैं... धन्यवाद... जय हिन्द..."

इन्फ़्राशक्ति पुरस्कारों का उद्देश्य समूचे भारत में उत्कृष्ट बुनियादी ढांचा प्रक्रियाओं के लिए खुशी मनाना है. यह आयोजन इन्फ़्राशक्ति अभियान का निर्णायक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्टील और कंक्रीट से आगे जाकर अपने लोगों के माध्यम से भारत के इन्फ़्रा विकास की कहानी बताना है. इन्फ़्राशक्ति पुरस्कारों का उद्देश्य असाधारण व्यक्तिगत और संस्थागत पहलों का जश्न मनाकर पूरे भारत में नवाचार और उत्कृष्टता को प्रेरित करना है. ये पुरस्कार इंजीनियरिंग उपलब्धियों से टिकाऊ शहरी नियोजन तक सभी का जश्न मनाते हैं.

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