भारतीय रिज़र्व बैंक, यानी RBI ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से प्रमुख ब्याज दरों, यानी रेपो रेट (Repo Rate) और रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) में लगातार आठवीं बार कोई बदलाव नहीं किया है. देश में रेपो रेट 6.5 फ़ीसदी पर ही बरकरार है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिन तक चली मौद्रिक नीति समीक्षा समिति (MPC) की बैठक के बाद शुक्रवार को घोषणा की कि आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाए रखने की खातिर समिति ने एक बार फिर रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को मौजूदा दरों पर ही बनाए रखने का फ़ैसला किया है.
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RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हालिया सालों में दुनिया ने एक के बाद एक कई संकट झेले हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था ने दिखाया है कि उसके बुनियादी सिद्धांत मज़बूत हैं... हमें इस अनिश्चित वैश्विक माहौल में सतर्क रहने की ज़रूरत है..." उन्होंने कहा कि MPC के छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने के पक्ष में वोट किया.
RBI की MPC की बैठक बुधवार, 5 जून, 2024 को शुरू हुई थी, जिसमें भारत की आर्थिक स्थिति, Inflation यानी मुद्रास्फीति, मॉनसून की स्थिति, ग्लोबल फ़ैक्टरों आदि के आधार पर नीतिगत दरों पर फ़ैसला लिया गया. RBI गवर्नर पहले भी कह चुके हैं कि RBI मुद्रास्फीति को कम करने की नीति जारी रखेगा, ताकि आर्थिक विकास में स्थिरता बनी रहे. उन्होंने कहा था कि खाद्य पदार्थों की महंगाई दर ज़्यादा हो जाने से मुद्रास्फीति पर दबाव बना हुआ है.
इससे पहले, RBI ने नीतिगत दरों में बदलाव फरवरी, 2023 में किया था, लेकिन उससे पहले मई, 2022 और फरवरी, 2023 के दौरान नौ महीनों में रेपो रेट में कुल 2.5 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी थी, हालांकि फरवरी, 2023 के बाद से अब तक रेपो रेट 6.5 फ़ीसदी पर स्थिर है.
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