
मई में भारत के फार्मा बाजार में 6.9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है. इस बढ़त की सबसे बड़ी वजह कार्डियक, रेस्पिरेटरी और एंटी-डायबिटीज से जुड़ी दवाओं की अच्छी बिक्री रही. ये जानकारी एक रिपोर्ट में मंगलवार, 17 जून को सामने आई.
भारतीय फार्मा कंपनियों की ग्रोथ रेट 6.6 प्रतिशत रही, जबकि मल्टीनेशनल यानी विदेशी कंपनियों की ग्रोथ 8.4 प्रतिशत दर्ज की गई. इसका मतलब है कि भारतीय कंपनियों की तुलना में विदेशी कंपनियों ने थोड़ी बेहतर परफॉर्मेंस दी है.
क्रॉनिक थेरेपी में 10% की तेजी, एक्यूट में ग्रोथ थोड़ी धीमी
मई महीने में क्रॉनिक थेरेपी सेगमेंट में 10 प्रतिशत की सालाना बढ़त दर्ज की गई, जो कि पूरे सेक्टर की सबसे ज्यादा तेजी थी. वहीं, एक्यूट थेरेपी में ग्रोथ सिर्फ 5 प्रतिशत रही, और ये लगातार दूसरा महीना है जब इसमें धीमी बढ़त देखी गई.
इंडस्ट्री की ग्रोथ में तीन हिस्सों का योगदान
रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 तक पिछले 12 महीनों में इंडियन फार्मा मार्केट (IPM) की कुल ग्रोथ में 4.2 प्रतिशत योगदान प्राइस यानी दवा की कीमत से आया, जबकि 2.3 प्रतिशत नए लॉन्च किए गए प्रोडक्ट्स से और 1.1 प्रतिशत ग्रोथ दवा की खपत यानी वॉल्यूम बढ़ने से हुई.
इंडियन कंपनियों की बाजार में मजबूत पकड़
आईपीएम यानी इंडियन फार्मा मार्केट में भारतीय फार्मा कंपनियों की हिस्सेदारी 83 प्रतिशत रही, जबकि बाकी 17 प्रतिशत मार्केट विदेशी यानी मल्टीनेशनल कंपनियों के पास था.
कुछ कंपनियों ने दिखाई जबरदस्त ग्रोथ
जेबी केमिकल्स, ग्लेनमार्क और अजंता फार्मा जैसी कंपनियों ने इंडस्ट्री की औसत से ज्यादा तेजी दिखाई.ग्लेनमार्क ने 11.8 प्रतिशत,जेबी केम ने 11.6 प्रतिशत,अजंता फार्मा ने 10.6 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर्ज की.
अजंता फार्मा को इसकी एंटी डायबिटिक और आई से जुड़ी दवाओं (ऑप्थल) में डबल डिजिट ग्रोथ मिली. वहीं, जेबी केमिकल्स ने कार्डियक, ऑप्थल और एंटी पैरासिटिक दवाओं में अच्छा प्रदर्शन किया.
इंडियन फार्मा सेक्टर का बेहतर प्रदर्शन
2025 में इंडस्ट्री की ग्रोथ 7.8% रहने का अनुमान
इंडिया रेटिंग्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि अप्रैल 2025 तक फार्मा इंडस्ट्री 7.8 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगी. इसका कारण है – दवाओं की मजबूत डिमांड और नए प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग.
ग्लोबल फार्मा मार्केट में भारत की पकड़ मजबूत
आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है वॉल्यूम यानी दवाओं की मात्रा के हिसाब से और कीमत के आधार पर 14वें नंबर पर है. ग्लोबली जो दवाएं बिकती हैं, उसमें हर पांच में से एक दवा भारत की होती है.
वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय फार्मा इंडस्ट्री का कुल कारोबार 4.17 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया. पिछले पांच सालों से यह सेक्टर हर साल 10 प्रतिशत से ज्यादा की रफ्तार से बढ़ रहा है.
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