भारत में ‘यूनिकॉर्न’ की संख्या घटकर 67 पर, दुनियाभर में यूनिकॉर्न का तीसरा बड़ा केंद्र होने का रुतबा बरकरार

Hurun Global Unicorn Index 2024: हुरुन की रिपोर्ट कहती है कि बायजू के मूल्यांकन में आई इस बड़ी गिरावट ने उसे दुनिया के किसी भी स्टार्टअप के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट वाली फर्म बना दिया है.

भारत में ‘यूनिकॉर्न’ की संख्या घटकर 67 पर, दुनियाभर में यूनिकॉर्न का तीसरा बड़ा केंद्र होने का रुतबा बरकरार

Indian Startup Ecosystem: स्विगी और फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम11 भारत की सबसे मूल्यवान यूनिकॉर्न हैं

नई दिल्ली:

देश में एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली ‘यूनिकॉर्न' कंपनियों की संख्या चार साल में पहली बार घटकर 67 रह गई है. मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया. ‘हुरुन ग्लोबल यूनिकॉर्न इंडेक्स 2024' के मुताबिक, भारत में यूनिकॉर्न का दर्जा रखने वाली स्टार्टअप कंपनियों की संख्या भले ही घटी है लेकिन देश ने दुनियाभर में यूनिकॉर्न का तीसरा बड़ा केंद्र होने का रुतबा बरकरार रखा है.

रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा-प्रौद्योगिकी फर्म बायजू अब यूनिकॉर्न के दर्जे से बाहर हो गई है. एक साल पहले बायजू का मूल्यांकन 22 अरब डॉलर से अधिक था लेकिन वर्तमान में इसका मूल्यांकन भारी गिरावट के साथ एक अरब डॉलर से भी कम हो चुका है.हुरुन रिपोर्ट कहती है कि बायजू के मूल्यांकन में आई इस बड़ी गिरावट ने उसे दुनिया के किसी भी स्टार्टअप के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट वाली फर्म बना दिया है.

बायजू पर टिप्पणी करते हुए हुरुन रिपोर्ट के चेयरमैन एवं मुख्य शोधकर्ता रूपर्ट हुगेवर्फ ने कहा कि कुछ स्टार्टअप वास्तव में नाकाम हो जाते हैं और इस दौरान वे बड़े पैमाने पर मीडिया का ध्यान भी आकर्षित करते हैं. हालांकि, ऐसी कंपनियां अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य आपूर्ति मंच स्विगी और फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम11 भारत की सबसे मूल्यवान यूनिकॉर्न हैं, जिनकी कीमत आठ-आठ अरब डॉलर है. इनके बाद रेजरपे का स्थान आता है, जिसका मूल्य 7.5 अरब डॉलर है.हालांकि, भारत की दो अग्रणी यूनिकॉर्न कंपनियां वैश्विक स्तर पर सूची में 83वें स्थान जबकि रेजरपे 94वें स्थान पर है.

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हुरुन इंडिया के मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा कि 1,453 यूनिकॉर्न की सूची में भारतीय कंपनियों की संख्या में कुल गिरावट शेयर इंडेक्स पर अच्छे लाभ के बावजूद स्टार्टअप क्षेत्र में निवेश की कमी को दर्शाता है.इसके अलावा देश के बाहर कंपनी शुरू करने की प्रवृत्ति ने भी भारत के लिए संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है. भारत के फर्म संस्थापकों ने देश के बाहर 109 यूनिकॉर्न शुरू किए, जबकि देश के भीतर उनकी संख्या 67 थी.