
भारत में जीएसटी सुधार (GST reforms India) का असर सिर्फ कारोबार पर ही नहीं बल्कि लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी और रोजगार पर भी पड़ने वाला है.एनडीटीवी जीएसटी कॉन्क्लेव (NDTV GST Conclave 2025) में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा किया कि आने वाले 10 से 15 सालों में जीएसटी राहत से 1.5 करोड़ तक नई नौकरियां बनने की संभावना है.
सरकार का मानना है कि टैक्स स्ट्रक्चर आसान होने से खासतौर पर हेल्थकेयर सेक्टर को बड़ा फायदा होगा और अस्पताल बनाने की रफ्तार तेज होगी.
इंश्योरेंस प्रीमियम पर GST हटाने से इलाज के खर्च में आएगी कमी
NDTV GST Conclave में देश के जाने-माने डॉक्टर डॉ नरेश त्रेहान ने भी जीएसटी सुधार की सराहना की. वित्त मंत्री से सवाल पूछने से पहले उन्होंने कहा कि इंश्यरोंस प्रीमियम पर जीएसटी हटाने से लोगों को सस्ती इंश्योरेंस पॉलिसी मिलेगी और ज्यादा लोग हेल्थ इंश्योरेंस ले पाएंगे. इसका सीधा फायदा जनता को होगा क्योंकि इलाज का खर्च कम होगा. इसके अलावा, जान बचाने वाली दवाओं और दूसरी दवाओं पर जीएसटी घटाकर 5% करने का फैसला अस्पतालों की लागत को काफी कम करेगा. डॉक्टर त्रेहान का कहना है कि इस राहत का फायदा सीधे मरीज और उनके परिवार को मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि भारत में अगले 10 से 15 सालों में करीब 18 लाख नई हॉस्पिटल बेड्स की जरूरत है. हर एक बेड के साथ 5 से 6 हेल्थकेयर वर्कर्स की नौकरी बनती है. ऐसे में अस्पताल निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से 1 से 1.5 करोड़ नई नौकरियां तैयार हो सकती हैं.
GST 3.0 में हेल्थकेयर सेक्टर टैक्स क्रेडिट का फायदा देने की मांग
डॉक्टर त्रेहान ने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य के जीएसटी सुधार 3.0 में अगर अस्पतालों को टैक्स क्रेडिट का फायदा भी दिया जाए तो इससे हेल्थकेयर सेक्टर की लागत और कम होगी और मरीजों को सस्ती सुविधाएं मिलेंगी.
जीएसटी सुधार का फायदा सीधे जनता तक पहुंचाने का मकसद
इसके बाद वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद यही है कि जीएसटी सुधार का फायदा सीधे जनता तक पहुंचे. मेडिकल उपकरण और डायग्नोस्टिक मशीनों पर जीएसटी में कटौती से भी अस्पताल बनाने और इलाज की लागत घटेगी.
भारत का हेल्थकेयर सेक्टर पहले से ही दुनिया के मुकाबले 1/10 से 1/5 लागत पर इलाज मुहैया करा रहा है. सरकार चाहती है कि आगे भी सुधारों के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोग सस्ती और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पा सकें.
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