
- योगी आदित्यनाथ 2007 में गोरखपुर से सांसद थे और लोकसभा में भावुक होकर रो पड़े थे.
- गोरखपुर में 27 जनवरी 2007 को मुहर्रम जुलूस के दौरान एक युवक की हत्या से सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे.
- घटना के बाद योगी आदित्यनाथ को दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर 11 दिन जेल में रखा गया था.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बायोपिक 'अजयः द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ अ योगी' सुर्खियों में है. फिल्म से जुड़े कई सीन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इनमें से एक सीन वो भी है, जब योगी आदित्यनाथ लोकसभा में सिसक-सिसककर रो पड़े थे. योगी आदित्यनाथ का लोकसभा में भावुक होने का वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध है. अब कुछ लोग ऑरिजनल और बायोपिक के योगी आदित्यनाथ की इस सीन को लेकर तुलना कर रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि बायोपिक से ज्यादा ऑरिजनल वीडियो ज्यादा भावुक कर रहा है.
योगी आदित्यनाथ वीडियो में कह रहे हैं, 'समाज की सेवा के लिए मैंने अपने घर को छोड़ा है, अपने मां-बाप को त्यागा है. और आज मुझे अपराधी बनाया जा रहा है.' योगी आदित्यनाथ 2007 में लोकसभा में उस समय भावुक होकर रो पड़े थे, जब वे गोरखपुर से सांसद थे. उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. योगी आदित्यनाथ ने सदन में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा था कि उन्हें राजनीतिक पूर्वाग्रह के चलते निशाना बनाया जा रहा है.
क्यों लोकसभा में रो पड़े थे योगी आदित्यनाथ?
मामला साल 2007 का है, जब गोरखपुर में हिंसा हुई थी. तब योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद थे, लेकिन यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. गोरखपुर में हुई हिंसा एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने तत्कालीन राजनीति में काफी उथल-पुथल मचाई थी. इस हिंसा के आरोप में योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर लिया गया था. योगी आदित्यनाथ को पूरे 11 दिन जेल रखा गया था. 11 दिन के बाद जब वह लोकसभा में पहुंचे और अपनी बात रखी थी, तो इस दौरान वह रो पड़े थे. उन्होंने कहा था वह एक संन्यासी हैं और लोगों की सेवा करने के लिए उन्होंने अपना घर तक छोड़ दिया है.
गोरखपुर में क्यों हुई थी हिंसा...?
गोरखपुर में 27 जनवरी 2007 को मुहर्रम के जुलूस के दौरान दीवान बाजार इलाके में एक युवक राजकुमार अग्रहरि की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि यह घटना एक मामूली विवाद के बाद हुई, जिसमें राजकुमार पर चाकू और धारदार हथियारों से हमला किया गया था. लेकिन मुहर्रम का दिन था, ऐसे में राजकुमार की हत्या के बाद शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया और दंगे भड़क गए. गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ उस समय कुशीनगर में थे. जब उनको इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने विरोध प्रदर्शन और धरना देने का ऐलान किया. योगी आदित्यनाथ अपने समर्थकों के साथ गोरखपुर लौट रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें शहर में प्रवेश करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया. उन पर दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया. योगी आदित्यनाथ को 11 दिन तक जेल में रहना पड़ा. जेल से रिहा होने के बाद, मार्च 2007 में उन्होंने लोकसभा में अपनी सुरक्षा और राजनीतिक उत्पीड़न का मुद्दा उठाया, जहां वे अपनी पीड़ा बताते हुए बेहद भावुक हो गए थे.
गोरखपुर हिंसा ने योगी आदित्यनाथ को उनके समर्थकों के बीच एक मजबूत हिंदूवादी नेता के रूप में स्थापित किया. इस मामले में उन पर और उनके कुछ साथियों पर कई मुकदमे भी दर्ज हुए, जिन पर बाद में कानूनी कार्यवाही चलती रही। इस हिंसा का मुख्य आरोपी मोहम्मद शमीम था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
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