
जीएसटी को लागू हुए 8 साल पूरे हो चुके हैं. हाल में सरकार ने जीएसटी रेट में रटौती का बड़ा फैसला किया है. NDTV Profit के GST कॉन्क्लेव में CBIC चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने साफ किया कि टैक्स कटौती का पूरा फायदा जनता तक पहुंचाने के लिए सरकार की ओर से प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू किया गया है.
इसका मतलब है कि रेट घटने से पहले और बाद का डेटा इकट्ठा किया जा रहा है ताकि पता चल सके कि इंडस्ट्री सच में ये लाभ ग्राहकों तक पहुंचा रही है या नहीं.
जीएसटी कलेक्शन में मजबूत ग्रोथ
CBIC चेयरमैन ने बताया कि बीते साल जीएसटी कलेक्शन लगभग 22 लाख करोड़ रुपये रहा, जो दिखाता है कि यह टैक्स सिस्टम अब स्थिर हो चुका है. सरकार का मानना है कि अब जीएसटी को और आसान और पारदर्शी बनाने का समय है. यही कारण है कि सरकार कई बदलावों पर काम कर रही है, जिसमें प्रोसेस को सरल करना और रेट्स को दो हिस्सों में बांटना शामिल हैएक स्टैंडर्ड रेट और एक मेरिट रेट.
इंडस्ट्री का वादा और सरकार का भरोसा
कई सेक्टर्स ने अखबारों में विज्ञापन देकर जनता से वादा किया है कि वे रेट कटौती का सीधा फायदा देंगे. सरकार को भरोसा है कि इस बार शिकायतें कम होंगी और उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा. इससे न सिर्फ घरेलू खपत बढ़ेगी बल्कि राजस्व (Revenue) ग्रोथ भी और मजबूत होगी.
क्यों जरूरी है प्राइस मॉनिटरिंग?
संजय कुमार अग्रवाल का कहना है कि टैक्स कटौती का फायदा अक्सर बीच में ही अटक जाता है और ग्राहक तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाता.सरकार अब टैक्स सिस्टम को और आसान बनाने पर जोर दे रही है.इसे रोकने के लिए फील्ड ऑफिसर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे रेट कट से पहले और बाद का डेटा इकट्ठा करें. इस डेटा एनालिसिस से यह साफ होगा कि कंपनियां टैक्स कटौती का फायदा अपने ग्राहकों को दे रही हैं या नहीं.
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