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केंद्र सरकार ने कपास पर आयात शुल्क छूट 31 दिसंबर तक बढ़ाई, कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत

Cotton Import Duty: वित्त मंत्रालय ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर शुल्क-मुक्त छूट दी थी. अब इस छूट को तीन महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया गया है.

केंद्र सरकार ने कपास पर आयात शुल्क छूट 31 दिसंबर तक बढ़ाई, कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत
Indian Textile Industry Growth: वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के कपड़ा और परिधान सेक्टर ने जुलाई 2025 में बेहतर प्रदर्शन किया.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने गुरुवार को ऐलान किया कि कपास पर आयात शुल्क की छूट को अब 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय टेक्सटाइल प्रोडक्ट पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है. सरकार का मानना है कि इस कदम से कपड़ा उद्योग को बड़ी राहत मिलेगी और निर्यातकों को मदद मिलेगी.

पहले सितंबर तक मिली थी छूट

इससे पहले 18 अगस्त को वित्त मंत्रालय ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर शुल्क-मुक्त छूट दी थी. अब इस छूट को तीन महीने और बढ़ाकर 31 दिसंबर तक कर दिया गया है.

कौन से टैक्स हटे?

कपास पर कुल 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगता था. इसमें 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD), 5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस (AIDC) और दोनों पर 10% सोशल वेलफेयर सरचार्ज शामिल था. सरकार ने अब इन सभी को हटा दिया है.

कपासकी कीमतों पर असर

इस कदम से कपड़ा बनाने की लागत कम होगी और घरेलू बाजार में कपास की उपलब्धता बढ़ेगी. इससे कपास की कीमतें स्थिर रहेंगी और तैयार कपड़ा व गारमेंट्स पर महंगाई का दबाव घटेगा. छोटे और मझोले उद्योगों (SMEs) को भी इसका फायदा मिलेगा.

निर्यात को बढ़ावा

सरकार का कहना है कि इस राहत से भारतीय कपड़ा उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनेंगे. यह फैसला सीधे तौर पर धागा, कपड़ा, परिधान और रेडीमेड गारमेंट्स की लागत को कम करेगा.

निर्यात में दिखा पॉजिटिव ट्रेंड

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के कपड़ा और परिधान सेक्टर ने जुलाई 2025 में बेहतर प्रदर्शन किया.जुलाई में कपड़ा निर्यात 3.1 अरब डॉलर तक पहुंचा, जो पिछले साल जुलाई के मुकाबले 5.3% ज्यादा है.

अप्रैल-जुलाई 2025 में कुल कपड़ा निर्यात 12.18 अरब डॉलर रहा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह   3.87% की बढ़त के साथ 11.73 अरब डॉलर था.

केंद्र का यह फैसला न सिर्फ घरेलू बाजार में कपास की उपलब्धता को बढ़ाएगा बल्कि छोटे उद्योगों को भी मजबूती देगा. इससे भारतीय कपड़ा उद्योग की प्रतिस्पर्धा वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी.

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