
Fashion industry GST: अगर आपको लगता है कि फैशन सिर्फ रैम्प और डिजाइनर्स तक सिमटा है, तो अब सोच बदलनी होगी. आने वाले दिनों में आपका वार्डरोब, आपकी जेब और यहां तक कि देश की पूरी टेक्सटाइल इंडस्ट्री...सब पर असर डालने वाला है एक बड़ा टैक्स सुधार. 22 सितंबर 2025 से लागू हो रहे GST 2.0 सिर्फ नंबरों की बात नहीं है, बल्कि ये बदलाव कपड़ों की कीमत, क्वालिटी और हमारी रोज़मर्रा की पसंद को नई दिशा देंगे.

GST 2.0 क्या बदला?
- Man-made fibres (पहले 18% - अब 5%) – सिंथेटिक टेक्सटाइल की कीमत घटेगी.
- Man-made yarns (पहले 12% - अब 5%) – छोटे-छोटे धागा निर्माता को राहत।
- Garments up to ₹2,500 (पहले 12% - अब 5%) – रोज़ाना पहनने वाले कपड़े और सस्ते.
- Garments above ₹2,500 (पहले 12% - अब 18%) – प्रीमियम फैशन होगा महंगा.
- Carpets & Handicrafts (पहले 12% अब 5%) – एक्सपोर्ट्स और आर्टिज़न को बढ़ावा.
आम लोगों पर असर (Impact on Consumers)
अब ₹2,500 तक के कपड़े खरीदना और आसान हो जाएगा. इसका मतलब है कि आप एक ड्रेस की जगह दो खरीद पाएंगे या थोड़े बेहतर फैब्रिक में अपग्रेड कर पाएंगे.
ब्रांड्स भी कोशिश करेंगे कि उनकी नई कलेक्शन इसी प्राइस ब्रैकेट में फिट हो, ताकि ग्राहक को मिले स्टाइल + बचत.

MSMEs और आर्टिज़न को फायदा
भारत के लाखों छोटे कपड़ा उद्योग और बुनकर अब राहत की सांस ले सकेंगे. कम टैक्स का मतलब है ज्यादा कैश फ्लो, ज्यादा प्रॉफिट और इंटरनेशनल मार्केट में ज्यादा कॉम्पिटिशन. कालीन, हैंडलूम और हस्तशिल्प अब पहले से सस्ते दामों पर दुनिया तक पहुंच सकेंगे.
Premium Fashion का टेस्ट
₹2,500 से ऊपर के कपड़ों पर GST 18% कर दिया गया है. इसका असर महंगे ब्रांड्स और लग्जरी फैशन पर पड़ेगा. अब प्रीमियम ब्रांड्स को अपनी क्वालिटी, डिजाइन और सस्टेनेबल फैब्रिक से ग्राहकों को कन्विंस करना होगा कि उनका प्रोडक्ट 'वर्थ द प्राइस' है.

India vs China: ग्लोबल कॉम्पिटिशन
अब जब सिंथेटिक और ब्लेंडेड फैब्रिक्स सस्ते होंगे, तो भारत चीन और साउथ-ईस्ट एशियाई देशों को चुनौती दे सकेगा. भारत का कारीगरी और आर्टिज़नल हेरिटेज इस कॉम्पिटिशन को और मजबूत करता है.
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