भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने मंगलवार को कहा कि प्रमुख नीतिगत रेपो दर (Repo Rate) को कम करने का निर्णय मुद्रास्फीति पर निर्भर करेगा और जुलाई में खाने-पीने के सामान तथा सब्जियों की महंगाई में गिरावट दरों में कटौती के लिए पर्याप्त नहीं है. आरबीआई प्रमुख ने NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, "नीतिगत दर में कोई भी कमी भविष्य के आंकड़ों पर भी निर्भर करेगी, जिसमें मुद्रास्फीति सबसे बड़ा प्रभाव डालने वाला कारक है."
उन्होंने कहा कि हम मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखना चाहते हैं. इसका मतलब है कि यह चार प्रतिशत के आसपास हो और हमें इस बात पर भरोसा होना चाहिए कि यह (मुद्रास्फीति) आगे भी चार प्रतिशत के आसपास बनी रहेगी. हमें धैर्य रखना होगा. हमें और रास्ता तय करना होगा.
हम अब भी दुनिया में सबसे तेज 7.2% की दर से बढ़ रहे: RBI गवर्नर
केंद्रीय बैंक के गवर्नर (RBI Governor) ने कहा कि नीतिगत दर में कमी न करने के कारण आर्थिक विकास पर कोई प्रतिकूल प्रभाव "न्यूनतम और नगण्य" है. उन्होंने कहा, "विकास के साथ समझौता न्यूनतम हो रहा है, लगभग नगण्य. हम अब भी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं, जो दुनिया में सबसे तेज है. विकास बरकरार है, स्थिर है, मजबूत है, लेकिन हमें मुद्रास्फीति को कम करने की जरूरत है."
Repo Rate में आगे कटौती की जाएगी या नहीं?
उन्होंने कहा कि यदि खाद्य महंगाई बहुत अधिक है, तो आम लोगों को दरों में कोई भी कटौती विश्वसनीय नहीं लगेगी.
मुद्रास्फीति के 4% से नीचे जाने की उम्मीद से इनकार
केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने इस बात से इनकार किया कि आरबीआई ने कभी कहा था कि उसे मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत से नीचे जाने की उम्मीद है. शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों पर फैसला लेने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का हवाला देते हुए कहा, "यदि आप एमपीसी की बैठकों के विवरण को ध्यान से देखें तो हमने कभी नहीं कहा कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से नीचे जाएगी."
RBI ने लगातार नौवीं बार रेपो रेट को 6.5% पर रखा बरकरार
आरबीआई ने 8 अगस्त को लगातार नौवीं द्विमासिक बैठक में प्रमुख नीतिगत रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था.आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4:2 के बहुमत से रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है, क्योंकि मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत से ऊपर पहुंच गई है और अब भी चार प्रतिशत के लक्षित स्तर से ऊपर है.
आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरों में बदलाव किया था, जब रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था. इससे मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच दरों में कुल 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की.
रेपो रेट क्या है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को उनकी लिक्विडिटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म लोन देता है. इसका उन लोन की लागत पर प्रभाव पड़ता है जो बैंक कॉरपोरेट्स और ग्राहकों को देते हैं. ब्याज दरों में कटौती से निवेश और उपभोग व्यय में वृद्धि होती है जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है. हालांकि, बढ़ा हुआ व्यय मुद्रास्फीति दर को भी बढ़ाता है क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग बढ़ जाती है.
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