
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को देश में परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के परमाणु मिशन, कानूनी ढांचे में संशोधन करके निजी कंपनियों को शामिल करने और स्वदेशी तरीके से पांच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास के साथ कई कदमों की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करते हुए सीतारमण ने यह घोषणा भी की कि बिजली सुधारों को आगे बढ़ाने वाले सभी राज्य अपने जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) के 0.5 प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त कर्ज के लिए पात्र होंगे.
परमाणु ऊर्जा मिशन पर जोर
उन्होंने कहा, ‘‘बिजली क्षेत्र में सुधार... हम बिजली वितरण सुधारों को प्रोत्साहित करेंगे और राज्यों द्वारा अंतर-राज्य पारेषण क्षमता बढ़ाएंगे. इससे बिजली कंपनियों की वित्तीय सेहत और क्षमता में सुधार होगा. इन सुधारों पर निर्भर राज्यों को जीएसडीपी का 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी जाएगी.'' उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा मिशन के तहत 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट का विकास हमारे ऊर्जा बदलाव प्रयासों के लिए आवश्यक है.
परमाणु ऊर्जा मिशन होगा स्थापित
उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के लिए निजी क्षेत्र के साथ सक्रिय भागीदारी के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिये नागरिक दायित्त्व अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. उन्होंने यह भी घोषणा की कि छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान और विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये की लागत से एक परमाणु ऊर्जा मिशन स्थापित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में विकसित कम से कम पांच मॉड्यूलर रिएक्टर 2033 तक काम करने लगेंगे. वर्तमान में, भारत में 462 गीगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है, जिसमें आठ गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है.
सीतारमण ने प्रौद्योगिकी अनुसंधान के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और आईआईएससी में अगले पांच साल में 10,000 फेलोशिप शुरू करने की भी घोषणा की.
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