Budget 2024 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 11 बजे मोदी 3.0 का पहला केंद्रीय बजट पेश करेंगी. वित्त मंत्री आज सुबह 8.40 के आसपास अपने घर से निकलकर वित्त मंत्रालय पहुंचेंगी. सुबह 9 बजे बजट बनाने वाली मंत्रालय की टीम के साथ वित्त मंत्री का फोटो सेशन होगा. इसके बाद निर्मला सीतारमण बजट पेश करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन जाएंगी. सुबह 10 बजे वित्त मंत्री और वित्त राज्यमंत्री बजट के साथ संसद में एंट्री लेंगे. यहां एक और फोटो सेशन होगा. इसके बाद सुबह 11 बजे वित्त मंत्री सीतारमण सदन में बजट पेश करेंगी. फिर उनका भाषण होगा.आप इसे एनडीटीवी इंडिया पर लाइव देख सकते हैं. साथ ही एनडीटीवी इंडिया यू ट्यूब और एनडीटीवी इंडिया बेवसाइट पर भी देख सकते हैं.
- सीतारमण अपने सातवे बजट में नई विनिर्माण सुविधाओं (Manufacturing Facilities) के लिए कर प्रोत्साहन (Tax Incentives) दे सकती हैं और रोजगार पैदा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय खरीद को प्रोत्साहित कर सकती हैं. सीतारमण मध्यम वर्ग के लिए कर राहत (Tax Relief for the Middle Class) की घोषणा करेंगी या नहीं, इस बात का मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा इंतजार रहेगा. चुनाव पूर्व अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग को कुछ नहीं मिला, इसलिए उनकी उम्मीदें बहुत ज्यादा हो गईं हैं.
- बजटीय राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) 4.5 प्रतिशत है, जो पिछले वित्त वर्ष में 5.8 प्रतिशत था. उम्मीद है कि पूर्ण बजट पहले से बेहतर राजकोषीय घाटे का अनुमान प्रदान करेगा. राजकोषीय घाटा सरकार के खर्च और आय के बीच का अंतर है.
- मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचे (Infrastructure) के विकास पर काफी फोकस किया है. सरकार का नियोजित पूंजीगत व्यय (Planned Capital Expenditure) 11.1 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वित्त वर्ष के 9.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर दे रही है और राज्यों को पूंजीगत व्यय (Infrastructure Creation) बढ़ाने के लिए इंसेटिव के माध्यम से प्रोत्साहित भी कर रही है.
- सीतारमण ने संकेत दिया है कि वह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए कदमों की घोषणा करेंगी, जो देश के विकास इंजन का एक हिस्सा हैं. एमएसएमई को राहत मिलने से रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माण (Manufacturing) में खास तौर पर वृद्धि की गुंजाइश है.
- केंद्रीय बजट 2024 30 जुलाई को पारित होने की संभावना है. 2024 और 2025 में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे मजबूत बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा. यह मुख्य रूप से घरेलू खपत या निर्यात के बजाय सरकारी खर्च के कारण है.
- मूडीज एनालिटिक्स ने कहा है कि मंगलवार को संसद में पेश किए जाने वाले वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि हो सकती है. उसने कराधान (टैक्स) के लिए अधिक मानकीकृत नजरिया अपनाने की उम्मीद भी जताई.
- मूडीज एनालिटिक्स की अर्थशास्त्री अदिति रमन ने कहा कि जून में लोकसभा में अपना पूर्ण बहुमत खोने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नयी गठबंधन सरकार में जनता का भरोसा जगाने की कोशिश करेगी. अदिति रमन के अनुसार, फिलहाल भारत की आर्थिक नीति में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है. चुनाव के बाद का यह बजट पहले तय लक्ष्यों को मजबूती देगा. इससे पहले अंतरिम बजट में बुनियादी ढांचे पर खर्च, विनिर्माण क्षेत्र को समर्थन और राजकोषीय विवेक पर जोर दिया गया था.
- चीन के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच सोमवार को संसद में पेश बजट-पूर्व आर्थिक समीक्षा 2023-24 में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का दोहन करने के लिए पड़ोसी देश (चीन) से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की वकालत की गई है. आर्थिक समीक्षा कहती है, चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तात्कालिक आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं, इसलिए पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है.
- भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है. इसलिए उसे पूर्वी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं की सफलताओं तथा रणनीतियों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. इन अर्थव्यवस्थाओं ने आमतौर पर दो मुख्य रणनीतियों का अनुसरण किया है...व्यापार लागत को कम करना और विदेशी निवेश को सुगम बनाना.
- समीक्षा में कहा गया कि भारत के पास ‘चीन प्लस वन' रणनीति से लाभ उठाने के लिए दो विकल्प हैं.. या तो वह चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या फिर चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था.''