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देश की विकास परियोजनाएं रोकना चाहती हैं 5 NGO, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच में मिलीभगत का खुलासा

अंग्रेज़ी दैनिक 'Indian Express' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से चार NGO को पांच साल में 75 फ़ीसदी से ज़्यादा फ़ंडिंग विदेशों से मिली, जिसके चलते भारत में NGO की गतिविधियां प्रभावित हुईं. एक जानकारी यह भी मिली थी कि इनमें से एक NGO के अध्यक्ष अन्य NGO के भी हिस्सेदार हैं.

नई दिल्ली:

भारत में कार्यरत पांच NGO (ग़ैर-सरकारी संगठन) के ख़िलाफ़ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) द्वारा हाल ही में की गई कार्रवाई से कई सनसनीखेज़ खुलासे हुए हैं, जिनमें से एक जानकारी यह है कि इनमें से दो NGO ने अदालतों में याचिकाएं दाखिल कर देश में जारी आर्थिक और विकास परियोजनाओं में बाधा डालने का प्रयास किया, जिनमें अदाणी समूह (Adani Group) और JSW के प्रोजेक्ट भी शामिल हैं.

अंग्रेज़ी दैनिक 'Indian Express' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से चार NGO को पांच साल में 75 फ़ीसदी से ज़्यादा फ़ंडिंग विदेशों से मिली, जिसके चलते भारत में NGO की गतिविधियां प्रभावित हुईं. एक जानकारी यह भी मिली थी कि इनमें से एक NGO के अध्यक्ष अन्य NGO के भी हिस्सेदार हैं.

इंडियन एक्सप्रेस द्वारा की गई तफ़्तीश के अनुसार, पांच बड़े NGO के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह अहम आरोप लगाए थे. जिन NGO के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई थी, उनमें देश का प्रमुख थिंकटैंक सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) तथा मल्टीनेशनल कन्फ़ेडरेशन ऑक्सफ़ैम (Oxfam) भी शामिल हैं.

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 7 सितंबर, 2022 को ऑक्सफ़ैम, CPR, एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट (ET), लीगल इनिशिएटिव फ़ॉर फ़ॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (LIFE) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फ़ॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) के परिसरों की तलाशी लेने के बाद से जांच शुरू कर दी थी.

तलाशी की इस कार्रवाई के बाद विभाग इस नतीजे पर पहुंचा था कि इन NGO ने कथित रूप से वर्ष 2010 के फ़ॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) के प्रावधानों का उल्लंघन किया था - विदेशी मुद्रा बैंक खातों के स्टेटमेंट और सालाना रिटर्न में दी गई 'जानकारी में अंतर', तथा विदेशी मुद्रा के रूप में हासिल धन का 'दुरुपयोग' - बाद में इन सभी NGO के FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे, जिसे उन्होंने अदालत में चुनौती दी, जिन पर फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है.

'इंडियन एक्सप्रेस' का दावा है कि उसने वर्ष 2023 खत्म होने से पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इन NGO को जारी किए गए 'इन्टीमेशन लेटर' को रिव्यू किया है. 100-100 पृष्ठों से भी लम्बे इन खतों में NGOs के ख़िलाफ़ लगाए गए अहम आरोपों को ट्रैक करने के लिए विभिन्न एग्रीमेंटों, वित्तीय स्टेटमेंट, ईमेल और बोर्ड बैठकों में चर्चा में रही बातों की प्रतियां भी शामिल की गई हैं.

पांच में से चार NGO को भेजे गए 'इन्टीमेशन लेटर' में कहा गया है, "...विदेशी फ़ंडिंग इन ट्रस्टों / संस्थानों के कामकाज पर असर डाल रही है, और वे उन मकसदों के ख़िलाफ़ काम करने वाली गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं, जिनकी खातिर उनका गठन किया गया था..."

वर्ष 2015-2021 के दौरान, केयर इंडिया को कथित तौर पर अपनी फ़ंडिंग का 92 फ़ीसदी हिस्सा विदेशों से हासिल हुआ. इसके अलावा, एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को 95 फ़ीसदी, LIFE को 86 फ़ीसदी और ऑक्सफ़ैम को 78 फ़ीसदी फ़ंडिंग विदेशों से मिली. इन छह सालों के दौरान एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को तीन वर्ष तो समूची, यानी 100 फ़ीसदी फ़ंडिंग विदेशों से हासिल हुई.

'इंडियन एक्सप्रेस' ने बताया, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के 'इन्टीमेशन लेटर' में कहा गया है कि पांचों NGO 'एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और उनके मुख्य व्यक्ति आपस में जुड़े हुए हैं..." पांच में से चार NGO - ऑक्सफ़ैम, ET, LIFE और केयर इंडिया को जारी खतों में अंतिम हिस्सा एक जैसा है, जिसका शीर्षक है 'एक दूसरे से जुड़े NGOs का ठोस प्रयास...'

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट को अलग से भेजे गए खत में कहा गया है, "...आंदोलनकारियों का समर्थन करने और विभिन्न परियोजनाओं को रोकने के लिए विभिन्न NGOs द्वारा ठोस प्रयास किया जा रहा है... ये NGO वांछित नतीजों की खातिर एक-दूसरे का समर्थन कर रहे हैं और कानून एवं व्यवस्था से जुड़े मुद्दे पैदा कर रहे हैं..."

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