पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में एक नए लोन फ्रॉड (Loan Fraud) का मामला सामने आया है. ये 2400 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी है. बैंक ने इस संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आधिकारिक सूचना दे दी है. पीएनबी ने श्रेय इक्विपमेंट फाइनेंस लिमिटेड (SEFL) और श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड (SIFL) के पूर्व प्रमोटरों के खिलाफ 2,434 करोड़ रुपये के लोन को धोखाधड़ी (Fraud) के तौर पर वर्गीकृत किया है. हालांकि पीएनबी ने साफ किया है कि उसने इस पूरी रकम के लिए पहले ही 100 फीसदी प्रावधान (Provisioning) कर लिया था. इसका मतलब यह है कि इस फैसले से बैंक के मौजूदा या भविष्य के वित्तीय नतीजों पर कोई अतिरिक्त नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.
किसने किया कितने रुपये का फ्रॉड?
पीएनबी ने बताया कि SEFL से जुड़े 1,240.94 करोड़ रुपये और SIFL से जुड़े 1,193.06 करोड़ रुपये के कर्ज को धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा गया है. इस तरह दोनों कंपनियों से जुड़ा कुल मामला 2,434 करोड़ रुपये का बनता है.
जानकारी के मुताबिक, श्रेय समूह की इन दोनों कंपनियों पर एक समय में कुल मिलाकर करीब 32,700 करोड़ रुपये का कर्ज था. उस दौरान इन कंपनियों का नियंत्रण कोलकाता स्थित कनोरिया परिवार के पास था, जो इनके प्रमोटर थे.
1989 में शुरुआत, 35 साल में ही दिवालिया!
श्रेय समूह ने 1989 में एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के रूप में परिसंपत्ति वित्तपोषण के कारोबार से अपनी शुरुआत की थी. समय के साथ समूह ने बड़े स्तर पर विस्तार किया, लेकिन बाद के वर्षों में भारी कर्ज और कुप्रबंधन के आरोपों के चलते यह गंभीर संकट में फंस गया.
SEFL और SIFL दोनों कंपनियां पहले ही इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दिवालिया प्रक्रिया से गुजर चुकी हैं. दिसंबर 2023 में इन कंपनियों का अधिग्रहण नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) ने किया था. NARCL को सरकार समर्थित ‘बैड बैंक' के रूप में जाना जाता है, जो फंसे हुए कर्ज के समाधान के लिए बनाई गई है.
RBI ने पहले ही उठाया था कदम
इससे पहले अक्टूबर 2021 में आरबीआई ने कथित कुप्रबंधन के आरोपों के बाद SIFL और उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी SEFL के निदेशक मंडल को भंग कर दिया था. इसके बाद इन कंपनियों के खिलाफ IBC के तहत दिवालिया कार्यवाही शुरू की गई थी.
पीएनबी के इस मामले को धोखाधड़ी घोषित करना बैंकिंग सिस्टम में जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. हालांकि, बैंक के लिए बड़ी बात ये है कि पूरा प्रोविजन पहले से होने के कारण इसका वित्तीय असर सीमित रहेगा.
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