रीयल एस्टेट कंपनियों को आगामी बजट से हैं काफी उम्मीदें, नकदी संकट से जूझ रहा है सेक्टर 

कंपनियों ने रीयल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिये जाने, रीयल्टी परियोजनाओं के विकास की मंजूरी के लिये एकल व्यवस्था, मकान खरीदारों को कर छूट के साथ कंपनियों को भी कर छूट तथा किराये पर मकान को बढ़ावा देने की नीति बनाने की भी मांग की है.

रीयल एस्टेट कंपनियों को आगामी बजट से हैं काफी उम्मीदें, नकदी संकट से जूझ रहा है सेक्टर 

रीयल एस्टेट सेक्टर को बजट से उम्मीदें

नई दिल्ली:

सरकार को रीयल एस्टेट क्षेत्र को गति देने व 2022 तक सभी के लिये मकान का लक्ष्य हासिल करने के लिये आगामी बजट में अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के वास्ते कदम उठाये जाने की उम्मीद है. जमीन जायदाद के बारे में परामर्श देने और उसके विकास में लगी कंपनियों ने यह कहा है. इसके अलावा कंपनियों ने रीयल एस्टेट क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिये जाने, रीयल्टी परियोजनाओं के विकास की मंजूरी के लिये एकल व्यवस्था, मकान खरीदारों को कर छूट के साथ कंपनियों को भी कर छूट तथा किराये पर मकान को बढ़ावा देने की नीति बनाने की भी मांग की है.

सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमन मैगजीन ने कहा, ‘मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछले कार्यकाल में क्षेत्र को पटरी पर लाने के इरादे से कई सुधारात्मक कदम उठाये लेकिन कोष जुटाने, पूंजी और नकदी से जुड़ी कई चुनौतियां अभी भी बाधा बनी हुई है.' उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्षेत्र को उद्योग का दर्जा दिये जाने के साथ रीयल्टी कंपनियां सरकार से बाह्य वाणिज्यिक उधारी नियमों में रियायत चाहती हैं.

प्रोप टाइगर डाट काम के सीईओ ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के समाधान के लिये सरकार के हस्तक्षेप से क्षेत्र में नकदी बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘हम यह भी उम्मीद करते हैं कि सरकार क्षेत्र को बैंक वित्त पोषण बढ़ाने के लिये कदम उठाये ताकि नकदी की चिंता से अटकी परियोजनाओं को मदद मिल सके.

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पूर्वांकरा के प्रबंध निदेशक आशीष पूर्वांकरा ने यही बात कही और रीयल एस्टेट क्षेत्र में तरलता एवं नकदी समस्या दूर करने पर जोर दिया. उन्होंने राष्ट्रीय किराया आवास नीति तैयार करने पर भी बल दिया ताकि 2022 तक सभी के लिये मकान का लक्ष्य पूरा हो सके. (इनपुट भाषा से)