संसद में विवादित फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.
नई दिल्ली:
बैंकों के दिवालिया होने पर उसमें जमा आपका पैसा सुरक्षित होगा या नहीं? इससे जुड़ा विवादित फाइनेंशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस यानी FRDI बिल फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. संसद की संयुक्त समिति को इस बिल पर अपनी रिपोर्ट मौजूदा शीत सत्र के शुरुआत में पेश करनी थी, लेकिन अब समिति अपनी रिपोर्ट अगले बजट सत्र के आखिरी दिन पेश करेगी.
संसद के शीतकालीन सत्र के ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित फाइनेंशियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ये आश्वासन दिया था कि सरकार बैंकों में जमा आम लोगों के पैसे को और सुरक्षित करने की दिशा में पहल कर रही है. लेकिन इसका ना विपक्ष पर कोई असर पड़ता दिख रहा है और ना ही सरकार के सहयोगी दलों पर.
शुक्रवार को शिरोमणी अकाली दल के नेता और FRDI बिल की समीक्षा के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति के सदस्य नरेश गुजराल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "मैं सदस्य हूं, संयुक्त समिति का. बिल को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई है. इसलिए जल्दबाज़ी में हमें रिपोर्ट तैयार नहीं करना चाहिए. बिल में कई क्लाज़ हैं जो आपत्तिजनक हैं. हमें ऐसा बिल तैयार करना होगा जिससे आम लोगों में पैनिक ना फैले."
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अब इस बिल पर राजनीतिक आम राय बनाने के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति ने स्पीकर से रिपोर्ट तैयार करने के लिए और समय मांगा है. समिति के प्रमुख भूपेंद्र यादव ने NDTV से कहा, "हमने फैसला किया है कि फाइनेंशियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट अगले साल के बजट सत्र के आख़िरी दिन संसद में पेश की जाएगी."
इससे पहले स्पीकर ने संयुक्त समिति को शीतकालीन सत्र के शुरुआत में ही अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कांग्रेस चाहती है कि बिल में बेल-इन क्लाज़ को पूरी तरह से हटा दिया जाए, जिसमें आम खाताधारकों के पैसे का इस्तेमाल दिवालिया होते बैंकों को बचाने के लिए करने की बात कही गई है. एनडीटीवी से बातचीत में कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने ये बात कही.
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डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल पर संसद के अंदर और बाहर उठ रहे सवालों को देखते हुए अब संयुक्त समिति ने इस पर अपनी रिपोर्ट अगले साल के बजट सत्र के आखिरी दिन संसद में रखने का फैसला किया है. मुश्किल ये है कि सवाल ना सिर्फ बिल में बड़े बदलाव को लेकर उठ रहे हैं बल्कि कुछ राजनीतिक दलों ने सरकार से बिल पास लेने की मांग भी कर दी है. तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद सुखेन्दू शेखर राय ने कहा, "ये काला बिल है. सरकार को इस बिल को फौरन वापस लेना चाहिए."
VIDEO : बैंक में जमा पैसों की गारंटी के लिए बिल
बात साफ है, बिल पर राजनीतिक आम राय बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
संसद के शीतकालीन सत्र के ठीक पहले प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित फाइनेंशियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल को लेकर उठ रहे सवालों के बीच ये आश्वासन दिया था कि सरकार बैंकों में जमा आम लोगों के पैसे को और सुरक्षित करने की दिशा में पहल कर रही है. लेकिन इसका ना विपक्ष पर कोई असर पड़ता दिख रहा है और ना ही सरकार के सहयोगी दलों पर.
शुक्रवार को शिरोमणी अकाली दल के नेता और FRDI बिल की समीक्षा के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति के सदस्य नरेश गुजराल ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "मैं सदस्य हूं, संयुक्त समिति का. बिल को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई है. इसलिए जल्दबाज़ी में हमें रिपोर्ट तैयार नहीं करना चाहिए. बिल में कई क्लाज़ हैं जो आपत्तिजनक हैं. हमें ऐसा बिल तैयार करना होगा जिससे आम लोगों में पैनिक ना फैले."
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अब इस बिल पर राजनीतिक आम राय बनाने के लिए गठित संसद की संयुक्त समिति ने स्पीकर से रिपोर्ट तैयार करने के लिए और समय मांगा है. समिति के प्रमुख भूपेंद्र यादव ने NDTV से कहा, "हमने फैसला किया है कि फाइनेंशियल रेज़ोल्यूशन एंड डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट अगले साल के बजट सत्र के आख़िरी दिन संसद में पेश की जाएगी."
इससे पहले स्पीकर ने संयुक्त समिति को शीतकालीन सत्र के शुरुआत में ही अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कांग्रेस चाहती है कि बिल में बेल-इन क्लाज़ को पूरी तरह से हटा दिया जाए, जिसमें आम खाताधारकों के पैसे का इस्तेमाल दिवालिया होते बैंकों को बचाने के लिए करने की बात कही गई है. एनडीटीवी से बातचीत में कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने ये बात कही.
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डिपॉज़िट इंश्योरेंस बिल पर संसद के अंदर और बाहर उठ रहे सवालों को देखते हुए अब संयुक्त समिति ने इस पर अपनी रिपोर्ट अगले साल के बजट सत्र के आखिरी दिन संसद में रखने का फैसला किया है. मुश्किल ये है कि सवाल ना सिर्फ बिल में बड़े बदलाव को लेकर उठ रहे हैं बल्कि कुछ राजनीतिक दलों ने सरकार से बिल पास लेने की मांग भी कर दी है. तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्यसभा सांसद सुखेन्दू शेखर राय ने कहा, "ये काला बिल है. सरकार को इस बिल को फौरन वापस लेना चाहिए."
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बात साफ है, बिल पर राजनीतिक आम राय बनाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.