उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ "हिंदुत्व" के एक ˈआइकॉन' (प्रतीक) हैं. लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में वो मजबूत शासन को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक कॉर्पोरेट दुकानों को राज्य में बुलाया जा सके.
फिलहाल उन्होंने अपने पुरूषार्थ और "बुलडोजर" जैसे सख्त व्यक्ति की छवि के साथ अपने को राज्य में अच्छी स्थिति में रखा है. बहरहाल इस भगवाधारी साधु को गर्व है कि लोग मानते हैं कि वो कानून और व्यवस्था को लागू करने वाले एक "कठोर व्यक्ति" हैं. लेकिन अब वो चाहते हैं कि उनके इस ब्रांड का विस्तार हो औऱ यह ब्रांड यूपी में आने वाले निवेशकों को अधिक आकर्षक लगे. जाहिर है कि, उत्तरप्रदेश में नौकरियों की सख्त जरूरत है.
लखनऊ में लुलु मॉल का ही मामला लें जिसका उद्घाटन 10 जुलाई को योगी आदित्यनाथ ने किया था. मॉल का स्वामित्व अबू धाबी के एक समूह के पास है. पिछले दिनों यह मॉल विवाद के केन्द्र में था जब वहां जुलाई महीने में करीबन आठ पुरुषों के एक समूह को वहां नमाज अदा करते देखा गया. हिंदू समूह तब उसी स्थान पर पूजा करना चाहते थे. हिंदुत्व के कट्टरपंथियों के लिए यह बहुत आश्चर्य की बात थी जब योगी आदित्यनाथ ने कड़ी फटकार लगाई. उन्होंने कहा,"कुछ लोग अनावश्यक टिप्पणी कर रहे हैं, लोगों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. उपद्रव करने का प्रयास करने वाले उपद्रवियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए." योगी आदित्यनाथ ने स्थानीय अधिकारियों को आदेश दिया कि वो शांति सुनिश्चित करें. आश्चर्यजनक रूप से इसके बाद किसी अन्य गड़बड़ी की सूचना नहीं मिली थी.
योगी खेमे के सूत्र बताते हैं कि प्रतिद्वंद्वियों द्वारा योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने और यूपी से निवेश को दूर करने की साजिश हो रही है. "लखनऊ और दिल्ली में बैठे कुछ नेता महाराज की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहे हैं और उन पर हमला करने के लिए राज्य में बवाल करना चाहते हैं. योगी इस तरह के नेताओं से पूरी तरह वाकिफ हैं और वो अपने निवेश अभियान को नहीं रोकेंगे. पद उनके लिए मायने नहीं रखते (योगी को भाजपा संसदीय बोर्ड से बाहर रखने पर), "गोरखनाथ मठ में योगी के एक वरिष्ठ सहयोगी ने कहा.
टीम योगी नोएडा फिल्म सिटी को अगले स्तर पर ले जाना चाहती है. गौरतलब है कि नोएडा फिल्म सिटी में अधिकांश समाचार चैनलों का बड़ा और शानदार मुख्यालय है. इसे बॉलीवुड की तरह प्रोडक्शन हब में बदलने का विचार है.
फिल्म की शूटिंग के लिए अत्याधुनिक स्टूडियो और अन्य सुविधाओं के लिए कर प्रोत्साहन के साथ रियायती जमीन देने पर विचार किया जा रहा है. "साउंड रिकॉर्डिंग से लेकर शूटिंग तक, हम हिंदी फिल्म उद्योग और दक्षिण के फिल्म निर्माताओं को अच्छी सुविधाएं देना चाहते हैं. योगी जी एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो नोएडा जाने के बारे में किसी तरह का अंधविश्वास नहीं रखते हैं..(एक लंबे समय से चलने वाला अंधविश्वास है कि नोएडा का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री बहुत जल्दी नौकरी खो देते हैं). योगी जी हर उस स्टार से पूछते हैं जो उन्हें नोएडा में शूटिंग के लिए बुलाते हैं, "एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा.
योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि बॉलीवुड के सारे स्टार अपना कुछ “स्टारडस्ट” नोएडा में भी फैलाए.
फिल्मी सितारों से लेकर हनीमून मनाने वालों तक के लिए यूपी को एक आकर्षक केन्द्र बनाने की योजना है. अगले दस वर्षों के लिए पर्यटन नीति का मसौदा अगले साल से लागू होगा. इस मसौदा के तहत ताजमहल से लेकर यूपी की पाक उत्कृष्टता को समेटे यूपी को Food Tourism (खाद्य पर्यटन) के केन्द्र के रूप में बड़े पैमाने पर प्रचार करने का लक्ष्य है. गर्म हवा के गुब्बारे, धार्मिक सर्किट पर्यटन सहित नए अयोध्या मंदिर की भव्यता और कुंभ मेले के लिए सुविधाओं में बढ़ोतरी पर काम चल रहा है.
इन सभी योजनाओं के तहत योगी को एक दयालु और सज्जन राजनेता वाले ब्रांड से जोड़ने की कोशिश चल रही है. यह निश्चित तौर पर आजीबोगरीब नाम वाले "रोमियो स्क्वॉड" और "लव जिहाद" जैसे छवि, जो उनकी पहले की प्रतिष्ठा का बेंचमार्क हुआ करता था, से 180-डिग्री पर विपरीत दिशा में है. यहां तक कि योगी की निजी निगरानी सेना जिसे “हिंदू युवा वाहिनी” कहा जाता है वो अल्पसंख्यकों पर हमला करने और अपने "उद्यमों" के लिए योगी के नाम का इस्तेमाल( बांह मरोड़ने वाली रणनीति) करने के लिए क्रुद्ध युवाओं वाले एक दस्ते के रूप में जाना जाता है. अब यह युवा संगठन भी बदलाव के दौर से गुजर रहा है ताकि "महाराज" की नई छवि से मेल खा सके. कुछ दिनों पहले तक यह दस्ता नारे लगाता था कि "यूपी में रहना होगा तो योगी योगी कहना होगा" और इसके सदस्य अपनी गाड़ियों पर नंबर प्लेट की जगह "योगी" की तस्वीर लगाया करते थे. लेकिन आज यह संगठन राहत कार्य करने का दावा करता है.
निस्संदेह ही आज योगी आदित्यनाथ भाजपा के एक और मुख्यमंत्री के नक्शेकदम पर चल रहे हैं जिनकी नजर पीएम कार्यालय पर थी.
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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