आज अवसाद के खिलाफ लड़ाई का अपना अनुभव इसलिए साझा करना चाहती हूं क्योंकि आज (7 अप्रैल) विश्व स्वास्थ्य दिवस है और इस बार संयुक्त राष्ट्र ने विश्व स्वास्थ्य दिवस पर ‘अवसाद’ विषय पर फोकस किया है. मेरी उम्र बमुश्किल ही 13 साल की रही होगी जब मेरे मनोचिकित्सक ने मेरे माता-पिता को सदमे में डाल दिया. डॉक्टर ने बताया कि उनकी बेटी अवसाद (क्लिनिकल डिप्रेशन) से ग्रस्त है.
इस बीमारी से मेरे माता-पिता का परिचय यह कहकर कराया गया कि इससे दुनिया भर में कई बच्चों की मौत हो रही है. ये सुनकर मेरे माता-पिता टूट चुके थे. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मेरे चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कराहट लाने की ठानी. और आज ये उन्हीं के बेशुमार प्यार और देखभाल का नतीजा है कि मैं जिंदा और खुश हूं. अवसाद को कोसों दूर पीछे छोड़ चुकी हूं. लेकिन अवसाद के खिलाफ इस जंग के बीच मैंने पांच बातें सीखीं.
ये दुनिया आपकी दुश्मन नहीं है
जब आप बिल्कुल निराश और हताश होते हैं, तो आपको लगेगा कि आप कुछ भी करने में असमर्थ हैं. आप सोचते हैं कि बाहर की दुनिया आपको लगातार देख रही है और आपकी गलतियों पर उंगली उठा रही है. वह आप पर हंस रही है. जबकि ये सब फिजूल की बात है. मैंने इस मुश्किल वक्त में पाया है कि इस दुनिया में कोई भी शख्स आपके बारे में उतना नहीं सोच रहा है जितना आपको लगता है. यह आपका महज वहम है कि दुनिया आपको देखकर बाते बना रही है और हंस रही है. जबकि असलियत तो यह है कि हर कोई अपने अपने काम में व्यस्त है. तो जागो और बीमारी को खुद पर हावी न होने दें. अपने आत्मविश्वास की मजबूती को बनाए रखें.
खुद से प्यार करना बेहद जरूरी
अवसाद की स्थिति में आप अकसर खुद से प्यार करना भूल जाते हैं. अगर आप खुद से प्यार नहीं करेंगे तो आप इस समस्या से कभी बाहर निकल पाएंगे. प्यार की कमी से आपकी जिंदगी निरस हो जाएगी. मैंने पाया कि अगर मैं खुद की देखभाल नहीं करूंगी, खुद की परवाह नहीं करूंगा तो और कोई भी नहीं करेगा. तो बिस्तर से उठें और अपनी पसंसदीदा ड्रेस पहनें. वो करें जिसमें संतुष्टि मिले. अपने लुक को लेकर आपमें आत्मविश्वास होना चाहिए. फिर देखिए ये दुनिया आपके प्यार में पड़ जाएगी.
हंसने की कला सीखिए
अवसाद आपको गहरे निराशा के समंदर में धकेल देता हैं. उससे उबरने के लिए हंसना सीखिए. मुस्कान से आपकी अधिकांश टेंशन दूर जाएंगी. अपके चेहरे की मुस्कान के साथ पूरी दुनिया हंसेगी. मैंने भी खुश रहने के साथ-साथ मुस्कुराने की कला सीखी.
किसी भी समस्या का हल खुदकुशी नहीं
इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं. और कोई भी समस्या हमेशा नहीं बनी रहती. इसलिए अच्छे वक्त का इंतजार करें. यह सोचना कि खुद को मारने से सब मुश्किलें हल हो जाएंगी, ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है. बल्कि इससे खुद को सामान्य करने का आप आखिरी मौका भी खो दोगे. उन लोगों के बारे में भी सोचें जो आपसे बेइंतहा प्यार करते हैं. जो आपके ठीक होने की प्राथना करते हैं. मैं आज मानसिक रूप से पूरी तरह मजबूत हूं. और मैं समझती हूं कि हर व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि बुरा वक्त हर समय नहीं रहता, वह स्थायी नहीं होता. तो सब्र के साथ अच्छे समय का इंतजार करें.
मदद मांगने से हिचकिचाएं नहीं
बुरे वक्त में सोशल मीडिया ने मुझे ऐसे लाखों लोगों के साथ जोड़ा जो ऐसी ही बीमारियों से ग्रस्त थे. मैंने उनके साथ अपना डर और भावनाएं साझा कीं. मुझे उन लोगों के अनुभव सुनने का मौका मिला जो इस समस्या से बाहर निकले. तो सबसे अच्छा है कि आप अपनी चिंताओं को उन लोगों के साथ शेयर करें जो आपको समझ सकें और जो ध्यानपूर्वक सुनें. सबसे बड़ा सबक मैंने यही सीखा कि अवसाद एक बीमारी है और इसका इलाज है. इससे ग्रस्त किसी भी व्यक्ति को शरमाने की जरूरत नहीं है. ध्यान रहे कि मजबूत से मजबूत व्यक्ति को मदद की जरूरत पड़ती है सिर्फ आपको ही नहीं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताजा अनुमानों के मुताबिक, दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक लोग अवसाद से ग्रस्त हैं.
जेनिफर थॉमस एनडीटीवी में कार्यरत हैं
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This Article is From Apr 07, 2017
हां, हुई थी मैं डिप्रेशन की शिकार, लेकिन अब जिंदा और खुश हूं...
Jennifer Thomas
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 07, 2017 17:18 pm IST
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Published On अप्रैल 07, 2017 09:41 am IST
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Last Updated On अप्रैल 07, 2017 17:18 pm IST
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