नेतृत्व का मतलब होता है कि आप दबाव का सामना कैसे करते हैं - एक महत्वपूर्ण लड़ाई में अपने विरोधी को बिना कोसे पूरी गरिमा और सम्मान के साथ. मेरे लिए, अपने दिवंगत पिता राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुच्छ टिप्पणी का जवाब देने के मामले में राहुल गांधी विजेता बनकर उभरे हैं. शनिवार को एक रैली में मोदी ने कहा था, 'भ्रष्टाचारी नम्बर वन के रूप में आपके पिताजी का जीवनकाल समाप्त हो गया.'
स्पष्ट है कि मोदी को कभी भी किसी मृतक व्यक्ति के बारे में गलत बोलते नहीं सुना गया, राजीव गांधी के अलावा जिनकी हत्या कर दी गई थी. लेकिन नए भारत में, जहां सार्वजनिक बयानबाजी का स्तर लगातार नीचे गिरा है, यह तंज अति ही है. राजीव गांधी की मई 1991 में आतंकी हमले में मौत हो गई थी.
ट्विटर पर जवाब देते हुए राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया कि वह अपने पिता की विरासत को लेकर कोई भी आपत्तिजनक टिप्पणी स्वीकार नहीं करेंगे. चुनाव अब भी एक प्रतियोगिता हैं और वह अब भी अपनी उस बात पर कायम हैं कि वो अपने किसी भी विरोधी से नफरत नहीं करते, पीएम मोदी से भी नहीं, जो गांधी परिवार पर निजी हमले करते रहते हैं. देखें उनका ट्वीट.
Modi Ji,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 5, 2019
The battle is over. Your Karma awaits you. Projecting your inner beliefs about yourself onto my father won't protect you.
All my love and a huge hug.
Rahul
यह गांधी ही थे जिन्होंने पीएम की अशिष्ट टिप्पणियों का बड़े ही प्रभावी ढंग से सामना किया. पिछले वर्ष जुलाई के महीने में संसद में पीएम मोदी को गले लगाने की तुलना में राहुल गांधी का यह जवाब ज्यादा वजनदार रहा. राहुल गांधी द्वारा पीएम मोदी को गले लगाने की घटना पर तब पानी फिर गया जब उसके बाद वो अपने मित्र और पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को आंख मारते दिखे.
राहुल गांधी का आज का जवाब बताता है कि राजनीति में अपनी अनिच्छुक और धीमी शुरुआत के बाद अब वो कितने परिपक्व हो चुके हैं - एक ऐसी शुरुआत जिसके बारे में आलोचक कहते हैं कि वो कई वर्षों तक चली और जिसे कांग्रेस की तुलना में कम चापलूस पार्टी में जगह नहीं मिली होती.
लेकिन अब ऐसा लगता है कि गांधी समझ गए हैं कि मोदी को जवाब कैसे देना है. उदाहरण के लिए उनके 'चौकीदार चोर है' नारे का इस्तेमाल ममता बनर्जी ने भी अपनी रैलियों में किया.
निश्चित रूप से, वैश्विक नेता की छवि जो मोदी काफी मेहनत से गढ़ रहे थे वह इस प्रचार के बाद और धुमिल हुई है. आतंकवाद की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से चुनाव मैदान में उतारने के उनके फैसले को ही लें. मोदी ने खुद कई विवादास्पद बयान दिए जिन्हें चुनाव आयोग ने भी मान्यता दे दी लेकिन उनके खिलाफ शिकायतें सुनने वाले तीन में से एक अधिकारी लगातार इसके विरोध में रहे.
यह मान लेना स्वभाविक है कि पीएम की टिप्पणियों के बाद चुनाव बीजेपी के लिए वॉकओवर नहीं रह गया है जैसा कि शुरुआत में माना गया था, यह एक मुकाबले में तब्दील हो गया है.
पीएम मोदी की कुछ हालिया टिप्पणियों को देखें, 'कांग्रेस और उसके सहयोगी इसलिए लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं ताकि आतंकियों को छूट दी जा सके.' या 'राहुल गांधी हर दिन अपने पिता के पाप धो रहे हैं.'
पीएम मोदी की राह पर चलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रियंका और राहुल गांधी को 'चुनावी हिंदू' कह डाला. जेटली ने राहुल गांधी के जनेऊ धारी ब्राह्मण होने के दावे का भी मजाक उड़ाया, कहा - गांधी परिवार अब लगातार मंदिरों में जा रहा है लेकिन 2004, 2009 और 2014 के चुनावों में ऐसा नहीं किया.
जो बात राहुल गांधी को भीतर से मजबूती प्रदान कर रही है वो संभवत: मायावती से मिलने वाला अनापेक्षित समर्थन है जिन्होंने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ अखिलेश यादव के साथ गठबंधन से कांग्रेस को बाहर कर दिया था. शिनवार को मोदी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ मिलकर मायावती के खिलाफ साजिश कर रहे हैं. रविवार को मायावती ने जवाब देते हुए कहा, 'पीएम मोदी खुद को और अपनी छवि को बचाने के लिए सपा और बसपा को बांटने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि बीजेपी चुनाव हार रही है. उसके बाद उन्होंने अमेठी और रायबरेली में लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की जहां 6 मई को चुनाव होने हैं. (गठबंधन ने इन लोकसभा क्षेत्रों में सोनिया गांधी और राहुल के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है.)
मायावती, जो तुरंत ही आपा खो देती हैं और सत्ता के लिए लालायित रहती हैं, कांग्रेस के समर्थन में बहुत कुछ कह चुकी हैं. कोई आश्चर्य नहीं है कि राहुल गांधी, जो अक्सर उनके निशाने पर रहते हैं, उनके साथ दोस्ती के मूड में हैं.
(स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.