आज एक ऐसी कहानी पर बात करेंगे जिसके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है. ऐसी बहुत ही कम कहानियां होती हैं जिनके लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं होता. ऐसी कहानियों को हर खेमे के लोग बिना अपराध बोध के देख सकते हैं. देखते हुए कोई ज़िम्मेदार दिख जाए तो यह उनका दोष होगा. उनकी नज़र का कसूर होगा. मान लीजिए कि आप लेट गए हैं. आंखें बंद हैं और आपकी छाती सड़क बन गई है. उस छाती पर एक नंगी औरत धम धम करती हुई दौड़ी चली जा रही है. उसके पीछे धम धम करते हुए बहुत से नौजवान दौड़े चले आ रहे हैं. आंख बंद कर लेने से आपको इस बात की तकलीफ़ नहीं होगी कि औरत का चेहरा कैसा था, वो कौन थी, उसके पीछे मारने के लिए दौड़े चले आ रहे नौजवानों का चेहरा कैसा था, वो कौन थे. भीड़ की इतनी सूचनाएं हमारे आसपास जमा हो गई हैं कि अब सूचनाएं बेअसर होने लगी हैं. उनका असर ही नहीं होता है. आपको लगता है कि वही पुरानी बात है. पहले आप उस आवाज़ को महसूस कीजिए, धम-धम की जो एक औरत को नंगा दौड़ाती है और उस शोर को जो एक नंगी औरत के पीछे गूंजता है.
बिहार के भोजपुर ज़िले की यह तस्वीर है. घटना का पैटर्न वही है. हज़ार बार कहा है कि भीड़ सुरक्षा बलों की तरह हर जगह तैयार खड़ी है. उसके दिमाग़ में लगातार ज़हर भरा जा रहा है ताकि भीड़ की गैस कभी ख़त्म न हो. वो रोबोट की तरह हो गई है. रोबो रिपब्लिक. जिसके दिमाग़ में ज़हर पहले से भरा हो और वह सिर्फ़ एक कमांड पर या फिर अपने आप ट्रिगर हो जाए. जैसे गोमांस की तस्करी के शक़ पर कोई पहलू ख़ान मार दिया जाता है, वैसे ही किसी अपराध में शामिल होने का शक़ होगा और वो भीड़ किसी रैपिड ऐक्शन फोर्स की तरह आएगी और मार देगी.
भोजपुर में एक नौजवान की हत्या होती है. लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी जाती है. लोग नाराज़ हो जाते हैं. पहले दुकानों को जलाते हैं. फिर वाहनों को जलाते हैं. वो जला सकते हैं क्योंकि उनके पास भीड़ है. पुलिस चुप रहेगी क्योंकि उसे चुप कराने का लंबा अभ्यास कराया जा चुका है. पुलिस के भीतर भी वह ज़हर असर कर चुका है. इसलिए वह कई बार ख़ुद में और उस भीड़ में फ़र्क़ नहीं कर पाती है. इसलिए वहां होने के लिए बस होती है. रोकने के लिए नहीं होती है.
भीड़ को शक़ है कि नौजवान की हत्या के पीछे किसी औरत का हाथ है. चूंकि भीड़ को शक़ इसलिए अब वह कुछ भी कर सकती है. वह कहीं किसी पहलू ख़ान को मार सकती है, किसी की आंख निकाल सकती है. किसी की आंत निकाल सकती है. इसलिए वह किसी औरत को सरे बाज़ार नंगा कर सकती है. क्योंकि भीड़ को शक़ है. यही हमारे दौर का सबसे बड़ा विश्वास है. भीड़ को शक़ है. अब जबकि शक़ है इसलिए उस औरत के कपड़े उतारे जाते हैं, उसे देवी से औरत बनाया जाता है. पूजा की जगह पीटा जाने लगता है. मुझे बार-बार पूजा करना अच्छा नहीं लगता मगर आपके और हिंदुस्तान की औरतों के दिमाग़ में यही ठूंस दिया गया है कि वे देवी है और उनकी पूजा होती है इसलिए पूजा का ज़िक्र कर रहा हूं वरना मेरे लिए पूजा को कोई मतलब नहीं है.
बिहार, भोजपुर ज़िला, बिहिया बाज़ार. कैमरा सामने है. उसके सामने उसकी छाती पर एक नंगी औरत दौड़ी चली आ रही है. मेरा अब भी मानना है कि ठीक इसी वक़्त अगर हम स्क्रीन पर एक लड़ाकू विमान उड़ाने जा रही एक औरत की तस्वीर लगा दें तो यह कहानी मामूली हो जाएगी. बिहिया की उस औरत की व्यथा की जगह भारत की औरतों की कामयाबी की गौरवगाथा ले लेगी. नंगी कर दी गई वो औरत अपवाद की तरह विश्व गुरु भारत के पिछवाड़े दौड़ती रहेगी. उसे कोई नहीं देखेगा लेकिन कैमरा क्या करता, उसके ठीक सामने वो नंगी औरत दौड़ती चली आ रही है. आप एक बार फिर देख लें कि कैसे वो औरत उस कैमरे के सामने चली आ रही है पहले उस भीड़ को हिंदू मुस्लिम ज़हर से तैयार किया और बताया कि चूंकि उस भीड़ को शक़ है इसलिए न अदालत न पुलिस न दलील किसी चीज़ की ज़रूरत है.
जबकि जिसका बेटा मारा गया उसके परिवार वाले कह रहे हैं कि विमलेश तो परीक्षा देने गया था. उसे दो लोगों ने जान से मारकर रेल लाइन पर फेंक दिया. फिर ये औरत क्यों नंगी की गई क्योंकि भीड़ को शक़ था. जिस भीड़ को हमारे नेता उनके समर्थक और गोदी मीडिया के दर्शक, सोशल मीडिया के पाठक शक़ के आधार पर जायज़ बना रहे थे.
एक औरत को नंगा कर देने के बाद भी किसी को होश नहीं रहा. भीड़ उत्पात मचाती रही. क्या ये सारे उस युवक के रिश्तेदार हैं जिसे मार दिया गया. क्या पुलिस पर हमारा भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि जिस पर शक़ होगा उसे मार दिया जाएगा. फिर ये पुलिस क्यों है. पुलिस की जगह भीड़ क्यों नहीं है. उसे ही पुलिस की वर्दी क्यों नहीं दे दी जाती है. आप देख रहे हैं न इन तस्वीरों में भीड़ के साहस का नतीजा. पुलिस ने लाठीचार्ज किया तब तक बहुत देर हो गई. उसके बाद भी भीड़ नहीं मानी. जब सरकारें भीड़ की गुलाम हैं और वो भीड़ बना रही हैं तो क्या पुलिस के कहने से भीड़ रुक जाएगी. अब बहुत देर हो चुकी है.
एक औरत को नंगा करने वाले कौन थे, उनके नाम क्या हैं हम नहीं जानते. हम अभी तक इतना ही जानते हैं कि आठ पुलिस वाले सस्पेंड हुए हैं. बिहिया थानाध्यक्ष भी सस्पेंड हुए हैं. बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. आरा जीआरपी के थाना प्रभारी सस्पेंड किए गए हैं, बर्ख़ास्त क्यों नहीं किए गए, सरकार बता सकती है. इस घटना से किसी को तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब भीड़ की हिंसा के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाता है. 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पोस्टमार्ट की रिपोर्ट कहती है कि जो लड़का मरा था उसकी मौत ट्रेन से गिर कर हुई थी.
भारत की औरतों से एक झूठ बोला गया है. औरतें भी इस झूठ को माथे पर लगाकर रखती हैं. वो झूठ ये है कि यहां उन्हें देवी की तरह पूजा जाता है. समस्या यही है. देवी की तरह पूजा जाता है. मगर औरत को देवी की तरह पूजा जाता है, यह किसने देखा है. किसी पुरुष ने देखा है या किसी स्त्री ने देखा है. झूठ यह है कि औरत को देवी की तरह नहीं पूजा जाता है. इस झूठ में एक और झूठ है. वो है पूजा का झूठ. हम जानते ही नहीं है कि पूजा के अलावा औरत के साथ कैसे पेश आया जाता है.
अब इलाहाबाद में देखिए. एक पति को गुस्सा आता है. वो पत्नी को मार देता है. फिर अपनी दोनों बेटियों को मार देता है. तीन-तीन स्त्रियां. क्या उसके गुस्से के पीछे स्त्रियां नहीं होंगी. ये बेटियां नहीं होंगी, कौन बता सकता है कि नहीं होंगी. और भी कारण रहे होंगे मगर ये कारण भी होगा, इसे गेस तो किया ही जा सकता है.
इलाहाबाद के धूमनगंज इलाके में मनोज कुशवाहा की श्वेता से कहासुनी ही तो हुई थी. बस मनोज ने श्वेता को मार कर उसकी लाश फ्रिज में रख दी. आठ साल की बेटी प्रीति की लाश अलमारी में मिली और तीन साल की बेटी श्रेया की लाश बक्से में. जबकि छह साल की शिवानी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली. सभी को गला दबाकर मारा गया. वैसे विश्व गुरु भारत में औरतों की देवियों की तरह पूजा जाता है. बाद में मनोज कुशवाहा भी फांसी पर लटक गया. पुलिस जांच कर रही है कि क्या कारण हो सकते हैं. तीन-तीन बेटियों को मारा है. क्या पता बेटियां होना भी कारण रहा हो.
मध्यप्रदेश के सिवनी में कोतवाली के बगल में लड़कियों का एक कॉलेज है. सुबह-सुबह एक लड़के ने बीए प्रथम वर्ष की छात्रा की पत्थर से मार-मार कर हत्या कर दी. भारत के मर्दों को कितनी छूट है. वो भीड़ बनकर किसी औरत को नंगा कर सकते हैं, पति बनकर तीन बेटियों और एक पत्नी को मार सकते हैं और किसी से प्रेम कर उसे पत्थर से मार सकते हैं. 22 साल की रानू नागोत्रा फुलारा गांव की रहने वाली थी. सुबह सुबह नेताजी सुभाष चंद्र बोस कन्या महाविद्यालय सिवनी के लिए निकली थी. इसी दौरान थाना कोतवाली के बगल से सहकारी बैंक होते हुए गर्ल्स कॉलेज जाने वाले मार्ग पर फुलारा का ही 38 साल का अनिल मिश्रा रानू नागोत्रा को ज़मीन पर गिरा देता है. पत्थर पर इतनी ज़ोर से पटका कि वह वहीं मर गई. पास में एक दुकानदार ने देखा, सैनिक मोहम्मद नाम के एक वकील ने देखा, दोनों ने दौड़कर अनिल मिक्षा को पकड़ लिया. रानू ने अनिल मिक्षा के ख़िलाफ़ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था. पुलिस को बताना चाहिए कि उस मामले पर उसने क्या कार्रवाई की. मामला कोर्ट में है. अनिल मिश्रा चाहता था कि रानू बयान बदल दे. यह भी देखा जाना चाहिए कि कब से मामला कोर्ट में है तभी हम समझ सकेंगे कि कोर्ट में मामलों के सड़ते रहने से पड़े रहने से औरतों पर क्या असर पड़ता है.
एक भीड़ को दूसरी भीड़ से अलग नहीं कर सकते हैं. बिहार के ही मोतिहारी में है महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी. फेसबुक पर पोस्ट के बहाने यहां के अस्सिटेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर एक भीड़ हमला करती है. इस बार की भीड़ को पसंद नहीं है कि प्रोफेसर ने इस तरह का पोस्ट क्यों किया है जो उन्हें पसंद नहीं है. संजय कुमार को इतना मारा इतना मारा कि भीड़ का गुस्सा उन्हें जला देने की हद तक पहुंचने लगा. संजय कुमार का दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस वीडियो में आप देखेंगे कि कैसे दस पांच छात्रों का समूह भीड़ बनकर एक प्रोफेसर को यूनिवर्सिटी के गलियारे से लेकर सीढ़ियों तक पर घसीट कर मारता है.
मारने वालों का चेहरा आपने देखा. वो उस भीड़ का हिस्सा है जिसे अगर नापसंद हो, किसी पर शक हो तो वह किसी के खिलाफ कुछ भी कर सकती है. वह जब चाहे किसी नेता का नाम लेकर या किसी धर्म का नाम लेकर एलान कर सकती है कि उसे किसी को भी मारने का हक है. संजय कुमार सोश्योलॉजी और सोशल आंथोपॉलजी पढ़ाते हैं. उनके सर में चोट आई है. बायीं आंख में गहरी चोट है. कान पर भी असर हुआ है. उन्हें उस यूनिवर्सिटी में उसी तरह नंगा किया गया जिस तरह भोजपुर की सड़कों पर उस महिला को भीड़ ने नंगा कर दिया. अभी तक संजय से वाइस चांसलर ने बात तक नहीं की है. उल्टा इन दस बीस लड़कों की हरकत के बहाने अनिश्चितकाल के लिए यूनिवर्सिटी को बंद कर दिया है. क्या इन दस बारह लड़कों के लिए यूनिवर्सिटी बंद की जा सकती है. संजय कुमार यूनिवर्सिटी में चल रही गड़बड़ियों को लेकर कई बार धरने पर बैठ चुके हैं. 29 मई से धरना प्रदर्शन चल रहा है. इनका कहना है कि पहले भी हमला हो चुका है. उनके साथियों का कहना है कि उन पर हमला फेसबुक पोस्ट के कारण नहीं हुआ है, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए हुआ है. अगर ऐसा है तब तो और भी ख़तरनाक है. आप किसी को पिटवा दें और कह दें कि फला धर्म के खिलाफ फेसबुक पोस्ट किया था, किसी नेता के खिलाफ लिख दिया था.
कई प्रकार की भीड़ है. एक बहुत बड़ी भीड़ है. एक छोटी भीड़ है. फिर उससे छोटी भीड़ और उसके बाद उस भीड़ से छिटक दो चार लोगों का समूह है. 14 अगस्त को दिल्ली में जेएनयू के छात्र उमर खालिद पर हमला होता है. उमर पर हमला होते ही हमले को नौटंकी या झूठा बताने वाले सोशल मीडिया पर तुरंत सक्रिय हो गए. इस भीड़ को अब डर नहीं क्योंकि उसके साथ बहुत लोग खड़े हैं.
दिल्ली पुलिस ने इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों हिसार से पकड़े गए हैं. एक का नाम दरवेश शाहपुर और दूसरे का नवीन दलाल है. इन्हें कोर्ट ने 2 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. दिल्ली पुलिस इनके ज़रिए क्राइम सीन को फिर से दोहराएगी और सबकी भूमिका देखेगी. इससे पहले दोनों ने पंजाब के लुधियाना में सरेंडर करने का ऐलान किया था मगर उस दिन लापता हो गए. वीडियो में आप देख सकते हैं कि दोनों संविधान और सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने की बात करते हैं. उमर को गद्दार कहते हैं. जेएनयू वाला गैंग कहते हैं. पीएचडी के इस छात्र को कहते हैं कि यह देश को खोखला करने में लगा है. बोलता है कि हरियाणा के बुज़ुर्गों ने सीखाया है कि बिना देरी किए एडजस्ट कर देना चाहिए. आप देखिए कि झूठी बातों को लेकर उमर के बाहर इनके दिमाग में इतना ज़हर भर दिया गया है कि ये कानून हाथ में लेने से नहीं डरते. ये अपने काम को देशभक्ति का काम समझते हैं इसीलिए इस वीडियो में कहते हैं कि महान देशभक्त करतार सिंह सराबा के घर पर गिरफ्तारी दे देंगे. इस ज़हर में देशभक्ती का राग भी है. देशभक्ति का राग हो तो भीड़ होने का लाइसेंस मिल जाता है. ये कहते हैं कि देश के लिए ये काम किया है. ये ज़हर किसने भरा इनके दिमाग में.
This Article is From Aug 21, 2018
भीड़ आख़िर इतनी अराजक क्यों हो रही है?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:अगस्त 21, 2018 23:45 pm IST
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Published On अगस्त 21, 2018 23:45 pm IST
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Last Updated On अगस्त 21, 2018 23:45 pm IST
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