हिंदुस्तान और अफगानिस्तान को हजारों रिश्ते जोड़ते हैं

नई दिल्‍ली:

हिंदुस्तान और अफगानिस्तान को हजारों रिश्ते जोड़ते हैं। भाईचारगी का रिश्ता, भरोसे का रिश्ता, काबुलिवाले और मिनी का रिश्ता। लेकिन इन रिश्तों पर पाकिस्तान की दुश्मनी का साया भी है। इसलिए पिछले एक साल में इसमें कुछ सुस्ती आई है।

क्योंकी अशरफ गनी का रुझान पाकिस्तान की तरफ रहा है। उन्होंने पाकिस्तान में अपनी सेना की टुकड़ियों को ट्रेनिंग के लिए भेजा, अफगान जेलों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को कैदियों से पूछताछ की इजाजत दी। ये पाकिसातन को खुश करने की कुछ मिसाल है।

इसके पहले करजई ने भारत में अफगान आर्मी को ट्रेनिंग के लिए भेजा था जो पाकिस्तान को नागवार गुजरा था। लेकिन अब करजई और अवाम का बड़ा हिस्सा ये सवाल उठा रहा है कि जो मुल्क तालिबान को ट्रेन करके अफगानिस्‍तान में हमला कर रहा है वो ही सेना को ट्रेन करे ये सही नहीं।

लेकिन इस भरोसे के बाद भी काबुल को अब तक क्या मिला। आज पहले से कहीं कम महफूज है काबुल। गनी अपने भारत दौरे के लिए कुछ घंटों की देरी से रवाना हुए क्योंकि कुंदुज में तालिबान ने फिर हमला किया। हाल ही में जलालाबाद पर हुए हमले में 35 आम लोग मारे गए। ये साफ जानते हुए कि तालिबान पर पाकिस्तान की पकड़ है, क्या पाकिस्‍तान ने अब तक अफगान तालिबान के साथ अमन की बातचीत की कोई संजीदा कोशिश की है? ऐसा नजर तो नहीं आता।

अफगानिस्तान की अवाम में हिंदुस्तान की बहुत अच्छी छवि है। हालांकि काबुल की मांग रही है कि भारत आतंकवाद से लड़ने में उसकी और मदद करे लेकिन 2011 में स्ट्रैटेजिक ट्रीटी साइन करने के बावजूद भारत ने अपने को गुडविल मिशन तक सीमित रखा है। हिंदुस्तान का गुडविल है क्योंकी भारत ने वहां अस्पताल, युनिवर्सिटी यहां तक कि उनकी संसद की इमारत तक बनाने का काम किया है।

भारत ने अफगानिस्‍तान को फिर से बनाने के लिए 2 बिलियन डॉलर दिया था। अफगानिस्‍तान के राष्ट्रपति बनने के सात महीने बाद अशरफ गनी भारत दौरे पर आए हैं। इससे पहले वो चीन, पाकिस्‍तान और सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं। इसलिए ये सवाल उठते रहे हैं कि वो भारत को कम तवज्जो दे रहे हैं।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

इसलिए अपने पहले भारत दौरे में जरूरत है कि अशरफ गनी रिश्तों में नया भरोसा पैदा करें और नई दिल्ली को ये यकीन दिलाएं कि अफगानिस्‍तान अपने पुराने दोस्त ते साथ उसी भाईचारगी के साथ रहना चाहता है जिसकी शुरूआत उन सैकड़ों काबुलीवालों ने की थी जो हमारी तहजीब का हिस्सा रहे हैं, जिन्हें आज अशरफ गनी ने खुद याद किया और कहा कि टैगोर से बड़ा ब्रांड अंबैसडर अफगानिस्‍तान को करोड़ों खर्च कर के भी नहीं मिलते।