अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी (BJP) को टक्कर देने के लिए एक अलग मोर्चा (Third Front) बनाने की कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए एनसीपी नेता शरद पवार के घर पर एक बैठक भी हुई, हालांकि उसके बारे में यह जरूर कहा गया कि यह तीसरे मोर्चे के लिए नहीं किया गया है. मगर बातें वहां पर इसी को लेकर की गईं. अब यूपीए के दो घटक दल शिवसेना और आरजेडी ने यह साफ कर दिया है कि बिना कांग्रेस के कोई मोर्चा बन ही नहीं सकता. शिवसेना के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि कांग्रेस के सिवाय अपोजिशन का कोई मोर्चा सफल नहीं होगा. अभी जो है उसे ही मजबूत करना होगा. मजबूत विकल्प खड़ा करना होगा. इसके लिए हमें कांग्रेस नेतृत्व से बात करनी होगी. लेकिन इसमें पेंच है कि नेतृत्व कौन करेगा.
वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि कांग्रेस के बिना कोई अपोजिशन की कल्पना नहीं की जा सकती है. देश की सबसे पुरानी और बड़ी पार्टी है कांग्रेस, उसके बिना कैसे किसी मोर्चे की बात सोची जा सकती है. मगर इतना जरूर है कि संजय राउत है तेजस्वी दोनों नेता कौन होगा इस सवाल पर चुप हो जाते हैं या गोल मोल जबाब देते हैं. संजय राउत कहते हैं कि नेतृत्व कौन करेगा जब ये बात आती है तो गड़बड़ हो जाती है, वहीं तेजस्वी कहते हैं कि नेता तो जनता बनाएगी, जब समय आएगा जनता नेता भी बना देगी. दरअसल शरद पवार या कहें प्रशांत किशोर, जिनकी दो मुलाकातें हो चुकी हैं, का मानना है कि करीब 200 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हैं. वहां कोई और दल नहीं है.
उनके बीच में इनमें नॉर्थ इस्ट राज्यों के अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, केरल, छत्तीसगढ, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल, गोवा जैसे राज्य हैं. इन 200 सीटों को छोड़ दिया जाए तो 300 सो अधिक सीटें बचती हैं जहां कोई मोर्चा बनाया जा सकता है. इनमें से दो और राज्यों को बाहर किया जा सकता है, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को, क्योंकि इनके बारे में कहा जाता है कि ये केन्द्र में बीजेपी की मुखालफत नहीं करना चाहते हैं. तब भी 250 सीटें बचती हैं जहां एक मोर्चा बना कर लड़ा जाए तो बात बन सकती है.
मगर सबसे बड़ी बात है कि इस मोर्चा का चेहरा कौन हो सकता है. ममता बनर्जी ने जिस तरह से बंगाल में बीजेपी को शिकस्त दी है और तीसरी बार सत्ता में आई हैं, उनका कद काफी बढ़ा है. ऐसे में उनको भी कमान दी जा सकती है.नहीं तो शरद पवार जैसे नेता भी मौजूद हैं जो सबको सर्वमान्य हो सकते हैं. यह भी कोशिश है जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां उनको सभी दल मिल कर मजबूती प्रदान करें, जैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी है.
सबको लगता है कि यदि उत्तर प्रदेश में बीजेपी को रोक दिया जाए तो 2024 में उसे हराया जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश, बंगाल और महाराष्ट्र में बीजेपी को रोक दिया जाए तो उसकी हालत खराब हो सकती है. लेकिन मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में कांग्रेस को काफी मेहनत करनी पड़ेगी. इन राज्यों में बीजेपी को रोकना अनिवार्य होगा. 2024 से पहले 16 राज्यों में चुनाव होने हैं और इन राज्यों में विपक्षी दलों के प्रर्दशन पर ही निर्भर करेगा कि कोई मोर्चा 2024 तक बन पाता है या नहीं.
(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...)
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