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शिक्षक दिवस: क्या AI ले पाएगा इंसानी शिक्षकों का स्थान

हिमांशु जोशी
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 05, 2025 12:46 pm IST
    • Published On सितंबर 05, 2025 12:45 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 05, 2025 12:46 pm IST
शिक्षक दिवस: क्या AI ले पाएगा इंसानी शिक्षकों का स्थान

आज देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. इस बीच शिक्षा के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका चर्चा का विषय बनी हुई है. पुणे इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के दो शोधार्थियों ने एआई प्लेटफार्म MindCraft विकसित किया है. यह प्लेटफार्म गांव के बच्चों को वही सुविधा दे सकता है जो शहरों में अच्छे स्कूलों के छात्र पाते हैं. व्यक्तिगत सीखने का अनुभव, बहुभाषी सामग्री और करियर मार्गदर्शन अब उनके बनाए डिजिटल गुरु जरिए संभव हो रहा है. वहीं, आईआईटी बॉम्बे का रोबोट 'शालू' और सीबीएसई का एआई पाठ्यक्रम भविष्य की झलक दिखाते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि एआई शिक्षकों की जगह नहीं लेगा, बल्कि उन्हें सहारा देकर छात्रों को बराबरी का अवसर देगा.

क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस 

हर साल पांच सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. यह दिन देश के दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षक डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती से जुड़ा है. भारत के पूर्व राष्ट्रपति से जब उनके शिष्यों और दोस्तों ने उनका जन्मदिन मनाने की बात कही तो उन्होंने सुझाव दिया कि अगर उन्हें सम्मान देना है तो इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए. तब से यह दिन शिक्षकों और शिक्षा के महत्व को हमारे सामने लाता है.

गांवों के लिए एआई क्लासरूम

पुणे इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के दो शोधार्थियों अरिहंत बरडिया और आयुष अग्रवाल ने  MindCraft: Revolutionizing Education through AI Powered Personalized Learning and Mentorship for Rural India शीर्षक से एक शोधपत्र लिखा है. इसमें एआई को ग्रामीण शिक्षा के लिए अहम सहारा बताया गया है. यह प्लेटफार्म छात्रों की क्षमता और कमजोरियों को पहचान कर, व्यक्तिगत रूप से उनके लिए नया सीखने का रास्ता तैयार करता है. गणित या अंग्रेजी में पिछड़ने वाले छात्र को प्लेटफार्म द्वारा उसी स्तर की सामग्री और अभ्यास उपलब्ध कराया जाता है. सामग्री कई स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे भाषा की बाधा कम होती है. इंटरनेट की अनुपलब्धता के बावजूद ऑफलाइन मोड में पढ़ाई जारी रह सकती है.

जब रवि को मिला AI गुरु, तो क्या हुआ 

शोधपत्र के मुताबिक मध्य प्रदेश के एक छोटे गांव में रहने वाला रवि हमारे लिए ग्रामीण शिक्षा की चुनौतियों का वास्तविक उदाहरण है. उसके स्कूल में सिर्फ दो शिक्षक थे और 150 छात्रों की संख्या में उसे व्यक्तिगत ध्यान मिलना असंभव था. अंग्रेजी में उपलब्ध अधिकांश ऑनलाइन पाठ्य सामग्री उसकी समझ से बाहर थी. गांव में उसके पास कोई करियर मार्गदर्शक उपलब्ध नहीं था. MindCraft ने रवि की शिक्षा को पूरी तरह बदल दिया. प्लेटफार्म की AI Powered प्रणाली ने उसके कमजोर विषयों जैसे गणित और अंग्रेजी की पहचान कर उसके लिए इन विषयों को समझना आसान बनाया. बहुभाषी सामग्री, इंटरैक्टिव क्विज के मार्गदर्शन ने उसे अपनी गति से सीखने का अवसर दिया. इससे रवि का आत्मविश्वास बढ़ा. रवि ने MindCraft से अकादमिक मदद लेने के साथ उसके मेंटरशिप प्रोग्राम के जरिए कोडिंग और करियर विकल्पों की खोज की. उसने पहली बार Python प्रोजेक्ट पूरा किया, यह दिखाता है कि कैसे AI और व्यक्तिगत मेंटरशिप ग्रामीण छात्रों को शहरी बच्चों के बराबर अवसर दे सकते हैं. छह महीने बाद रवि में बदलाव दिखने शुरू हुए. कक्षा में सक्रिय भागीदारी बढ़ने के साथ उसके परीक्षा में अच्छे अंक आए. उसने अपने लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का लक्ष्य भी निर्धारित कर लिया है.

सीबीएसई भी 'शालू' के साथ 

केंद्रीय विद्यालय, आईआईटी बॉम्बे के शिक्षक दिनेश कुंवर पटेल की बनाई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ह्यूमनॉइड रोबोट टीचर 'शालू' भी भविष्य के इन एआई शिक्षकों का उदाहरण है. शालू नौ भारतीय और 38 विदेशी भाषाएं बोल और समझ सकती है. छात्रों को अच्छी तरह पढ़ाने के अलावा, शालू उनके सवालों के जवाब भी देती है.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) भी चाहता है कि AI बच्चों के शिक्षण का हिस्सा बने. उनकी वेबसाइट के अनुसार, सीबीएसई का AI पाठ्यक्रम '1M1B' द्वारा प्रबंधित शिक्षक सलाहकारों और 'IBM' के समर्थन से तैयार किया गया है. सीबीएसई और इसके सहयोगी मिलकर छात्रों को भविष्य के लिए सशक्त बनाने का लक्ष्य रखते हैं. AI को उनकी शिक्षा में शामिल करने से छात्र न केवल AI को समझने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल प्राप्त करते हैं, बल्कि अपनी शिक्षा और भविष्य की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए इसके संभावित उपयोग को भी सीखते हैं.

क्या एआई ले लेगा शिक्षक की जगह?

भविष्य के इन शिक्षकों के बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने पेपर के सह लेखक अरिहंत बरडिया से संपर्क किया. उनका कहना है कि एआई कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं बन सकता. अरिहंत कहते हैं शिक्षक केवल किताबों से जुड़ा ज्ञान नहीं देते बल्कि वे बच्चों में जिज्ञासा जगाते हैं, आत्मविश्वास भरते हैं और जीवन के मूल्य सिखाते हैं. यह सब कोई मशीन नहीं कर सकती. अरिहंत ने आगे बताया कि MindCraft को इसी सोच के साथ बनाया गया है कि यह शिक्षकों का बोझ कम करे. एआई से छात्रों को व्यक्तिगत सामग्री और अभ्यास मिल जाता है, जिससे शिक्षकों के लिए छात्रों के मार्गदर्शन का रास्ता आसान हो जाता है. अरिहंत का मानना है कि असली चुनौती अब साधनों की कमी नहीं, बल्कि बराबरी के अवसरों की है. अगर तकनीक इस खाई को पाट सके, तो गांव का बच्चा भी उतनी ही ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है जितनी किसी बड़े शहर का.

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं, उससे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

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