नई दिल्ली : 2015 का वर्ल्ड कप ख़त्म होने जा रहा है। रविवार को आखिरी मैच यानी फाइनल न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाएगा और इसके साथ 43 दिन का यह सफर समाप्त हो जाएगा। शायद यह मैच इस वर्ल्ड कप का सबसे बेहतरीन मैच होगा।
इसीलिए नहीं कि यह वर्ल्ड कप का फाइनल है, बल्कि इसीलिए क्योंकि दोनों टीमें शानदार फॉर्म में हैं और दोनों टीम की कप्तानी भी शानदार रही है। ब्रैंडन मैक्कुलम और माइकल क्लार्क ने यह साबित किया है, चाहे हालात कुछ भी हों मैच जीतना ही है। न्यूज़ीलैंड को हराना ऑस्ट्रेलिया के लिए आसान नहीं होगा।
भारत के लोग दो वजह से न्यूज़ीलैंड को नमस्ते करते हुए नज़र आएंगे, मेरा मतलब न्यूज़ीलैंड की जय-जयकार करते हुए नजर आएंगे। पहली वजह यह है कि न्यूज़ीलैंड को पहली बार फाइनल में पहुंचने का मौका मिला है और इसका फायदा उठाते हुए न्यूज़ीलैंड वर्ल्ड कप जीते। दूसरी वजह है ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के स्लेजिंग से क्रिकेट प्रेमी परेशान हैं। पिछले कुछ दिनों में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने स्लेजिंग को अपना एक हथियार मान लिया है।
ऐसा लगता है कि मैच के दौरान ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के लिए तीन चीजें मायने रखती हैं, बैटिंग, बॉलिंग और स्लेजिंग। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान रमीज़ राजा कहते हैं, 'ऑस्ट्रेलिया की यह योजना होती है कि मैदान के अंदर तू-तू-मैं-मैं करेंगे और मैच जीत जाने के बाद बियर का गिलास हाथ में लेकर विपक्षी टीम के ड्रेसिंग रूम में हाथ मिलाने पहुंच जाएंगे। ऐसा लगता है ज़ख्म पर नमक छिड़कने आए हैं।
अगर ऑस्ट्रेलिया के नजरिए देखा जाए तो घरेलू मैदान पर खेलने के वजह से ऑस्ट्रेलिया को फायदा जरूर मिलेगा। न्यूज़ीलैंड के लिए सबसे बड़ी समस्या होगी ऑस्ट्रेलिया के घरेलू दर्शकों के सामने प्रदर्शन करना जिसका मनोवैज्ञानिक दबाव होता है। लेकिन फॉर्म की बात की जाए तो न्यूज़ीलैंड ऑस्ट्रेलिया से अच्छी फॉर्म में है।
लीग मैच के दौरान न्यूज़ीलैंड ऑस्ट्रेलिया को हरा भी चुका है लेकिन यह भी सच है कि न्यूज़ीलैंड ने यह मैच अपने घरेलू मैदान ऑकलैंड में खेला था। 2015 के वर्ल्ड कप में न्यूज़ीलैंड ने एक भी मैच ऑस्ट्रेलिया के मैदान पर नहीं खेला है। लेकिन भारत के दर्शक मेलबर्न के मैदान पर न्यूज़ीलैंड के साथ खड़े नज़र आएंगे।
इस मैच में भी दूसरे मैचों की तरह टॉस काफी मायने रखेगा। जो भी टीम टॉस जीतेगी पहले बल्लेबाजी करेगी क्योंकि इस मैदान पर 2015 के वर्ल्ड कप में अभी तक चार मैच हो चुके हैं और पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने हर बार मैच जीता है और हर मैच में पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने 300 से ज्यादा रन भी बनाए हैं।
अगर आंकड़ों के नजरिए से देखा जाए तो ऑस्ट्रेलिया आगे है। इस वर्ल्ड कप के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने अपना पहला मैच मेलबर्न के मैदान पर खेला था और पहले बैटिंग करते हुए 342 रन बनाए थे और इंग्लैंड को 111 रन से भी हराया भी था। 2009 के बाद न्यूज़ीलैंड ने कोई भी मैच मेलबर्न के मैदान पर नहीं खेला है।
न्यूज़ीलैंड ने इस मैदान पर अपना आखिर मैच 6 फरवरी 2009 को खेला था और 6 विकेट से ऑस्ट्रेलिया को हराया था। मेलबर्न के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया ने कुल 118 एकदिवसीय मैच खेले हैं और 71 मैचों में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली है और जीत का प्रतिशत 62 के करीब रहा है। वहीं अगर न्यूजीलैंड की बात करें तो न्यूज़ीलैंड को कुल 24 एकदिवसीय मैचों में सिर्फ 8 में जीत मिली है और जीत का प्रतिशत 35 के करीब रहा है।
भारत इस वर्ल्ड कप से बाहर हो चुका है। अब भारत के लोग बिना दबाव में आए यह मैच देखेंगे। अब कोई ड्रामा नहीं होगा, ड्रम नहीं बजेगा, न्यूज़ चैनल पर भारत के खिलाड़ियों की खिंचाई भी नहीं होगी। अब वही होगा जो होना चाहिए। जो जीतेगा वही सिकंदर...।