सुशील महापात्रा की कलम से : दिल्ली के विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी होनी चाहिए?

सुशील महापात्रा की कलम से : दिल्ली के विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी होनी चाहिए?

दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली:

दिल्ली के विधायकों के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं। अब आप जब भी अपने विधायक की घर जाइएगा, चाय पीजिएगा और वह भी दूध वाली चाय, एयर कंडीशन कमरे में बैठिएगा। अब आपको बैठने के लिए महंगा फर्नीचर भी मिलने की उम्मीद है। आप यह भी ध्यान रखिएगा कि आप के इलाके विधायक ने कोई दफ्तर किराए पर लिया है या नहीं?

दिल्ली में विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी वाला बिल विधानसभा में पास हो गया है। अब यह बिल उपराज्यपाल के पास जाएगा और उपराज्यपाल केंद्र सरकार के पास भेजेंगे। अगर केंद्र सरकार इस बिल को मंजूरी दे देती है तो विधायकों को वेतन और भत्ता आदि कुल मिलाकर 2,35,000 रुपया मिलेगा जो अभी 88000 रुपये है।

बहुत दिनों से विधायकों का वेतन बढ़ाने की मांग हो रही थी। ऐसे कई दलीलें दी जा रही थीं कि लोगों को चाय पिलानी पड़ती है, बिजली और टेलीफोन बिल ज्यादा आता है। शादी में जाना पड़ता है, गिफ्ट देना पड़ता है। अगर विधायकों का वेतन बढ़ जाएगा तो मासिक वेतन 12 हज़ार से बढ़कर 50 हज़ार हो जाएगा। अब विधानसभा में उपस्थित रहने के लिए रोज़ 1000 रुपये की जगह 2000 रुपये मिलेगा। पहले विधायकों की यात्रा के लिए 50 हज़ार रुपया मिलता था, अब इसे बढ़ाकर दो लाख कर दिए जाने की सिफारिश की गई है।

विधायक अब विदेश दौरा भी कर सकते हैं। विधायकों को लैपटॉप, मोबाइल, प्रिंटर आदि के लिए पूरे कार्यकाल में एक लाख रुपया, अपने विधानसभा क्षेत्र में ऑफिस किराए पर लेने के लिए 25 हज़ार रुपया महीना, ऑफिस स्टाफ के वेतन के लिए 70 हज़ार रुपया महीने की बात कही गई है।

बिल में यात्रा भत्ता भी 6 हज़ार से 30 हज़ार रुपये कर दिया गया या है। टेलीफोन बिल 8 हज़ार की जगह 10 हज़ार रुपये कर दिया गया है। अब आप आपके विधायक को छोटी गाड़ी में नहीं देखेंगे क्योंकि गाड़ी खरीदने के लिए 4 लाख के बजाय 12 लाख रुपये का लोन दिए जाने की सिफारिश की गई है।

मैं भी मानता हूं कि विधायकों के वेतन में बढ़ोतरी होनी चाहिए। महंगाई से विधायक भी परेशान हैं। उनका भी अपना परिवार है। ऐसे कई लोग भी आते हैं जिन्हें विधायक मदद करता है, ऑफिस काम के लिए भी स्टाफ चाहिए, उनको ठीकठाक वेतन भी देना है। यह सब कुछ मायने रखता है। सबसे बड़ी बात यह है कि करप्शन से दूर रहने के लिए अच्छी सैलरी भी जरूरी है। लेकिन सवाल यह उठता है कि इतनी बढ़ोतरी क्यों? सबसे बड़ा सवाल गाड़ी खरीदने के लिए चार लाख की बजाय 12 लाख तक लोन की बढ़ोतरी की सिफारिश पर उठता है। अगर गाड़ी खरीदना है तो महंगी गाड़ी क्यों? आप को याद होगा अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए रामलीला मैदान मेट्रो में गए थे और सरकारी गाड़ी न इस्तेमाल करने की भी बात हो रही थी। चलिए हम मान लेते हैं कि यह गाड़ी खरीदने के लिए विधायक को लोन मिलेगा जो विधायक यह लोन चुकाएगा। लेकिन सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी के विधायक को महंगी गाड़ी की जरूरत क्यों? विधायकों की यात्रा के लिए 200000 रुपया की सिफारिश पर भी सवाल उठता है।

2012 में अरविन्द केजरीवाल जनलोकपाल पास न होने की वजह से बहुत आहत थे और एक ट्वीट के जरिए बताया था कि पिछले 44 सालों में लोकपाल को लेकर राजनेताओं के बीच कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाई। लेकिन अगर वेतन में बढ़ोतरी की बात होगी तो पांच मिनट में सर्वसम्मति बन जाएगी। सवाल यह उठता है यह डबल स्टैण्डर्ड क्यों? हो सकता है केजरीवाल सरकार ने जनलोकपाल बिल विधानसभा में पेश कर दिया है। लेकिन बिल अभीतक पास नहीं हो पाया है। लेकिन इससे पहले वेतन बढ़ाने का विधेयक विधानसभा में पास कर दिया गया। वह भी पांच मिनट से भी कम समय में।

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