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This Article is From Nov 15, 2016

सिर्फ नए एटीएम लगाना समस्या का हल नहीं, उनमें कैश भी तो हो...

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 15, 2016 13:04 pm IST
    • Published On नवंबर 15, 2016 12:18 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 15, 2016 13:04 pm IST
जब 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया, उनके इस कदम की ढेरों तारीफ होने लगी... सब कह रहे थे कि काले धन के खिलाफ यह बहुत बड़ी 'सर्जिकल स्ट्राइक' है... विपक्ष भी इस फैसले से इस कदर सन्न रह गया था कि उन्हें प्रधानमंत्री के इस कदम के खिलाफ कुछ कहने और एकजुट होने में कई दिन लग गए... यह भी कहा गया था कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और पंजाब के विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह कदम उठाया है... वैसे, इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार ने सही कदम उठाया है, और अगर इस नोटबंदी से कुछ भी काला धन वापस आ सकता है, तो वह बहुत अच्छी बात है...

लेकिन इसके बाद सरकार घिरती चली गई, जब लोगों की समस्याएं सामने आने लगीं... सरकार का सही कदम गलत प्लानिंग के साथ उठाया गया... सरकार ने उम्मीद नहीं की होगी कि बैंकों और एटीएम के सामने इतने लंबी कतारें होंगी... लोगबाग रात-रातभर बैंकों और एटीएम के सामने पैसा उठाने और जमा करने के लिए इंतज़ार करते रहेंगे... सरकार कह रही है कि 50 दिन तक ऐसी ही कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, यानी अब, जब कुछ दिन बाद कड़ाके की सर्दी पड़नी शुरू हो जाएगी, तब लोग कैसे रातभर कतार में खड़े रह पाएंगे, यह देखना बाकी है...

यह तो शहरों की बात है, लेकिन गांव में, जहां एटीएम नहीं हैं... जिन लोगों के पास न बैंक एकाउंट है, न डाकघर में खाता, उनका क्या हाल होगा, यह अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है... हाल ही में हमारे कुछ सहयोगियों ने उत्तर प्रदेश और बिहार के पांच गांवों का दौरा किया, और लोगों से उनकी समस्याएं जानने की कोशिश की... ज़्यादा से ज़्यादा लोग परेशानी में थे... नोट बदलने के लिए कहां जाएं, उन्हें पता ही नहीं था... जिनके पास बैंक एकाउंट हैं भी, वे भी एटीएम की गैरमौजूदगी से जूझ रहे हैं, और लोगों को अपना कामकाज छोड़कर दूर-दूर लगे एटीएम से या बैंकों से पैसा लेने जाना पड़ रहा है...

पैसा लेने के लिए चार-पांच घंटे कतार में खड़े होने का मतलब एक दिन की मजदूरी गंवाना है... गांव में कई लोगों को सही जानकारी भी नहीं थी, क्योंकि जिनके पास टीवी-रेडियो नहीं हैं, वे क्या करें... कई लोगों यह भी लग रहा है कि पैसा बैंक में पहुंच जाने के बाद दोबारा वापस नहीं मिलेगा... ऐसे में उन्हें कौन समझाएगा...? ऐसे में गांवों के लिए सरकार को कुछ खास प्रबंध करना चाहिए था...

सोमवार को हमारे साथी शरद शर्मा 50 से भी ज़्यादा एटीएम घूम आए और ज़्यादा से ज़्यादा एटीएम में नकदी नहीं थी, और जहां थी, वहां बहुत लंबी कतार थी... मैं जहां रहता हूं, वहां आसपास करीब 10 एटीएम हैं, लेकिन पिछले चार दिन में जिस-जिस एटीएम में मैं गया, वहां मुझे कभी कैश नहीं मिला और जिन एक या दो एटीएम में पैसे थे, वहां लंबी कतार थी... सबसे ज़्यादा गुस्सा तब आया, जब स्टेट बैंक के सामने खड़ा हुआ गार्ड बोला कि चार दिन से एटीएम ख़राब है, लेकिन ठीक करने के लिए कोई नहीं आया... आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारा सिस्टम कैसे चलता है...

वैसे, तीन-चार घंटे तक लंबी कतार में खड़े होकर पैसा लेना भी आसान बात नहीं... कतार में खड़े होने के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि आप एटीएम से पैसा ले पाएंगे, क्योंकि हो सकता है, आपका नंबर आते-आते कैश खत्म हो जाए, और ऐसा हो भी रहा है... सोमवार को एक एटीएम के सामने बहुत छोटी-सी कतार दिखी... हैरान होकर जब लोगों से पूछा तो पता चला, एटीएम में कैश नहीं है, लेकिन वे इस उम्मीद के साथ खड़े है कि बैंक से कैश जमा करने कोई आ सकता है, क्योंकि एक दिन पहले उसी समय लोग आए थे... मैं यह सब इसीलिए बता रहा हूं, क्योंकि रिज़र्व बैंक का कहना है कि कैश की कमी नहीं है, और सरकार और बैंक नए एटीएम खोलने की बात भी कर रहे हैं...

लेकिन क्या नए एटीएम खोलने से सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा...? शायद नहीं... एटीएम की कमी अब भी नहीं है, लेकिन एटीएम में कैश की कमी है... अगर एटीएम में 24 घंटे कैश रहेगा, तो कतारें इतनी लंबी नहीं रहेंगी... सरकार को समझना चाहिए कि एटीएम में लंबी कतारें कैश की कमी के कारण हैं... उधर, जिन इलाकों में एटीएम नहीं हैं, वहां खोले जा सकते हैं...

अगर एटीएम में ज़्यादा से ज़्यादा कैश होगा तो सरकार को एक और नियम भी बना देना चाहिए कि एक व्यक्ति एक दिन में 2,000 निकाल सकता है, या पूरे हफ्ते में 14,000... लेकिन अगर एक बार में 14,000 निकालने की अनुमति दे दी जाए, तो जिसने भी 14,000 निकाल लिए, उसे एक हफ्ते तक कतार में खड़े होने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी... इससे फायदा यह होगा कि कतार अपने आप कम होती जाएगी...

सोमवार को ही हमारे सहयोगी मुकेश सिंह सेंगर ने भी उन कंपनियों से बात की, जो एटीएम या बैंक में कैश पहुंचाने का काम करते हैं... मुकेश का कहना है कि सरकार के इस कदम के बाद वे लोग बैंकों और एटीएम में पैसा पहुंचाने के लिए 24 घंटे काम कर रहे है... साबित हुआ कि यह काम करने वालों की कमी है... 24 घंटे काम करने के बाद भी अगर एटीएम में कैश की कमी हो रही है, तो यह सरकार की गलत प्लानिंग की नतीजा है... इस कदम को उठाने से पहले सरकार को बैंकों के ज़रिये ज़्यादा से ज़्यादा ऐसी कंपनियों को हायर करना चाहिए था, और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस काम के लिए ट्रेनिंग देनी चाहिए थी...

जब एटीएम में कैश ज़्यादा जमा नहीं हो पा रहा है, तो फिर कैश लिमिट बढ़ाकर 2,500 करने का क्या मतलब है... इसमें यही होगा कि कुछ लोगों को पैसा मिलेगा और बाकी खाली हाथ लौटेंगे... मान लीजिए, बैंक ने एटीएम में पांच लाख जमा किया तो 2,000 के हिसाब से 250 ग्राहक एटीएम से पैसा निकाल सकते हैं... अगर 2,500 रुपये निकालने लगेंगे, तो 200 आदमी पैसा निकाल पाएंगे, यानी 50 व्यक्ति पैसे से वंचित रह जाएंगे, और फिर यही 50 लोग किसी दूसरे एटीएम पर कतार में लगेंगे, और कतार लंबी होती चली जाएंगी... हां, यह अलग बात है कि जिसे एटीएम से एक हफ्ते में 10,000 रुपये निकालने हैं, उसे अब पांच की जगह सिर्फ चार बार कतार में लगना पड़ेगा... लेकिन चार या पांच बार से ज़्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि पैसा सभी को मिल सके...

सरकार को एटीएम लिमिट 2,000 से कम कर देनी चाहिए थी, और साथ ही बैंकों को एटीएम में ज़्यादा से ज़्यादा कैश लोड करने की व्यवस्था करनी चाहिए... लिमिट की समस्या नहीं है, समस्या कतार में तीन-चार घंटे खड़े होने की है... जिसे ज़्यादा कैश चाहिए, वह तो बैंक जाकर भी ले सकता है... एटीएम से निकालने वाले के लिए ज़्यादा समस्या है... अगर कतार में खड़े होने की समस्या ख़त्म हो जाएगी, तो सरकार की आधी से ज़्यादा समस्या का समाधान हो जाएगा...

अब कुछ राजनैतिक दल एकजुट हो गए हैं... ग़रीबों को दिक्कतें आ रही हैं, इसके नाम पर राजनैतिक फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं... यह कह रहे हैं कि सरकार को अपने कदम को वापस ले लेना चाहिए, और सही प्लानिंग के साथ दोबारा लागू करना चाहिए... यानी, जब तक लोग अपने काले धन को सही-सलामत कहीं जमा न कर दें... देश में राजनीति तो होती ही रहेगी, लेकिन अब सरकार के पास एक मौका है, जो भी कमियां हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर करे, और लोगों का दिल जीते, वरना यह सही कदम सरकार के लिए उल्टा पड़ सकता है...

सुशील कुमार महापात्र NDTV इंडिया के चीफ गेस्ट को-ऑर्डिनेटर हैं...

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