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डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की बैठक आज, युद्ध खत्म करने के लिए रूस रख सकता है ये शर्तें

गौरव कुमार द्विवेदी
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 15, 2025 15:14 pm IST
    • Published On अगस्त 15, 2025 14:51 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 15, 2025 15:14 pm IST
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन की बैठक आज, युद्ध खत्म करने के लिए रूस रख सकता है ये शर्तें

रूस-यूक्रेन जंग को आज 1269 दिन पूरे हो चुके हैं. पूरी दुनिया की निगाहें 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर लगी हुई हैं. इससे पहले अमेरिकी खेमा दावा कर रहा है कि फिर से शांति कायम होगी. हालांकि सीजफायर की संभावनाओं के बीच, इस बैठक में न तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को बुलाया गया है और न ही यूरोप के किसी और नेता को. ट्रंप का कहना है कि वो पुतिन से युद्ध खत्म करने का अनुरोध करेंगे और रूसी राष्ट्रपति की शर्तों पर भी गौर किया जाएगा. बैठक से पहले ट्रंप ने चेतावनी भी दी है कि अगर रूस युद्ध खत्म करने पर सहमत नहीं हुआ तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. अब देखना यह होगा कि इस मुलाकात से रूस-यूक्रेन युद्ध से प्रभावित दोनों देशों की करीब 20 करोड़ की आबादी के लिए क्या खबर निकलकर आएगी? 

ट्रंप के सामने पुतिन रख सकते हैं ये शर्तें 

ट्रंप और पुतिन की मीटिंग पर यूक्रेन से लेकर यूरोप तक की नजरें टिकी हुई हैं. संभावना जताई जा रही है कि पुतिन डोनबास से यूक्रेन की फोर्स वापसी की मांग रख सकते हैं. वो डोनबास पर भी दावा जताएंगे. यूक्रेन को नाटो का सदस्य ना बनाए जाने और यूक्रेन में संवैधानिक सुधार की बात भी उनकी शर्तों में शामिल होंगी. अगर जेलेंस्की इनकार करते हैं तो पुतिन चाहेंगे कि ट्रंप यूक्रेन को सभी सैन्य मदद बंद कर दें और यूरोपीय देशों को हथियारों की बिक्री भी रोक दें, ताकि वे उन्हें यूक्रेन को ट्रांसफर न कर सकें.

यूके, फ्रांस और जर्मनी की यूरोपीय'तिकड़ी E3' यूक्रेन के साथ ना सिर्फ मजबूती से खड़ी है, बल्कि उसे पूरी तरह से आर्थिक और सैन्य सहायता भी मुहैया करा रही है. यूरोप के ये देश बिना शर्त तात्कालिक तौर पर सीजफायर चाहते हैं. यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूक्रेन को 'सुरक्षा गारंटी' दी जाए. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो की मांग है कि यूक्रेन को इस बैठक में शामिल किया जाए.

क्या बैठक के नजीतों को जेलेंस्की मान जाएंगे? 

सबसे अहम सवाल यह है कि बिना जेलेंस्की की मौजूदगी के यूक्रेन के भाग्य का फैसला हो जाएगा? बैठक से पहले जेलेंस्की ने कहा है कि पूर्वी यूक्रेन की जमीन रूस को नहीं दी जाएगी.वहीं डोनबास क्षेत्र को छोड़ने से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए यूक्रेन में तीसरा युद्ध शुरू करने का रास्ता खुल जाएगा. अलास्का की बैठक से पहले उन्होंने कहा है कि रूसियों के लिए, डोनबास भविष्य के नए आक्रमण का आधार है. अगर हम अपनी मर्जी से या दबाव में डोनबास छोड़ते हैं तो हम तीसरा युद्ध शुरू कर देंगे.ट

अब तक पांच अमेरिकी राष्ट्रपतियों से मिल चुके हैं पुतिन 

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले 25 साल में अमेरिका के पांच राष्ट्रपतियों से मुलाकात कर चुके हैं. इसमें बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा,डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन शामिल हैं. ट्रंप से यह उनकी दूसरी मुलाकात होगी. क्लिंटन 2000 में मॉस्को के दौरे पर थे. इसके बाद नवंबर 2001 में बुश और पुतिन की टेक्सास में मुलाकात हुई थी. 9/11 के हमले के बाद पुतिन उन पहले विदेशी नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने जॉर्ज डब्ल्यू बुश को फोन किया था. साल 2009 में मॉस्को में ओबामा, हेलेंस्की (फिनलैंड) में ट्रंप और जेनेवा में बाइडन के साथ पुतिन की चर्चा हुई थी.

क्या अलास्का कभी रूस का हिस्सा था

डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन जिस अलास्का में मिलने वाले हैं, वह पहले कभी रूस का हिस्सा हुआ करता था. अमेरिका ने 1867 में इस इलाकों को रूस से खरीद लिया. इस इलाके को 1959 में अमेरिकी राज्य का दर्जा दिया गया. इससे पहले अलास्का के एंकोरेज में मार्च 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन की नई कूटनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा टीम की उनके चीनी समकक्षों से मुलाकत हुई थी. ट्रंप और पुतिन की मुलाकात जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में होगी.यह अलास्का का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है. करीब 64 हजार एकड़ में फैला यह बेस आर्कटिक क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य तैयारियों का एक अहम केंद्र है. एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन एयर फोर्स बेस (JBER), अलास्का में स्थित है. यह कई नजरिए से महत्वपूर्ण है. यह बेस NORAD (नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड) के अलास्का का क्षेत्रीय मुख्यालय है, जो अलास्का के वायु क्षेत्र की सतत निगरानी करता है और किसी भी बाहरी घुसपैठ की तुरंत पहचान और प्रतिक्रिया देता है. 

अस्वीकरण: इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं. उनसे एनडीटीवी की सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

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