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This Article is From Nov 29, 2018

क्यों रुला रहा है प्याज अब राजस्थान के किसानों को...

Ravish Ranjan Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 29, 2018 19:57 pm IST
    • Published On नवंबर 29, 2018 19:56 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 29, 2018 19:57 pm IST
राजस्थान में प्याज की खेती के लिए अलवर और भरतपुर मशहूर है. पिछले साल अलवर की मंडी में दाम 15 से 18 रुपये किलो था, जो इस साल गिरकर मात्र तीन से चार रुपये किलो रह गया है. अपनी फसल की सही रकम नहीं मिलने से यहां किसान परेशान हैं. सुबह मैं अलवर की प्याज मंडी पहुंच गया....किसान पप्पू भाई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. दस बजे किसानों के प्याज की बोली लगेगी. पप्पू भाई आए और आते ही अजीब आवाज में बोले...ऐ...कालीचरण कहां रहता है तू....वो हंसते हुए दुबक गया...अब किसानों के 8 महीने की खून पसीने से उगाई प्याज की कीमत पप्पू भाई सैकड़ों में तय कर रहे हैं...अलवर की प्याज मंडी में इस प्याज की कीमत तय हुई है...दो सौ रुपये में 60 किलो यानि तीन साढ़े तीन रुपये किलो...

पप्पू भाई तेज तेज आवाज लगाते हैं, काली चरण दाम लिखो..200 रुपये में 60 किलो.....चलो आगे बढ़ो. अलवर प्याज मंडी के प्रधान पप्पू बोली लगाकर जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं....किसानों की निराशा हताशा भी बढ़ती जाती है.. प्याज की बोली के बाद श्री राम निराश हैं..उनके हाथ में गुजरात बीज और खुद के बीज की प्याज है...गहरे लाल रंग की गुजरात बीज की प्याज का घाटा और बड़ा है...ऊपर से डीएपी खाद और मजदूरी के बाद हर बीघे पर लागत 15 से 18000 है. एक बीघे में 30 कुंतल प्याज की कीमत उन्हें महज 12000 मिले. पिछले साल डीएपी खाद एक हजार पचास की थी. इस साल 1200 रुपये की है...क्या मिला साहब कुछ नहीं...पानी मेहनत का अलग नुकसान.
 
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मंडी से अब हमने रुख किया रामगढ़ के एक खेत की ओर...नसीम पूरे परिवार के साथ प्याज जल्द-जल्दी उखाड़ रहे हैं...खेत खाली करके गेंहू की रोपाई करनी है...उनकी प्याज की फसल अच्छी है, लेकिन भाव अलवर से लेकर दिल्ली तक की मंडियों का एक ही है...अलवर की मंडी प्याज से भरी है...लेकिन भाव न मिलने का कारण अफगानिस्तान है. पप्पू भाई एक सांस में प्याज की खेती में हुए नुकसान बताते गए...

भारत के प्रधानमंत्री जी ने अफगानिस्तान से प्याज मंगवाई, जिससे हमारे यहां का बाजार खराब हो गए. प्याज की लागत 40000 आती है, किसान को मिल रहा है 4000 का...पिछले साल प्याज 1500 से 1800 कुंतल बिकी थी. भाव अच्छा  मिला था, इसलिए इस बार ज्यादा प्याज बोई गई थी. इस प्याज ने कई बार राजनीतिक पार्टियों को चुनाव में जितवाया और हरवाया है. अब ये प्याज किसानों को खून के आंसू रुला रहा है. अब ये प्याज कौन सी पार्टी का सियासी भविष्य तय करेगा ये वक्त बताएगा. 


(रवीश रंजन शुक्ला एनडटीवी इंडिया में रिपोर्टर हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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