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This Article is From Jan 12, 2017

'धावक' उर्जित पटेल और 'कमेंटेटर' रवीश कुमार

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 13, 2017 14:44 pm IST
    • Published On जनवरी 12, 2017 14:24 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 13, 2017 14:44 pm IST
आसमान का रंग नीला. बाहर ठंडी हवा है. हवा की दिशा पश्चिम की तरफ. नई गेंद स्विंग होगी. पुरानी होते ही गूगलम गूगली के लिए खतरनाक हो जाएगी. हवा भरोसे के लायक नहीं है. झूठ की ख़ुश्की है. मौसम का अनुमान सही साबित होता लग रहा है. तमाम पत्रकार तैनात हैं. सवालों को उछाल-उछाल कर पतलून पर रगड़ते हुए. कैमरामैन लेंस चमकाते हुए. देवियों और सज्जनों, मैं रवीश कुमार कमेंटेटर बॉक्स से आप सभी का स्वागत करता हूं.

अहमदाबाद के इस स्टेडियम में लोग क्रिकेट से बेख़बर पॉपकार्न खाने में मसरूफ़. बच्चे पापा से पेप्सी के लिए झगड़ते हुए. यह हुआ अंपायर का इशारा. माहौल वाइब्रेंट हो रहा है. देवलोक से निवेश बरस रहे हैं. आपके स्क्रीन पर उर्जित पटेल आ रहे हैं. सज्जन पुरुष. विद्वान भी. कम बोलने वाले उर्जित को आज देवलोक से पत्रकारों की गेंद का सामना करने के लिए भेजा गया है. सरकार ने रणनीति बदल दी है. मनिंदर बेदी ओपनिंग करने आ रहे हैं. पुरानी यादें ताज़ा हो रही हैं.

कर्टनी वॉल्श की तरह अपने सवालों को चमकाते हुए पत्रकार घातक मुद्रा में. देखना होगा कि पहली गेंद नोटबंदी की होगी या मंदी की. उर्जित साहब शांत संयत मुद्रा में. चेहरे पर हल्की मुस्कान. अंपायर का इशारा. तभी हलचल होती है. लगता है, कोई दर्शक मैदान में आ गया है. नहीं, नहीं, यह तो गवर्नर पटेल हैं. पर वह पैवेलियन की तरफ क्यों भाग रहे हैं. भागते ही जा रहे हैं. पत्रकार गेंद छोड़ उनके पीछे भागने लगते हैं. गूगल मैप ऑन है. टेक राइट. टेक लेफ्ट. गो फिफ्टी मीटर्स स्ट्रेट. नाओ टर्न टेन मीटर लेफ्ट. ओह गॉड, लिफ्ट इज़ नॉट वर्किंग. गूगल मैप कालिंग गप्पू पान वाला फॉर डायरेक्शन. कैसे जाएं. जल्दी बताओ. तभी गप्पू गूगल से कुछ कहता है. गप्पू का इशारा समझते ही पटेल पीछे देखते हैं. पत्रकार सीढ़ियों की तरफ आ चुके हैं.

गवर्नर पटेल सीढ़ी से नीचे की तरफ भागते हैं. भागते रहते हैं. दो कदम जंप करते हैं. दो कदम वॉक करते हैं. गूगल मैप से आवाज़ आती है, मिस्टर पटेल, नाओ टेक लेफ्ट. पटेल सर स्मार्टफोन फेंक देते हैं. इसके चक्कर में पत्रकार और करीब आ गए. पटेल का सिक्स्थ सेंस काम करता है. गोविंद ड्राइवर तेज़ी से कार ले आता है. पत्रकार अब बस तीन सीढ़ी दूर हैं. पटेल कार में बैठ गए हैं. पत्रकार एक सीढ़ी दूर हैं. पटेल की कार स्टार्ट होती है. पत्रकार कार के पास पहुंच जाते हैं. पटेल की कार चल देती है. इस तरह वॉल्श की तरह घातक सवाल करने आए पत्रकार हाथ मलते रह जाते हैं. पटेल ओझल हो जाते हैं.

ओह नो. उर्जित पटेल सवालों का सामना नहीं कर पाए. पत्रकार पूछ नहीं पाए. जनता को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. वह पॉपकार्न खाए जा रही है. कोक-पेप्सी पी रही है. नोटबंदी के इस दौर में हमारे गवर्नर पत्रकारों से भी तेज़ दौड़ते हैं. अख़बारों में ख़बर छपी है कि रिज़र्व बैंक के गवर्नर पटेल सवालों से बचने के लिए कूद-कादकर भाग गए. भारत का नाम दुनिया में रोशन हो गया है. उसैन बोल्ट का नट-बोल्ट ढीला. 'दंगल' देखने के बाद गवर्नर ने साबित कर दिया है कि वह पत्रकारों से भागने में भारत के लिए मेडल ला सकते हैं. तालियां. तालियां. तालियां. 'दूल्हे की सालियों, ओ, हरे दुपट्टे वालियों...' यह गाना साल का सुपरहिट. आप देख रहे थे कमेंट्री लाइव. मैं रवीश कुमार, विदा लेता हूं. ऐसा मंज़र फिर न देखें, देवताओं से दुआ करता हूं.

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