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This Article is From Nov 19, 2021

देश के किसानों ने तमाम सिसकती हारों के बदले जीत हासिल की है

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 19, 2021 10:55 am IST
    • Published On नवंबर 19, 2021 10:54 am IST
    • Last Updated On नवंबर 19, 2021 10:55 am IST

Farm laws: अगर यूपी चुनाव में सामने दिख रही हार के कारण कृषि कानूनों को वापस लिया गया है तो इसमें स्वागत करने जैसी कोई बात नहीं है. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले इस एक साल के दौरान प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने 700 से अधिक किसानों को मरते देखा और एक शब्द तक नहीं कहा. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री ने गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा और बर्ख़ास्त करने की किसानों की मांग को अनदेखा किया. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री और उनकी सरकार ने उस वीडियो को भी अनदेखा कर दिया जिसमें आप बार-बार देख सकते हैं कि जीप पर सवार बीजेपी के समर्थक शांति से चले जा रहे किसानों को कुचल रहे हैं. इस नतीजे पर पहुंचने से पहले प्रधानमंत्री ने इस बात की परवार नही कि हरियाणा सरकार उस अफसर के साथ खड़ी रही जिसका वीडियो यह कहते हुए वायरल हुआ था कि किसानों का सर फोड़ देना है.

यह एक साल किसान आंदोलन की जीत का साल रहा है तो यही एक साल सरकार के द्वारा किसानों को अपमानित किए जाने का साल रहा. क्या प्रधानमंत्री तब इस देश के किसान को नहीं जानते थे जब संसद में उनके आंदोलन का मज़ाक उड़ा रहे थे. आंदोलनजीवी कह रहे थे. प्रधानमंत्री ने इस सवाल का जवाब आज तक नहीं दिया कि किससे बात कर यह कानून लाया गया. किसान नुकसान समझाते रहे और सरकार फायदा समझाती रही. किसान कहते रहे कि वे हर दिन ग़रीब हो रहे हैं, इस कानून से और ग़रीब हो जाएंगे. सरकार समझाती रही कि ये वो किसान हैं जो अमीर हैं. इन्हें छोड़े किसानों से लेना देना नहीं हैं. किसानों के आंदोलन के जवाब में सरकार ने किसान सम्मेलन शुरू कर दिया.  

सरकार किसानों को बड़े और छोटे किसानों में बांट कर आंदोलन ख़त्म करने का रास्ता खोज रही थी तो सरकार का काम करने वाला गोदी मीडिया किसानों को आतंकवादी कहने में लगा था. भाजपा इस एक साल में अपने नेताओं के बयान उठा कर देख ले. किसान आंदोलन के बारे में क्या क्या कहा गया. भाजपा और सरकार के इशारे पर काम करने वाला गोदी मीडिया किसानों के आंदोलन को पहले दिन से आतंकवादी कहने लगा था. न्यूज़ चैनलों के ज़रिए किसानों पर हमला कराया गया. पुलिस के ज़रिए हमला कराया गया. किसानों के रास्ते में मोटी मोटी नुकीली कीलें गाड़ दी गईं. कंटीली तारें लगा दी गईं. सरकार एक साल तक किसानों को अपना ताकत दिखाती रही कि वह झुकने वाली नहीं है. किसान एक साल तक आंदोलन करते रहे. वे हटने वाले नहीं हैं. 

किसानों ने यह सब सहते हुए सर्दी, गर्मी और बरसात में अपने आंदोलन को जारी रखा. रास्तों को जाम कर उस मिडिल क्लास को किसानों के खिलाफ भड़काया गया जो दफ्तर लेट से पहुंच रहा था. इस एक साल में किसानों को घेर कर एक ऐसे मैदान में पहुंचा दिया गया जहां से निकलने का रास्ता और साहस सिर्फ किसानों के पास ही था. किसानों ने हर अपमान को अमृत की तरह पिया. विज्ञान भवन में होने वाली बातचीत के दौरान वे ज़मीन पर बैठकर अपनी रोटी खाते रहे. उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया गया. उनके मार्च में हिंसा की स्थिति पैदा की गई ताकि किसान आंदोलन को बदनाम किया जाए.

किसानों के इस आंदोलन की जीत हर तरह के विभाजन के खिलाफ़ जीत है. हिन्दू मुस्लिम राजनीति के दम पर उनके आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की, किसानों ने जय श्री राम और अल्लाहू अकबर और वाहे गुरु का नारा लगाकर इस विभाजन को पंचर कर दिया. किसानों के किसी सवाल का सरकार ने जवाब नहीं दिया. जनवरी महीने से बात करना बंद कर दिया था.सरकार ने अपना किसान संगठन बनाया. हरियाणा के मुख्यमंत्री का बयान याद कीजिए, जिसके लिए वे माफी मांग चुके हैं. किसान संगठन बनाने और किसानों पर लठ बरसाने की सीख दे रहे थे. 

यह सब याद करेंगे तो आज कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान की मजबूरी को समझ पाएंगे. किसान आंदोलन ने सिर्फ कृषि कानूनों के खिलाफ जीत हासिल नहीं की है, उन्हें हर उस विभाजनकारी, दमनकारी ताकत और रणनीति के ख़िलाफ़ जीत हासिल की है, जिसके आगे नागरिकता कानून के विरोध में निकले लोग टूट गए. उनके बच्चों को आतंक के आरोपों में जेल में बंद कर दिया गया.आप याद कीजिए, नागरिकता आंदोलन में शामिल लोग मुसलमान थे इसलिए उन्हें किस तरह कुचला गया. उन्हें कपड़ों से पहचानने की बात प्रधानमंत्री ने की. ईवीएम मशीन का बटन दबाकर करंट लगाने की बात गृह मंत्री अमित शाह ने की. कई मंत्रियों और बीजेपी के नेताओं ने उन्हें गोली मारने के नारे लगाए. प्रधानमंत्री ने सब होने दिया और सबमें शामिल रहे.उनकी और गोदी मीडिया की ताकत के सामने न जाने कितने आंदोलन दम तोड़ गए. भारत के किसानों ने उन तमाम सिसकती हारों के बदले जीत हासिल की है. किसानों को बधाई.

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