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This Article is From Apr 24, 2016

झूठी राजनीति का सच्चा शॉप - फोटोशॉप

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 24, 2016 11:16 am IST
    • Published On अप्रैल 24, 2016 10:52 am IST
    • Last Updated On अप्रैल 24, 2016 11:16 am IST
लड्डू की क्वालिटी अच्छी हो तो मुझे राजनाथ सिंह के हाथ से खाने में कोई आपत्ति नहीं ! न ही प्रधानमंत्री को नमस्कार करने में और न ही सीताराम येचुरी से दुआ सलाम करने में और न ही सोनिया गांधी को देखकर हैलो कहने में। सब एक दूसरे के विरोधी हैं लेकिन यह कहां तय हुआ है कि ये लोग एक दूसरे से नहीं मिलेंगे। एक दूसरे को देखकर नमस्ते तक नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी तो कांग्रेसी नेताओं और उनके बच्चों की शादी में भी जाते हैं। मनमोहन सिंह, शाहनवाज़ हुसैन की इफ़्तार पार्टी में जाया करते थे।

क्या अब इन तस्वीरों का इस्तेमाल चुनावी राजनीति में भी होगा? ऐसा होता रहा तो एक दिन नेता साथ उठना बैठना बंद कर देंगे। जब सब एक जैसे ही हैं तो एक दूसरे से मिलने में दिक्कत क्यों होनी चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्रेस कांफ्रेंस में एक तस्वीर जारी की जिसमें राजनाथ सिंह सीपीएम नेता प्रकाश करात को लड्डू खिला रहे हैं। लगता है ख़ुद को बीजेपी के दफ्तर में लड्डू खाते देख करात साहब घबरा गए! इस तस्वीर के जारी होते ही करात का बयान आ गया कि मैंने तो कभी राजनाथ सिंह से मुलाक़ात ही नहीं की है। ठीक है तस्वीर फ़र्ज़ी है लेकिन क्या यह भी हैरानी की बात नहीं कि इतने साल से राजनीति में रहने के बाद प्रकाश करात और राजनाथ सिंह की भी कभी मुलाक़ात ही नहीं हुई।

अब यह तस्वीर नकली निकल गई है। बीजेपी ने जल्दी ही इस तस्वीर का भांडा फोड़ दिया। आजकल रमेश के धड़ में सुरेश का सिर लगाकर काफी फोटो निकाली जा रही है। इस फोटोशॉप राजनीति ने यह हाल कर दिया है कि एक दिन लोग अपना ही फोटो देखकर बोलेंगे कि यह मेरा ही है या फोटोशॉप ! सोशल मीडिया पर रोज़ यह खेल हो रहा है। फोटोशॉप का खेल किसने शुरू किया यह बताऊँगा तो लोग मेरा ही फोटोशॉप निकाल देंगे कि मैं प्रधानमंत्री के साथ विमान यात्रा कर रहा हूं और अब राज्य सभा की बारी मेरी है। हाल ही में राष्ट्रपति ने छह लोगों को मनोनित किया है। सातवीं सीट के लिए नाम आना बाकी है जिसके लिए कई पत्रकारों या पत्रकार सह मालिकों या पत्रकारों के मालिकों के नाम की चर्चा है। जिसे भी मेरा फोटोशाप करना है जल्दी करो भाई !

हाल ही में जब प्रधानमंत्री चेन्नई की बाढ़ का हवाई दौरा करने गए तब केंद्रीय पत्र सूचना कार्यालय की तरफ से फोटोशॉप तस्वीर जारी हो गई। काफी हंगामा हुआ कि सरकार भी यह सब करने लगी है। जब सरकार के दफ्तर से ऐसी तस्वीरें जारी हो रही हैं तो प्रेस कांफ्रेंस मे जारी होने पर हैरानी क्यों। करने से ज़्यादा करते हुए दिखना हमारी राजनीति का नया जुगाड़ है। इस देश में कई फ़र्ज़ी कंपनियां सालों से यह बता कर लूट रही हैं कि आप हमारे यहां पैसा जमा कीजिये दो महीने में दस गुना हो जाएगा। लोग खुशी खुशी लुट जाते हैं, आज तक लुटते रहे हैं। नेता समझने लगे हैं कि एक दो बार पकड़े जाने से घबराने की ज़रूरत नहीं है, जनता अगली बार भी लूटेगी।

बीजेपी समर्थकों ने लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री के युवा काल की एक तस्वीर खूब चलाई जिसमें वह झाड़ू लगाते दिख रहे हैं। मुझे स्मरण नहीं कि उस दौर में बीजेपी या स्वंय मोदीजी ने इस तस्वीर का खंडन किया था या नहीं। बाद में सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को चुनौती दी गई कि किसी दूसरे की तस्वीर में मोदीजी की तस्वीर लगा दी गई। राम जाने क्या सच है। वैसे फोटोशॉप की जिस तस्वीर से फायदा होता हो उसके खंडन का रिवाज कम है। वैसे भी चुनौती देने का काम विरोधी दल का है।

पत्रकार भी अब इस खेल में फंसने लगे हैं। कुछ का कुछ छाप देते हैं और ट्वीट कर देते हैं। हाल ही में एक पत्रकार ने प्रधानमंत्री की फोटोशॉप तस्वीर ट्वीटर पर साझा कर दी। उसे माफी मांगनी पड़ी और ख़बरों के मुताबिक़ बीजेपी ने एफ आई आर भी दर्ज कर दी है। हाल ही में एक चैनल में बहस के दौरान बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने टैबलेट से एक तस्वीर दिखाई। उस तस्वीर के बहाने संबित पात्रा दावा कर रहे थे कि छह भारतीय जवान मरते दम तक हाथों में तिरंगा थामे हुए हैं। बाद में स्क्रोल डॉट इन पर शुद्धब्रत सेनगुप्ता ने एक लंबे लेख में बताया कि यह तस्वीर विश्व युद्ध की है और ये भारतीय नहीं अमेरिकी सैनिक हैं। उनके हाथ में अमेरिका का झंडा है जिसे फोटोशॉप से हटा कर तिरंगा फ़िट कर दिया गया है। मुझे बिल्कुल नहीं पता कि बाद में संबित या उक्त चैनल ने इस पर खंडन प्रकाशित किया या नहीं।

फोटोशॉप कौन करता है इसका पता नहीं चलता लेकिन साझा करने वालों से चलता है। पार्टी समर्थक के हवाले से इनका प्रसार हो रहा है। यह इतना बढ़ गया है कि अब नेता प्रवक्ता और पत्रकार भी फोटोशॉप तस्वीरों को लेकर उत्साहित हो जाते हैं। जानबूझ कर भी और अनजाने में भी। कुछ लोग फोटोशॉप का सच पकड़ने में लगे रहते हैं।

आप जनता के लिए कुछ दिन में जनता बना रहना मुश्किल हो जाएगा। राजनीति को तस्वीरों का खेल बनाने में जनता भी शामिल है क्योंकि वे अब तस्वीरों के आगे अपनी बुद्धि का समर्पण कर रही है। लिहाज़ा भारतीय राजनीति में झूठ एक बड़ा सत्य हो गया है। दिनों दिन यह सत्य बड़ा होता जा रहा है। ख़ुश रहिए कि अब उस झूठ का सच्ची तस्वीरें भी आने लगी हैं। आप फिर लुटने वाले हैं। दस का बीस करने वालों ने नई तकनीक का जुगाड़ कर लिया है। आपको मुबारक !

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