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This Article is From Nov 17, 2019

बिकेगा बिकेगा भारत पेट्रोलियम, विचित्र मंत्री का एलान

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 17, 2019 22:08 pm IST
    • Published On नवंबर 17, 2019 22:08 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 17, 2019 22:08 pm IST

मुझे तभी लगा था जब वित्त मंत्री के रूप में अपना पहला बजट लेकर आईं थीं. ब्रीफ़केस की दासता से भारत को आज़ादी दिलाने वाली वित्त मंत्री बजट के मामले में जल्दी ही विचित्र साबित हुईं. गोदी मीडिया ने उन्हें लक्ष्मी बनाकर पेश किया जबकि काम कुबेर का था. तभी लगा था कि कुबेर छवियों के संसार में अपने विस्थापन को सहन नहीं करेंगे.

विचित्र मंत्री ने दो महीने के भीतर अपने कई बड़े फ़ैसले वापस लिए. अब एलान कर दिया है कि मार्च तक भारत पेट्रोलियम बिक जाएगा.

गोदी मीडिया और व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी ने जनता का जो हाल किया है उसमें मुमकिन है कि भारत पेट्रोलियम के कर्मचारी ही इसमें राष्ट्रवाद और हिन्दू गौरव का वैभव देख लें. मुझे पूरा भरोसा है कि भारत पेट्रोलियम के कर्मचारी बेचने के समर्थन में रैली करेंगे क्योंकि विरोध में करेंगे तो कोई टीवी चैनल तो दिखाएगा नहीं. अख़बार में ख़बर छपेगी भी तो दो तीन लाइन की. जब उन्होंने मीडिया के बिक जाने का समर्थन किया तो अपनी पेट्रोलियम कंपनी के बिकने का भी समर्थन करेंगे. ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है.

रिज़र्व बैंक से लाख करोड़ लिया अब इसे बेच कर लाख करोड़ लेंगे. मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी को बेचने की बेचैनी क्यों है? क्या पेट्रोलियम मंत्रालय और मंत्री का पद भी ख़त्म होने वाला है? धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार का काम तेल बेचना नहीं है तो फिर प्राइवेट कंपनी तेल बेचे इसे देखने के लिए सरकार में कोई मंत्री क्यों रहे? वो भी कैबिनेट?

अर्थव्यवस्था पतन की ओर अग्रसर है; झूठ चरम पर है. जब रिपोर्ट आती है कि चालीस साल में उपभोक्ता ख़र्च सबसे कम है तो सरकार रिपोर्ट ही जारी नहीं करती है. पहले एक तिहाई की तुलना पिछले या ज़्यादा से ज़्यादा एक दो साल पहले की उसी तिमाही से होती थी. अब ख़बरों में आने लगा है कि आठ साल में सबसे कम, दस साल में सबसे कम. अब तिमाही की जगह दशक आ गया है.

ऐसे में भारत पेट्रोलियम के बिकने का क्या ही शोक मनाया जाए. बस ये देखना है कि भारत पेट्रोलियम के बोर्ड पर किस कंपनी का नाम चिपकता है. भारत पेट्रोलियम के सारे पेट्रोल पंप शहर के मुख्य ज़मीन पर है. उस पर किस कंपनी का एकाधिकार होगा? खेल इस पर होगा.

बाक़ी भारत की अर्थव्यवस्था विचित्र मोड़ में चली गई है. इसलिए वित्त मंत्री भी विचित्र मंत्री हो गई हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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