विज्ञापन
This Article is From May 21, 2018

ये ख़ामोशी बता रही है पेट्रोल के दाम बढ़े नहीं, बल्कि काफी घट गए हैं

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 21, 2018 16:27 pm IST
    • Published On मई 21, 2018 16:27 pm IST
    • Last Updated On मई 21, 2018 16:27 pm IST
2013-14 के साल जितना अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमत अभी उछली भी नहीं है लेकिन उस दौरान बीजेपी ने देश को पोस्टरों से भर दिया था बहुत हुई जनता पर डीज़ल पेट्रोल की मार, अबकी बार बीजेपी सरकार. तब जनता भी आक्रोशित थी. कारण वही थे जो आज केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान गिना रहे थे. तब की सरकार के बस में नहीं था, अब की सरकार के बस में नहीं है. मगर राजनीति में जिस तरह से कुतर्कों को स्थापित किया गया है, वही कुतर्क लौट कर बार बार बीजेपी के नेताओं को पूछ रहे हैं. पेट्रोल की कीमत रिकार्ड स्तर पर है फिर भी आप मीडिया में इसकी खबरों को देखिए, लगेगा कि कोई बात ही नहीं है. यही अगर सरकार एक रुपया सस्ता कर दे तो गोदी मीडिया पहले पन्ने पर छापेगा.

कर्नाटक चुनावों के कारण 19 दिन सरकार दाम नहीं बढ़ने देती है. तब भी तो अंतर्राष्ट्रीय कारण थे. उसी दौरान तो अमरीका ईरान के साथ हुए परमाणु करार से अलग हुआ था. 19 दिन बीत गए अब दाम पर सरकार का नहीं, बाज़ार का बस है. एक सप्ताह में पेट्रोल के दाम में 1.62 रुपये की वृद्धि हो चुकी है . डीज़ल के दाम 1.64 रु प्रति लीटर बढ़े हैं. दाम अभी और बढ़ेंगे. मंत्री जी कहते हैं कि जल्दी ही समाधान लेकर हाज़िर होंगे. अभी तक वो समाधान क्यों नहीं तैयार हुआ. कच्चे तेल के दाम चुनाव बाद तो नहीं बढ़े.

दिल्ली में 14 सितबंर 2013 को एक लीटर पेट्रोल 76.06 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था. 20 मई 2018 को 76.24 रु प्रति लीटर हो गया है. अपने सबसे महंगे स्तर पर है. दिल्ली का मीडिया चुप है. बोलेगा तो गोदी से उतार कर सड़क पर फेंक दिया जाएगा. मुंबई में एक लीटर पेट्रोल 84.07 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. पटना में 81.73 रुपये प्रति लीटर, भोपाल में 81.83 रु प्रति लीटर दाम है.

मलेशिया के नए प्रधानमंत्री ने कहा है कि हफ्ते हफ्ते का दामों में उतार चढ़ाव अब नहीं होगा. दाम को फिक्स किया जाएगा और ज़रूरत पड़ी तो सरकार सब्सिडी देगी. इसी मलेशिया का उदाहरण देकर भारत में कई लोग जीएसटी का स्वागत कर रहे थे. मलेशिया ने तीन साल तक जीएसटी लगाकर हटा दिया है. भारत में हफ्ते हफ्ते दाम बढ़ने की व्यवस्था की गई है. मगर सरकार चुनाव के हिसाब से चाहती है तो दाम नहीं बढ़ते हैं.

मोदी सरकार के मंत्री बार बार कहते रहे हैं कि बैंकों का एन पी ए यूपीए की देन है. बात सही भी है मगर कहा इस तरह से गया जैसे मोदी सरकार के दौरान कुछ हुआ ही नहीं और वह निर्दोष ही रही. आज के इंडियन एक्सप्रेस में जार्ज मैथ्यू की रिपोर्ट छपी है. ये रिपोर्ट प्राइवेट बैंकों के बारे में हैं. अभी तक हम पब्लिक बैंकों के एन पी ए की ही चर्चा करते थे. मगर अब पता चल रहा है कि प्राइवेट बैंकों की भी वही हालत है. मैथ्यू ने लिखा है कि पांच साल में बैंकों का एनपीए 450 प्रतिशत बढ़ा है. 2013-14 के वित्त वर्ष के अंत में कुल एन पी ए 19,800 करोड़ था, मार्च 2018 के अंत में एक लाख करोड़ से ज़्यादा हो गया.

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने चुनावों में वादा किया था कि 14 दिनों के अंदर गन्ने का भुगतान होगा. इंडियन एक्सप्रेस में हरीश दामोदरन की रिपोर्ट पढ़ सकते हैं. हरीश फील्ड में दौरा करते हैं और काफी अध्ययन के बाद लिखते हैं. इनका कहना है कि मौजूदा 2017-18 के दौरान छह चीनी मीलों ने 1778.49 करोड़ का गन्ना खरीदा. कायदे से इन्हें 14 दिनों के अंदर 1695.2 5 करोड़ का भुगतान कर देना था. मगर अभी तक 888.03 करोड़ का ही भुगतान हुआ है. बाकी बकाया है .

इस बीच बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मार्च 2018 में जिन 720 कंपनियों ने अपनी तिमाही के नतीजे घोषित किए थे, उनके कुल मुनाफे में 34 प्रतिशत की गिरावट है. यह बुरी ख़बर है. मगर अच्छी खबर है कि अगर इसमें से वित्त और ऊर्जा से संबंधित कंपनियों को निकाल दें तो कुल मुनाफा 15 प्रतिशत अधिक दिखता है. 720 कंपनियों का राजस्व बढ़ा है. यह पिछले तीन साल में अधिक है. इससे आने वाले समय में सुधार के संकेत दिख रहे हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com