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This Article is From Nov 06, 2014

रवीश कुमार की कलम से : लवली की सबसे लड़ाई

Ravish Kumar, Rajeev Mishra
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  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 11:31 am IST
    • Published On नवंबर 06, 2014 19:11 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 11:31 am IST

राजनीति में कई बार बेतुकी मगर सुखद सी लगने वाली विडंबनाएं बन जाती हैं। जैसे नई दिल्ली के अकबर रोड पर कांग्रेस का राष्ट्रीय मुख्यालय है तो अशोक रोड पर बीजेपी का। अकबर और अशोक दोनों ही भारतीय इतिहास के महानतम नायकों में से हैं और कांग्रेस बीजेपी दोनों ने बारी-बारी से भारत पर शासन किया है। दिल्ली प्रदेश बीजेपी का दफ्तर जिस पंडित मार्ग पर है वो गांधीवादी दौर के कद्दावर कांग्रेस नेता गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर है। प्रदेश का कांग्रेस का दफ्तर उस पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर है जो बीजेपी के विचार प्रतीक माने जाते हैं।

इसी दफ्तर में आज कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली से मिलने पहुंचा। प्राइम टाइम में अरविंद केजरीवाल और सतीश उपाध्याय के बाद कांग्रेस नेता के इंटरव्यू की बारी थी।

48 साल के लवली एक झटके में दफ्तर से बाहर निकलकर नई दिल्ली स्टेशन से पहले पड़नेवाले तिलक ब्रिज के प्लेटफार्म पर जाने के लिए तैयार हो गए। कांग्रेस दफ्तर के पीछे पड़ता है यह स्टेशन। कांग्रेस दिल्ली में लगातार तीन बार जीतने के बाद वापसी के लिए संघर्ष कर रही है। इतिहास तो यही रहा है कि जहां भी कांग्रेस तीसरे नंबर पर पहुंची है और बीस प्रतिशत से कम उसका मत प्रतिशत रहा है वहां वापस नहीं आ सकी है।

लवली इसके बाद भी उत्साहित नज़र आ रहे हैं कि इस बार में आप और बीजेपी दोनों से लड़ लड़ेंगे। कांग्रेस दफ्तर में पसरी उदासी उनके चेहरे पर उत्साह में बदल गई। हर सवाल से भिड़ने लगे। आप और बीजेपी के खिलाफ़ नारों की शक्ल में बात करने लगे। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस नेताओं की आक्रमकता चली गई है मगर लवली में किसी तरह से बाकी नज़र आई।

लवली ने साफ कहा कि उनकी लड़ाई बीजेपी से हैं। उन्होंने ये राजनीतिक लाइन बनाई है कि आप बीजेपी की बी-टीम है। जो भी आप से निकलता है वो बीजेपी में ही क्यों जाता है। किरण बेदी से लेकर वीके सिंह और शाज़िया इल्मी तक सब बीजेपी में क्यों गए।
जब मैंने पूछा कि आप सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के बारे में क्या सोचते हैं तो तड़ से जवाब दिया कि जब जब हमें लगता है कि वे अदालती कार्रवाई के घेरे में आते हैं हम उनका टिकट काट देते हैं, लेकिन वो कभी जेल नहीं गए। मीडिया बीजेपी से क्यों नहीं पूछता कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी तो आरोप है, वे राष्ट्रीय अध्यक्ष कैसे बन गए। मीडिया यह सवाल करने की हिम्मत ही नहीं करेगा।

लवली ने साफ कहा कि अगर बीजेपी नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव में उतरेगी तो हम नरेंद्र मोदी को निशाना बनायेंगे। हम उन्हें एक्सपोज़ करेंगे। हमारे पास उनके ख़िलाफ तर्कों की कमी नहीं है।

शीला दीक्षित के बारे में लवली ने चतुराई से जवाब दिया। कहा कि पार्टी फैसला करेगी, लेकिन शीला कभी कांग्रेस का चेहरा नहीं रही हैं। कभी कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन वो हमारी सम्मानित नेता हैं और हम चाहेंगे कि वो कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करें। कांग्रेस के आम प्रवक्ता जिस तरह से कमज़ोर नज़र आते हैं उसके मुकाबले लवली कहीं ज्यादा आक्रामक हैं। उनके हमले में धार है और लड़ाका वाला तत्व भी।

कहते रहे कि एक चुनाव से सारी व्याख्याएं कैसे बदल सकती हैं। इसके पहले यही मीडिया राहुल गांधी और मनमोहन सिंह की कैसी कैसी तारीफ करता था। 2009 में जब हम जीते थे तो सब कहते थे कि शहरों में वोटर हमें पसंद करते हैं। शहरी वोटर ने बीजेपी को खारिज कर दिया है।

मैं लवली से बार बार कहता रहा कि कोई भी जानकार या समीक्षक कांग्रेस की वापसी की संभावनाओं के बारे में नहीं सोचता। लवली कहते रहे कि कोई बात नहीं। जब विपक्ष में रहने का आदेश मिला है तो सर झुकाकर सेवा करेंगे लेकिन हम लड़ेंगे और वापसी करेंगे। इस चुनाव में हम वापसी करेंगे। ठीक है कि हमारे पास पैसे कम हैं लेकिन इस बार हम प्रचार भी तगड़ा करेंगे। इसके बाद लवली तंज करते हैं कि जो बीजेपी हमें भ्रष्ट पार्टी कहती है उसके पास प्रचार के इतने पैसे कहां से आ गए और हमारे पास पैसे नहीं हैं।

लवली अरविंद और सतीश उपाध्याय ये तीनों दिल्ली के जिद्दी नेता हैं। तीनों बात-चीत में किसी से दबते नहीं हैं। सवालों से भिड़ जाते हैं।

चलते चलते जब आखिर में हमने उप-राज्यपाल के बारे में पूछा तो लवली ख़ुद को रोक नहीं पाए। कहां कि नजीब जंग ने अपना संवैधानिक दायित्व नहीं निभाया। मैंने पूछा कि आपने ऐसे व्यक्ति को क्यों पद दिया जिसकी वैचारिक निष्ठा का भरोसा नहीं था। हर नेता सवालों को अपने हिसाब से खेलता है। क्रिकेटर की तरह। लवली ने कहा कि आपने बीजेपी अध्यक्ष का इंटरव्यू किया। हम आपसे पूछने वाले थे कि आप इंटरव्यू लेने पंडित पंत मार्ग गए थे या राजनिवास। राजनिवास उप राज्यपाल का निवास है। लवली का निशाना साफ था कि नजीब जंग कांग्रेसी से अब भाजपाई हो गए हैं।

दिल्ली का चुनाव ज़मीन पर काफी रोचक होने जा रहा है। बीजेपी मोदी की लोकप्रियता साबित करने के लिए जी जान लगा देगी। आम आदमी पार्टी अपना अस्तित्व बचाने के लिए सबकुछ लुटा देगी। कांग्रेस दो दो चुनावों में मात खाने के बाद सर उठाने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक देगी। देखते हैं नतीजा क्या होता है। जैसा कि अक्सर कहता हूं। चुनाव का मज़ा सर्वे से नतीजे को जान लेने में नहीं बल्कि आखिरी सीन से पहले पूरी फिल्म देखने में है। फिल्म तो चालू हुई है। आप आराम से देखते चलिए।

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