यह ख़बर 11 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

रवीश कुमार की कलम से : धर्मांतरण पर सरकार का रुख?

धर्मपरिवर्तन का दृश्य

नमस्कार मैं रवीश कुमार, आखिरकार भारत के विकास के लिए ज़रूरी मुद्दों पर बहस होने लगी जैसे इसके लिए जो सबसे पहला काम करना बाकी रह गया था वो था कि गांधी के हत्यारे गोड्से को राष्ट्रभक्त बताना। इस ज़रूरी काम को प्राथमिकता पर लाने का काम किया है बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने।

ज़ाहिर है साक्षी महाराज ने प्रधानमंत्री के नए दफ्तर को नहीं देखा होगा जहां उनकी कुर्सी के पीछे गांधी विराजमान हैं। गांधी के नाम पर ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राजनीतिक और सरकारी जीवन का सबसे बड़ा कार्यक्रम स्वच्छता अभियान लांच किया। साक्षी महाराज की इस दलील के हिसाब से इस देश के सारे सजायाफ्ता अपराधी राष्ट्रभक्त हो सकते हैं और उन सबको सांसद ही बना देना चाहिए। वरिष्ठ मंत्री वेकैंया नायडू ने साफ-साफ कहा कि कोई भी उस व्यक्ति से खुद को नहीं जोड़ सकता जो महात्मा गांधी का हत्यारा है। बाद में जब हंगामा हुआ तो साक्षी महाराज मीडिया से बोल गए कि गोड्से राष्ट्रभक्त नहीं था। मैंने गलती से कह दिया। हत्यारा गोड्से आज प्रमोट होकर तुरंत डिमोट भी हो गया।

लोकसभा में आगरा में हुए कथित धर्मांतरण के मसले पर विपक्ष ने बीजेपी सरकार पर विकास के एजेंडे को छोड़ संघ के एजेंडे पर चलने का आरोप लगया। जवाब में वेंकैया नायडू ने इस मसले पर विपक्ष और सरकार दोनों को अच्छे से संभाला। हमला किया, हंसाया, नए स्लोगन बनाए, लेकिन उस राजनीति के खिलाफ बोलने से बच कर निकल भी गए जिसे लेकर विपक्ष ने उनकी सरकार को घेरना चाहा था। वेकैंया इस कदर अपने भाषण के लय ताल के मोह में उलझते चले गए कि जवाब देते-देते उन सवालों को सही ठहराने लगे जिनका जवाब देने के लिए उठे थे।

जब आप उनके भाषण को ध्यान से सुनेंगे तो समझ पायेंगे कि कैसे वेंकैया धर्मांतरण के इन मसलों की खुलेआम निंदा किए बगैर विपक्ष पर हमला करते हुए इनकी तरफदारी में खड़े नज़र आ रहे हैं।

वे ज़रूर विकास के एजेंडे की बात करते रहे, लेकिन धार्मिक संकीर्णता से जुड़े मसलों और बयानों को उल्टा विपक्ष पर भी थोप दिया। गिनाने लगे कि कब कब कहां कहां धर्मांतरण हुआ जब बीजेपी नहीं थी, बताने लगे कि स्मृति ईरानी के ज्योतिष के पास जाने से ऐतराज़ है तो सब इसके खिलाफ खड़े होइये, संस्कृत को यूपीए के समय अनिवार्य किया गया, भारत पाकिस्तान को फिर एक करने का सपना देखने और अखंड भारत का नक्शा पढ़ाने की बात करने वाले दीनानाथ बत्रा को महान शिक्षाविद बताने लगे। आरएसएस को महान संगठन बताया और जमकर तारीफ की।

बीजेपी और मोदी सरकार की नज़र से देखिये तो वेकैंया ने बहुत अच्छे से मोर्चा संभाला। उनके भाषण में सब था, एक भारत, सभी धर्मों का भारत लेकिन उनके भाषण में इस विविधता वाले भारत के खिलाफ काम करने वाले तत्वों के ख़िलाफ कुछ नहीं था।

गांधी को नाथूराम गोड्से को राष्ट्रभक्त बताने वाले साक्षी महाराज से बचाकर वेकैंया ने गांधी को पूरी तरह छोड़ा भी नहीं। सौ साल पुराने गांधी का कथन ले आए जिसमें गांधी ने धर्मांतरण को माना था और विरोध किया था। ज़रूरी नहीं कि उस कथन से धर्म और धार्मिक मान्यताओं की आज़ादी के बारे में गांधी का पूरा नज़रिया सामने आता हो लेकिन वेकैंया ने गांधी के सहारे विपक्ष को निहत्था तो कर ही दिया। कम से कम वे अपने इस्तेमाल के लिए गांधी पढ़कर आए थे और गांधी गांधी रटने वाला विपक्ष गांधी का नाम सुनते ही चुप हो गया।

लेकिन, आगरा में संघ के धर्म जागरण समिति के राजेश्वर राव ने जो कहा वो वेंकैया और गांधी के कथनों के ठीक उल्टा था। ये उनका टीवी पर बोला हुआ बयान है जो लिखकर लाया हूं। राजेश्वर राव कहते हैं कि हम भी पूरे पक्के हिन्दू हैं। ये भी देखेंगे कि कोई मुसलमान रोक ले, ईसाई रोक ले, सरकार रोक ले, अभी तो ठाकुर बने हैं हमारे संग रहेंगे। अलीगढ़ आना, 25 दिसंबर को। तीन कैंप हम कर चुके हैं। ईसाइयों को हिन्दू बनाने के। हमने सालेनगर में मुसलमानों को हिन्दू बनाया है, आगरा में 20-25 हज़ार को हिन्दू बनाया है। हम किसी को लालच नहीं दे रहे हैं। हम तो ठाकुर बना रहे हैं।

अगर कोई इस देश में यह कहे कि बीपीएल कार्ड की वजह से वो अपना मज़हब बदलने के लिए राज़ी हो गया तो इस पर विवाद करने से पहले ग़रीबी की भयावह तस्वीर के बारे में सोचिये जिसका संबंध विकास से है। आगरा में कथित रूप से हुए धर्मांतरण को लेकर हंगामा है। इस हंगामे में इतने पहलु निकल कर आए हैं कि अब इसकी जांच का इंतज़ार करना चाहिए। इसके ज़बरन होने या अपने मन से होने के प्रमाण होने या न होने के बाद भी इसकी राजनीति के अपने खतरे और मायने हैं।

आरएसएस से जुड़े धर्म जागरण समिति ने सार्वजनिक तौर से कहा है कि 16 से 25 दिसंबर के बीच गोरखपुर, गाजीपुर, अलीगढ़ में 7000 से ज्यादा मुसलमानों और ईसाइयों को हिन्दू बनाने का फैसला किया गया है। समिति ने अपने नेताओं को एक चिट्ठी भेजी है जिसमें लिखा है कि एक मुस्लिम धर्म परिवर्तन में पांच लाख और एक ईसाई धर्म परिवर्तन में दो लाख खर्च आता है इसलिए इसके लिए रकम जमा करें। बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यह अभियान एक राष्ट्रीय अभियान है और इस अभियान के साथ सबको जुड़ना चाहिए। कमाल की रिपोर्ट में धर्म जागरण संस्था ने दावा किया है कि पिछले साल यूपी के 20 जिलों में 40,000 लोग हिन्दू बनाए गए हैं।

ठीक है कि धर्म परिवर्तन या धार्मिक आज़ादी पर हमला केंद्र में मोदी सरकार के आने से पहले भी हुआ है और शायद इस स्तर का मामला भी न बना हो। लेकिन बीजेपी की सरकार तो आई ही है जात पात और धार्मिक भेदभाद की राजनीति के ख़िलाफ। वेकैंया ने धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की बात कर विपक्ष को फंसा दिया। सदन के माहौल में यह मास्टर स्ट्रोक तो लगा लेकिन इस कानून की भी अपनी एक समस्या है। इस कानून के रहते आंबेडकर हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध नहीं बनते और बीजेपी के मौजूदा सांसद उदित राज हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध नहीं बन पाते। बीजेपी के नेताओं ने कुछ और बयान भी दिए जो खंडन होने से रह गए।

विनय कटियार ने कहा कि उमर अब्दुल्ला और फारुख अब्दुल्ला के पूर्वज भी हिन्दू थे। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रशासन को धर्मांतरण नहीं रोकना चाहिए।

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अगर सरकार विकास के काम में लगी है तो धर्म, राष्ट्र, विकास इन सबके के पैकेज में धर्मांतरण कैसे फिट बैठता है ये आप बेहतर समझते होंगे। मैं कम समझता हूं इसलिए प्राइम टाइम कर रहा हूं।