विज्ञापन
This Article is From Dec 25, 2018

लड़कियों को लेकर समाज में इतनी हिंसा क्यों?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 25, 2018 02:02 am IST
    • Published On दिसंबर 25, 2018 02:02 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 25, 2018 02:02 am IST

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ. यह नारा आपको अब हर टैम्पो ट्रक के पीछे दिख जाता है. अक्सर इस नारे में हमारा ज़ोर बेटियों के पढ़ाने पर होता है लेकिन ज़ोर होना चाहिए पहली लाइन पर. बेटी बचाओ पर. किससे बचाओ और क्यों बचाओ. क्या यह नारा इसलिए नहीं है कि हमारा समाज बेटियों को गर्भ में मारने वाला रहा है और गर्भ से बेटियां बाहर भी आ गईं तो सड़कों पर जला कर मार देता है या बलात्कार से मार देता है. ऐसा लगता है कि बेटियों को लेकर हमारा सारा गुस्सा निर्भया आंदोलन के समय निकल गया. उसके बाद किस वजह से यह भरोसा बन गया कि अब सब ठीक है, पता नहीं. क्या हम सब इस वजह से अब आगे नहीं आते कि जला कर मार दी जाने वाली लड़कियों की जाति का भी हिसाब रखना होता है. जाति के हिसाब से उनके इंसाफ की लड़ाई तय होती है. पिछले कुछ दिनों में तीन ऐसी ख़बरें हैं जो लड़कियों को जला कर मार देने की है.

16 दिसंबर को उत्तराखंड के पौड़ी में 18 साल की लड़की को जला दिया जाता है. 18 दिसंबर को आगरा में 15 साल की लड़की को जला दिया जाता है. 23 दिसंबर को तेलंगाना में 22 साल की एक लड़की को मार कर जला दिया जाता है. आगरा में जिस लड़की को बीच सड़क पर जला दिया गया उसका सपना था कि वह आईपीएस बने. मरते मरते वह लड़की अपनी मां से कह गई कि उसके इंसाफ के लिए लड़ती रहे. 18 दिसंबर को उसे जला दिया गया और आज 24 दिसंबर तक जलाने वाले अपराधी पकड़ में नहीं आ सके. सवाल है कि इंसाफ के लिए कहां और किससे लड़े कोई?

प्रिंट वेबसाइट पर नंदिता सिंह ने विस्तार से रिपोर्ट की है. मरने से पहले इस लड़की ने मां से यही कहा कि मैं अपने जीवन में नहीं लड़ पाई लेकिन तुम मत छोड़ना. उसके बाद उसने दम तोड़ दिया. उसका शरीर 50 फीसदी जल चुका था. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली यह लड़की कॉलेज से घर के लिए निकली थी कि उस पर एक हमलावर ने पेट्रोल डाल दिया. दूसरे ने लाइटर फेंक दिया. वो जला दी गई. आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया, वहां से सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी मौत हो गई. 18 को जला दी जाती है और 20 को उसका निधन हो जाता है. दोनों हमलावर अभी तक अज्ञात हैं और गिरफ्तार नहीं हुए हैं. अनुसूचित जाति की इस लड़की के परिवारवालों का कहना है कि जाति की कोई भूमिका नज़र नहीं आती है. उसके पिता ने बयान दिया है कि उसका पड़ोस में किसी से भी झगड़ा नहीं था. लेकिन दो महीने पहले जब वे काम से लौट रहे थे तब किसी ने उनके सिर पर पीछे से मारा था. काफी चोट आई थी. उन्हें लगा कि कोई छोटे-मोटे बदमाश रहे होंगे. उन्होंने पुलिस में केस नहीं दर्ज कराया. इसे आईपीएस बनने का सपना आता था, पिता कहते थे कि उनके बस की बात नहीं, मगर खुद पर भरोसा इतना था कि कहती थी किसी भी तरह से आईपीएस बन जाएगी. इसके सपनों का अंत जिस भारत में हुआ, वह आज कल ट्वि‍टर पर काफी सुरक्षित महसूस करता है. मां अनशन पर बैठ गई है.

इस घटना पर स्थानीय मीडिया की रिपोर्टिंग देख रहा था. 23 तारीख के अमर उजाला में लिखा है कि जब इस लड़की को जलाया गया तो कोई बचाने नहीं आया. उस वक्त 40 से 50 लोग वहां मौजूद थे. आगरा देहात के उसके गांव के लोग परेशान हैं. बताते हैं कि 15 साल की यह लड़की स्वतंत्र मिज़ाज की है. इंटर कॉलेज की जीके कंपटीशन में साइकिल जीत कर लाई थी. गणित में तेज़ थी. इस घटना के बाद उसके चचेरे भाई ने भी आत्महत्या कर ली. क्या इसका संबंध बहन की हत्या से है, अभी कुछ भी स्थापित नहीं हुआ है. अपराधी भी गिरफ्तार नहीं हैं.

इस हत्याकांड के बाद आगरा शहर के सामाजिक और राजनीतिक संगठन ने कई मार्च निकाले हैं. इंसाफ के नारे लगाए गए हैं. आगरा शहर के सजग लोगों में गिरफ्तारी न होने के कारण काफी बेचैनी है. कोई सीबीआई जांच की मांग कर रहा है तो कोई फांसी की सज़ा की मांग कर रहा है. ऐसे प्रदर्शनों से भरोसा होता है कि समाज में कुछ लोग हैं जो इसके खिलाफ आगे आ रहे हैं मगर जब भी इनके नारों में फांसी की मांग देखता हूं, यही सोचता हूं कि एक रटा रटाया फार्मूला नारे की शक्ल में सबको मिल गया है. यह पता है कि फांसी की सज़ा के बाद भी बलात्कार और इस तरह की घटनाएं नहीं रुकी हैं. सारा फोकस सज़ा पर होता है और सज़ा होने में कई साल निकल जाते हैं बीच में सिस्टम और समाज का सवाल कहीं खो जाता है. तो इन नेक दिल वाले प्रदर्शनकारियों को इसी वक्त सोचना चाहिए कि उनके प्रदर्शन से समाज में किस तरह के सवाल पैदा हों, किस तरह की बातें हों. इनकी तारीफ होनी चाहिए कि इन्होंने दिल्ली की तरफ नहीं देखा. अपने शहर के भीतर से ही प्रतिरोध की आवाज़ पैदा की है. आगरा में नागरिकों को बाहर निकाला है कि वे सड़कों पर आएं और इस घटना का प्रतिकार करें. विपक्ष के कई नेता इस गांव में पहुंच कर परिवार को सांत्वना दे रहे हैं और नागरिकों की आवाज़ का समर्थन कर रहे हैं.

घटना के दूसरे ही दिन यूपी के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा मौके पर पहुंच गए थे और कार्रवाई का भरोसा दिया था. राहुल गांधी ने फेसबुक पर लिखा है कि आगरा की घटना दिल दहला देने वाली है. भाजपा राज में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई की इससे बुरी दुर्गति क्या हो सकती है कि पढ़ने जाने वाली बेटी को असमाजिक तत्व आग लगा दें. मायावती ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि यूपी में जंगल राज है. भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने ट्वीट किया है कि अगर अपराधी पकड़े नहीं गए तो वे 2 अप्रैल की तरह भारत बंद जैसा कुछ करेंगे. यही नहीं अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामशंकर कठेरिया भी परिवार से मिलने गए थे. वे यहां से भाजपा सांसद भी हैं. उनकी मां ने कहा कि हमें मुआवज़ा नहीं चाहिए, अपराधियों की गिरफ्तारी और सज़ा चाहिए.

आगरा में एक लड़की जला दी गई. हमने उस लड़की का नाम नहीं लिया जबकि सारा शहर उसका नाम लेकर नारेबाज़ी कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह पाबंदी लगाई है कि ऐसे मामलों में लड़की की पहचान किसी तरह उजागर न हो. मगर कोर्ट ने अपराध की घटना को उजागर करने पर कोई रोक नहीं लगाई है. बच्चों के बारे में मीडिया रिपोर्टिंग से जुड़े क़ानून हैं. भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम के मुताबिक बलात्कार, महिला के अपहरण अथवा बच्चे पर यौन हिंसा से जुड़े अपराध व व्यक्तिगत चरित्र पर संदेह करने संबंधी मामलों और महिला की निजता संबंधी मामलों की रिपोर्टिंग करते समय पीड़ित के नाम, फोटोग्राफ़ और पहचान संबंधी अन्य विवरणों को प्रकाशित नहीं किया जाएगा. बच्चों से संबंधित रिपोर्टों में संवेदनशीलता सुनिश्चित हो. एचआईवी से प्रभावित एवं संक्रमित बच्चे की पहचान का खुलासा नहीं किया जाना चाहिए, ना ही उनके फोटोग्राफ़ दिखाए जाने चाहिए. इनमें अनाथ गृहों तथा बाल संरक्षण ग्रहों में रहने वाले बच्चे एवं अनाथ भी शामिल हैं.

24 दिसंबर के अखबारों में तेलंगाना की ऐसी ही एक घटना छपी है. 22 साल की एक लड़की ने जाति के बाहर शादी कर ली. उस लड़की को रिश्तेदारों और परिवार वालों ने उसे बुरी तरह मारा और फिर जला दिया. सोचिए पूरा खानदान एक लड़की को मारने में जुट जाता है क्योंकि उसने जाति के बाहर शादी की है. लड़की बुनकर समाज से थी और लक्ष्मण ओबीसी था. कई बार लगता है कि हम कहां फेल हो गए, किसके कारण फेल हो गए कि समाज में लड़कियों को लेकर इतनी घृणा और हिंसा बनी हुई है. 3 दिसंबर को दोनों ने अपनी मर्जी से हैदराबाद के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. दोनों अपने गांव से निकल 250 किमी दूर हैदराबाद आए थे. गांव से रिश्तेदार और परिवार वाले पीछे पीछे आ गए और लड़की को घर से खींच ले गए. लक्ष्मण को भी मारा पीटा.

उत्तराखंड के पौड़ी में कॉलेज में प्रैक्टिकल परीक्षा देने के बाद अपनी स्कूटी से लौट रही लड़की को बंटी नाम के एक ड्राइवर ने सुनसान इलाके में रोका, लड़की ने उसका विरोध किया तो उसने पेट्रोल छिड़क कर कर उसपर आग लगा दी, लड़की 70 फीसदी जल गई. उसे पहले पौड़ी के स्थानीय अस्पताल और फिर श्रीनगर के बेस अस्पताल भेजा गया. वहां से ऋषिकेश के एम्स में भेजा गया. एम्स का कितना ढिंढोरा पीटा जाता है. बताइये अगर एम्स में इलाज की व्यवस्था नहीं है तो बाकी अस्पतालों का क्या हाल होगा. ऋषिकेश के एम्स से इस लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भेजा गया जहां रविवार को उसकी मौत हो गई. 18 साल की बेटी की मौत की खबर सुनकर मां को हार्ट अटैक हो गया. समाज ने इस लड़की फेल किया, सिस्टम ने उसे और भी फेल किया. एक ड्राईवर इस लड़की के पीछे पड़ा था. वह पांच साल से पीछा करता आ रहा था और एक दिन पेट्रोल छिड़कर जला दिया. हमारे समाज में प्रेम को लेकर इतनी हिंसा है कि कई बार लगता है कि नफरत ही भारतीय समाज का आफिशियल संस्कार है. ये बात नसीरुद्दीन शाह नहीं, मैं कह रहा हूं. 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ कितनी भयावह हिंसा हुई थी, उसके छह साल बाद पौड़ी में भी एक लड़की वीभत्स हिंसा का शिकार होती है. 

हमने पिछले एक हफ्ते के भीतर तीन लड़कियों को जलाकर मार दिए जाने की घटना के बारे में बताया. कौन दोषी है ये आप तय करें, मगर तीन लड़कियां जला कर मार दी गईं हैं यह तथ्य नहीं बदल सकता है. यही तीन घटनाएं नहीं हैं. इंटरनेट पर कई ऐसी घटनाएं मिली हैं जिसमें लड़कियों को जलाकर मार दिया गया है. सारी घटनाएं इसी साल की हैं. सीतापुर में 28 साल की महिला को जलाकर मारने की कोशिश की. उसने पुलिस थाने में छेड़खानी की तीन बार शिकायत की थी. यह घटना दिसंबर महीने के पहले हफ्ते की है. मध्य प्रदेश के खांडवा ज़िले में 19 साल की बेटी को उसके पिता ने जला कर मार दिया. वह अपनी जाति के बाहर अपनी पसंद के लड़के से शादी करना चाहती थी. पिता ने अपनी ही बेटी पर मिट्टी तेल छिड़कर आग लगा दी. बंगाल के मुर्शिदाबाद में 25 साल की मां और 9 महीने की बच्ची को जलाकर मार दिया. मारने वाले में पति और पति के मां बाप शामिल थे. यूपी के संभल में पांच लोगों ने बलात्कार कर एक महिला को जला दिया.  

VIDEO: प्राइम टाइम: लड़कियों को लेकर समाज में इतनी हिंसा क्यों?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com