आक्रोश का अग्निपथ, शांत हो जाओ अग्निवीर, शांत हो जाओ अग्निवीर

अग्निपथ योजना आ चुकी है और रहेगी. युवाओं को हिंसा का रास्ता छोड़ना पड़ेगा. अभी तक किसी ने उनकी पहचान कर उनके घर पर बुलडोज़र चलाने की बात नहीं की है, यह कम बड़ी बात नहीं है.

आक्रोश का अग्निपथ, शांत हो जाओ अग्निवीर, शांत हो जाओ अग्निवीर

बिहार सहित कई जगहों पर हालात बेकाबू हो गए हैं. जिस तरह से दूसरे दिन हिंसा हुई है उससे लगता है कि पहले दिन की हिंसा के बाद भी पुलिस की सतर्कता काफी नहीं थी बल्कि प्रदर्शन का स्केल इतना व्यापक हो गया कि पुलिस कम नज़र आने लगी. अग्निपथ योजना आज भी सरकार इसके बचाव में ज़ोर शोर से उतरी है, आज भी इसके विरोध में नौजवान भयंकर उग्र हो गए. बिहार में कई जगहों पर बीजेपी के दफ्तरों और नेताओं के घरों पर हमले हुए हैं. सड़क यात्री से लेकर रेल यात्री आज बिहार में जगह-जगह घंटों फंसे रहे. बिहार में बड़े पैमाने पर रेलगाड़ियों को निशाना बनाया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार में आज 100 से अधिक गाड़ियों के रूट बदले गए हैं और 55 ट्रेनों को रद्द किया गया. जिस तरह से ट्रेनों को निशाना बनाया गया है, लगता नहीं है उस काबू पाना पुलिस के बस में है. 

पटना से सटे दानापुर रेलवे स्टेशन का बुरा हाल कर दिया गया है, जबकि यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था. इसके बाद भी प्लेटफार्म पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों ने बेखौफ तोड़फोड़ की. प्रदर्शनकारियों ने चेहरा ढंक लिया था. दानापुर में फरक्का एक्सप्रेस को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया. यहां पर दो ईंजनों में भी आग लगा दी गई और तोड़फोड़ हुई है. दानापुर स्टेशन पर जो बाइक खड़ी थी, उसमें आग लगा दी. आम लोगों की बाइक तक को नहीं छोड़ा गया. रेलवे सुरक्षा पुलिस की चेक पोस्ट को भी नहीं छोड़ा. पुलिस पर पथराव तक करने लगे, पत्थरों से बचने के लिए पुलिस ही भागने लगी. और खबरों के अनुसार एएसपी को जान बचाने के लिए फायरिंग तक करनी पड़ी. उसके बाद जब पटना एसपी और ज़िलाधिकारी हालात को संभालने के लिए तो उन पर भी हमला हो गया. 

समस्तीपुर में भी आंदोलनकारियों ने दरभंगा-नई दिल्ली संपर्क क्रांति एक्सप्रेस को फूंक दिया. पुलिस यहां कुछ नहीं कर सकी, ट्रेन में सवार यात्री जान बचाकर भागे हैं. इस तरह से एक अच्छी खासी ट्रेन आग के हवाले कर दी गई. ट्रेन में लूट पाट भी हुई है. पेंट्री कार के भीतर कुछ नहीं बचा है. समस्तीपुर स्टेशन पर गुस्साई भीड़ हाथ में डंडे लेकर प्लेटफार्म को अपने कब्ज़े में ले चुकी थी और बेखौफ गाड़ियों के शीशे तोड़ रही थी. लखीसराय में दो दो ट्रेनों में आग लगा गई. जनसेवा एक्सप्रेस और विक्रमशीला एक्सप्रेस की बोगियां जलती रहीं. गुस्साए नौजवानों ने उस रेल पर ही हमला बोल दिया जिसमें भर्ती होने का सपना देख रहे होते हैं. लखीसराय में हिंसा के आरोप में बीस लोग गिरफ्तार हुए हैं. हाजीपुर बरौनी रेलखंड के मोहिउद्दीनगर में भी जम्मूतवी गुवाहाटी एक्सप्रेस में आग लगा दी गई. ट्रेन की दो बोगी खाक हो गई. मोहिउद्दीन नगर से काफी लोग सेना में जाते हैं. इस तरह बिहार और झारखंड के कई इलाके हिंसक और उग्र प्रदर्शनों की भेंट चढ़ गए.

नालंदा में भी हटिया-इस्लामपुर ट्रेन की बोगियों को फूंक दिया गया. पालीगंज में बस जला दी गई. पुलिस की गाड़ी जला दी गई. कहीं रेल मार्ग जाम किया गया तो कहीं पर सड़क मार्ग. बरौनी से लेकर बेगूसराय तक कई इलाकों में प्रदर्शन हुए. आरा में पहले दिन स्टेशन पर भारी उत्पात मचाने के बाद आज सड़क पर प्रदर्शन हुआ है. सुपौल बिहिया, अरवल, बक्सर,डुमरांव में भी रेलवे ट्रैक को जाम किया गया. आरा के कुल्हड़िया में सासाराम पैसेंजर ट्रेन में आग लगा दी गई. दो बोगियां जल कर खाक हो गई. सासाराम में कुम्हऊ स्टेशन के पास डोरियाव गुमटी पर रेलवे के सिग्नल सिस्टम में भी आग लगा दी गई. यहां की सड़कों पर छात्र पुश-अप कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते रहे. सासाराम से यह भी खबर है कि पुलिस पर भी गोली चली है. शिवसागर थाने का एक जवाब दीपक कुमार सिंह के पैर में गोली लगी है. पलामू, जमुई, लोहरदग्गा और बोकारो में भी प्रदर्शन हुआ है और रेल-रोड जाम किया गया

बिहार आज बेकाबू हो गया.16 जून की हिंसा से ही संकेत मिल गए थे फिर भी जिस तरह से पुलिस बेबस नज़र आई उससे यही लगता है कि सेना की भर्ती करने वाले युवाओं पर सख्ती करने से बचा जा रहा था. यह सही निर्णय हो सकता है लेकिन उनकी नाराज़गी बता रही है कि सरकार उनके गुस्से को कम समझ रही है. अभी भी सरकार को लगता है कि युवा अग्निपथ नाम की महान योजना को नहीं समझे हैं, किसान आंदोलन के समय कहा गया कि किसान नहीं समझ रहे हैं, अग्निपथ के समय भी कहा जा रहा है कि युवा नहीं समझ रहे हैं जबकि युवा और किसान दोनों ही नोटबंदी काफी अच्छे से समझ गए थे. जो समाज नोटबंदी समझ सकता है वो अग्निपथ नहीं समझ पा रहा है, इसका मतलब है कि समझाने की कोशिशों में कुछ कमी है. 

सूचना प्रसारण मंत्रालय ने बताया था कि 24 साल की उम्र में 12 लाख होंगे लेकिन अब भाजपा सांसद राज्यवर्धन राठौड़ कह रहे हैं कि 20 लाख होंगे. बहुत सुंदर तर्क है, जिनकी नौकरी चार साल या चार से अधिक की हो चुकी है और जिनके खाते में 12 या 20 लाख जमा हो चुके हैं, इस वीडियो को सुनते ही भूतपूर्व होने का अभूतपूर्व सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं, इस्तीफा दे सकते हैं. सरकार ने ऐसी दलीलों से लैस प्रचार सामग्रिया ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर फैला दी हैं. अग्निपथ के लॉन्च होने के ऐतिहासिक दिन 14 जून को गृहमंत्री अमित शाह ने चार ट्विट कर इसे क्रांतिकारी पहल बताया था. अमित शाह ने इस क्रांतिकारी योजना के लिए मोदी जी का धन्यवाद भी किया है. अगर ट्रेन की पटरियों पर प्रदर्शन कर रहे इन युवाओं को किसी तरह ट्विटर पर लाया जाए, तो यहां मौजूद सामग्रियों से उन्हें अग्निपथ  के फायदे का अवश्य पता चल जाएगा. अग्निपथ के फायदे बताने में गोदी मीडिया भी मेहनत कर रहा है लेकिन आंदोलनकारी सड़क पर होने के कारण नहीं देख पा रहे होंगे. एक बार देख लेंगे, उन्हें अपने किए पर पछतावा होगा कि ऐसी शानदार स्कीम को समझने का मौका गंवा कर वे प्रदर्शन करते रहे, अपनी ही रेलगाड़ी जलाते रहे. 

कोरोना के कारण दो साल से सेना में भर्तियां बंद थी मगर कोरोना के कारण दो साल में कई सौ चुनावी रैलियां होती रहीं. यूपी चुनाव के वक्त केंद्रीय मंत्री संजीव बलियान ने पत्र तक लिखा कि भर्ती शुरू हो और जिन नौजवानों की उम्र समाप्त हो चुकी है, उन्हें एक दो चांस मौका दिया जाए. गौंडा की रैली में राजनाथ सिंह ने जब आश्वासन दे दिया था तब उसे पूरा करने में देरी क्यों की गई?

यूपी चुनाव में इन युवाओ ने बीजेपी को खूब वोट किया लेकिन तब भी उनकी मांग नहीं मानी गई. क्या यह अजीब नहीं है कि जो फैसला रक्षा मंत्रालय को करना चाहिए था या अभी तक कर लेना चाहिए था उस फैसले के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन तीन ट्विट कर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दे रहे हैं, लिख रहे हैं कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर अग्निवीर की भर्ती में इस बार के लिए उम्र सीमा 23 साल की जा रही है. यह छूट उनके लिए है जो भर्ती बंद होने के कारण ओवर एज हो गए थे. एक साल से देश भर में उम्र सीमा में छूट को लेकर युवा प्रदर्शन कर रहे हैं, तब फैसला क्यों नहीं हुआ, दैनिक भास्कर ने कुछ महीने पहले अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि केवल सीकर और झुंझुनूं में तैयारी करने वाले एक लाख से अधिक छात्र ओवर एज हो गए हैं. अब जाकर हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार ने झट से उनकी मांग मान ली.  नई अग्निवीर भर्ती में उम्र सीमा में छूट दी जा रही है. एक बार के लिए 21 से बढ़ाकर 23 साल की जा रही है.

कमाल है, देरी से लिया गया निर्णय भी संवेदनशील निर्णय कहलाता है तो फिर असंवेदनशील निर्णय की परिभाषा क्या होगी. क्या इसी तरह की छूट UPSC की परीक्षा देने वाले छात्रों को मिलेगी, जो अपनी इस मांग को लेकर कोर्ट गए, कई बार इन छात्रों ने भी प्रदर्शन किया, तब क्या माना जाए कि प्रधानमंत्री ने निर्देश नहीं दिया इसलिए छूट नहीं मिली, इनके मामले में तो कार्मिक मंत्रालय पर संसद की स्थायी समिति ने भी एक मौका देने का सुझाव दिया था, तब भी सरकार ने UPSC के उम्मीदवारों को एक और बार का चांस नहीं दिया. सरकार को लगा था कि अग्निवीर योजना में एक बार के लिए 23 साल तक उम्र बढ़ा देने से आंदोलन थम जाएगा लेकिन आज तो यह और भी उग्र हो गया. बिहार में रेल और बसें ही नहीं बल्कि बीजेपी नेताओं के घर और पार्टी दफ्तर को भी युवाओं ने निशाने पर ले लिया.

संजय जायसवाल बेतिया से सांसद और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. जिस बेतिया से संजय जायसवाल कई चुनाव जीत चुके हैं. वहां पर उनके घर पर हमला हुआ है. गेट को तोड़ने का प्रयास हुआ है और शीशे तोड़ दिए हैं. एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ है. बाद में एसपी ने भीड़ को खदेड़ा लेकिन उसी बेतिया में बीजेपी की विधायक और बिहार की उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के घर पर भी हमला कर दिया गया. उस वक्त घर के भीतर कई लोग थे, पुलिस ने तुरंत ही प्रदर्शनकारियों पर काबू पा लिया और उन्हें खदेड़ दिया. यही नहीं बेतिया में बीजेपी के कार्यालय पर भी हमला हुआ है. बेतिया शहर में भी कई जगह हिंसा हुई है. सैकड़ों गाड़ियों के शीशे तोड़ डाले गए हैं. बीजेपी के विधायक विनय विहारी की गाड़ी पर भी हमला हुआ है. बगहा के बीजेपी कार्यालय में प्रदर्शनकारी घुस गए और तोड़फोड़ करने लगे. चीज़ सामान निकाल कर फेंकने लगे. बगहा बेतिया से सटा है. सासाराम में भी बीजेपी के कार्यालय पर हमला हुआ है. प्रदर्शनकारी कार्यालय में घुसकर तोड़फोड़ करने लगे. समस्तीपुर में बीजेपी युवा मोर्चा के नेता के घर पर हमला हुआ है. लखीसराय में भी बीजेपी कार्यालय में खिड़की के शीशे तोड़ डाले गए, बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भी चोटें आई हैं. मधेपुरा में भी भाजपा कार्यालय पर सैंकड़ों युवाओं ने हमला कर दिया. पुलिस नज़र आई मगर भीड़ से कम. 16 जून को नवादा में बीजेपी के कार्यालय में आग लगा दी गई थी, विधायक की गाड़ी तोड़ दी गई और फिर से नवादा में पुलिस की गाड़ी जला दी गई है. यही कारण है पटना में बीजेपी के दफ्तर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. 

जगह-जगह तिरंगा लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी हुए हैं, इन युवाओं के चार साल बाद कॉरपोरेट में सिक्योरिटी गार्ड का सपना दिखाया जा रहा है. क्या सरकार बता सकती है कि किसी कॉरपोरेट में तैनात कितने सिक्योरिटी गार्ड को महीने का 21000-31000 वेतन होता है? क्या सरकार को नहीं पता कि सिक्योरिटी गार्ड की सैलरी कितनी कम होती है? किस राज्य में इन्हें 21000 की सैलरी मिलती है? न्यूनतम मज़दूरी के हिसाब से कहीं आठ हज़ार तो कहीं 16000 की सैलरी मिलती है. हाउसिंग सोसायटी के गेट पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड की सैलरी पूछ कर आइये?  क्या सेना में चार साल ट्रेनिंग लेकर ये नौजवान 15000 की सैलरी पर काम करेंगे? जब कौशल विकास के लिए 2015 से स्किल इंडिया चल रही है तो उसके रहते सेना को कौशल विकास का ट्रेनिंग सेंटर क्यों बनाया जा रहा है?

दो दिनों से हिंसा हो रही है, सरकार ट्विटर के ज़रिए युवाओं से बात कर रही है, युवाओं को समझना चाहिए कि कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री या कृषि मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस  कर लॉन्च नहीं किया था. उनकी घोषणा की गई थी. पहले अध्यादेश आया था तब जाकर किसानों को पता चला था.

अग्निपथ योजना को लॉन्च करने के लिए प्रेस कांफ्रेंस की तस्वीर फिर से देखिए. देश की रक्षा सेवा से जुड़े 3 सर्वोच्च अधिकारी और प्रमुख शामिल हुए थे. रक्षा मंत्री, तीन सेना प्रमुख और सैन्य मामलों के अतिरिक्त सचिव. अगर अग्निपथ योजना वापस ली गई तो क्या इससे सेना को शर्मिंदगी नहीं होगी? सेना की पहचान पीछे हटने की नहीं होती. आगे बढ़ने की होती है. अगर यह योजना वापस ली गई तो सेना प्रमुखों की बात ख़ाली चली जाएगी. कृषि कानूनों की तरह अग्नि पथ योजना का वापस लिया जाना आसान नहीं होगा. सरकार पर आरोप लगेगा कि बिना सोचे समझे एक योजना बनाई और उसे सेना प्रमुखों के हाथों लॉन्च करा दिया. जिस तरह से मंत्री अग्निपथ के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दे रहे हैं, बाद में नहीं कह सकते कि फैसला केवल सेना प्रमुखों का था.

संदेश साफ और सख़्त है. अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी. नया दौर आ गया है. युवाओं ने एक गलती की है. हिंसा से बचना चाहिए था. हिंसा का स्केल इतना व्यापक था कि बहुत मुश्किलों से पुलिस ने हालात संभाला है, बेशक पुलिस कम पड़ गई. पुलिस की कार्रवाई से लगता है कि आज बिहार और यूपी में संयम और विवेक से काम लिया गया है.

यमुना एक्सप्रेस वे पर अलीगढ़ के पास टप्पल में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी पहुंच गए. पुलिस की मौजूदगी के बाद भी यमुना एक्सप्रेस वे पर रोडवेज़ की चार-चार बसों को क्षतिग्रस्त कर दिया. किसी में आग लगा दी तो किसी को पलट दिया. क्या इन युवाओं में योगी की पुलिस का डर खत्म हो गया है, कई घंटों तक यहां जाम रहा हालात काबू में आई तो गुस्साए नौजवान टप्पल के जट्टारी चौकी पहुंच गए और वहां हिंसा और आगजनी मचा दी. पुलिस की गाड़ी भी जला दी गई है. यहां पुलिस के सर्किल अफसर राकेश सिसौदिया को भी चोट लगी है, कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. अटारी पंचायत के चेयरैन और भाजपा नेता राजपाल सिंह की स्कॉर्पियो गाड़ी भी जला दी गई है.
मथुरा में नेशनल हाईवे नंबर दो से जाम हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे हैं. यहां भी वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया है. यात्रियों को चोटें आई हैं. आगरा में भी सड़क जाम किया गया है. पूरब में बलिया में भी प्रदर्शनकारी रेलवे ट्रेक पर पहुंच गए और हिंसा करने लगे. यहां भी रेल कोच में आग लगा दी गई. शहर के भीतर भी युवकों ने पथराव किए हैं. बलिया की ज़िलाधिकारी सौम्या अग्रवाल ने बताया है कि सौ उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है. ऐसा लगता ही नहीं कि इन्हें बुलडोज़र का कोई खौफ है, क्या यूपी पुलिस दो दिनों के भीतर इस तरह हिंसा करने वालों के घर पर बुलडोज़र लेकर जाएगी, इनकी तस्वीरों के पोस्टर शहरों में लगाएगी, आखिर ये कैसे है कि इन युवाओं में हिंसा को लेकर कोई डर नहीं है. बलिया की घटना को देखते हुए चंदौली में पुलिस सतर्क हो गई. आसपास के रेलवे स्टेशन पर मार्च करने लगी. बहुत सारे प्रदर्शनकारी अपना चेहरा ढंक कर आए थे. डंडा लेकर आए थे. बनारस में एक जगह जमा होने से रोका गया तो राह चलते जो भी सरकारी वाहन मिला, उस पर हमला करने लगे. रोडवेज़ के स्टैंड पर आकर दर्जनों बसों को क्षतिग्रस्त कर दिया.

हिंसा करने वालों की भीड़ में दूसरे लोग भी हो सकते हैं लेकिन इससे यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि हिंसा की आग दूसरे लोगों से फैली है. जो विपक्ष अपने प्रदर्शनों में पांच सौ लोगों को नहीं जुटा पाता है, उसके सर साज़िश का सेहरा बांधने से पहले युवाओं से संवाद करना चाहिए. 

हरियाणा में आज किसानों के नेता गुरनाम सिंह ने युवाओं के आंदोलन को सपोर्ट कर दिया है. रोहतक में धारा 144 लगी है, इसके बाद भी ट्रैक्टरों में सवार होकर प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के दफ्तर को घेर लिया. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी रोहतक की सड़कों पर भर गए. जींद जिले के नरवाना, महेंद्रगढ़ और बल्लभगढ़ में भी प्रदर्शन हुआ है. हरियाणा में बिहार की तरह हिंसा नहीं हुई है. फरीदाबाद में मोबाइल और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. पलवल में भी इंटरनेट सेवा बंद की गई है. राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि हिंसा आगजनी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. सभी की सूचियां बनाई जा रही हैं.

उत्तर भारत के साथ-साथ अग्नि पथ का विरोध तेलंगाना में भी पहुंच गया है. वहां भी ट्रेन जला दी गई है. मध्य प्रदेश में भी ग्वालियर और इंदौर में प्रदर्शन हुए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि राज्य में पुलिसभर्ती में वो अग्निवीरों को प्राथमिकता देंगे ये बयान तब आया है, जब पूर्व फौजी पुलिसभर्ती में 10 फीसद कोटा ना मिलने पर आंदोलन कर रहे हैं कोर्ट में जा चुके हैं.

पिछले शुक्रवार को प्रदर्शनों के दौरान जो हिंसा हुई, और इस शुक्रवार को जो हिंसा और आगजनी हुई है, दोनों के कवरेज में अगर आप गोदी मीडिया और हाफ गोदी मीडया की भाषा देखेंगे तो काफी अंतर आएगा. पिछले शुक्रवार को हिंसा और पत्थरबाज़ी की घटना की खबर आते ही तुरंत आतंकवादी से लेकर उग्रवादी का इस्तेमाल किया जाने लगा, इस शुक्रवार को काफी संभव के उपद्रवी का इस्तेमाल हुआ. ज़्यादातर जगहों पर आंदोलनकारी और प्रदर्शनकारी का ही इस्तेमाल हुआ. 

एक समुदाय को लेकर गोदी मीडिया कितनी आसानी से आतंकवादी से उग्रवादी लिख डालता है लेकिन उसी तरह की हिंसा में एक समुदाय के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता, आतंकवादी की जगह आगजनी और बवाल का प्रयोग करता है. वाकई ये शुक्रवार भाषा में लोकतंत्र और उदारता का शुक्रवार है. 

सेना में भर्ती की तैयारी करने वाले युवा हिंसा के ज़रिए खुद को अलग-थलग कर रहे हैं, हिंसा करने से सारी बहस हिंसा को लेकर होने लगेगी, इससे उन्हीं का नुकसान होगा. अग्निपथ योजना का विरोध ही करना है तो शांति का रास्ता बेहतर होगा वर्ना मुकदमों और पुलिस की सख्ती में फंसते चले जाएंगे. बिहार में 18 जून राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों ने बंद का एलान किया है. तेजस्वी यादव ने ट्विट के ज़रिए सवाल पूछा है कि चार साल के ठेके पर बहाल होने वाले अग्निवीरों को एक साल में क्या 90 दिनों की छुट्टियां मिलेंगी या नहीं?

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अग्निपथ योजना आ चुकी है और रहेगी. युवाओं को हिंसा का रास्ता छोड़ना पड़ेगा. अभी तक किसी ने उनकी पहचान कर उनके घर पर बुलडोज़र चलाने की बात नहीं की है, यह कम बड़ी बात नहीं है. बल्कि पुलिस अफसर कह रहे हैं कि अपने ही बच्चे हैं. इतनी हिंसा के बाद आपको इतना प्यार मिल रहा है, यह काफी है कि आप हिंसा छोड़ दें.