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This Article is From Jul 03, 2020

पासवान कहते हैं 2.13 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को अनाज दिया, BJP कहती है 8 करोड़

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 03, 2020 13:43 pm IST
    • Published On जुलाई 03, 2020 13:43 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 03, 2020 13:43 pm IST

16 मई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सभी राज्यों ने जो मोटा-मोटी आंकड़े दिए हैं उसके आधार पर हमें लगता है कि 8 करोड़ प्रवासी मज़दूर हैं जिन्हें मुफ्त में अनाज देने की योजना का लाभ पहुंचेगा. केंद्र सरकार इसका ख़र्च उठाएगा. राज्यों से पैसे नहीं लेगी. इसके लिए सरकार 3500 करोड़ ख़र्च करेगी. अगले दो महीने में. प्रवासी मज़दूर लौट रहे हैं, बहुत कम हैं जो वापस जा रहे हैं, इसलिए हम कह रहे हैं कि अगले दो महीने तक चाहे कार्ड हो या न कार्ड हो, हर प्रवासी मज़दूर को मुफ्त में चावल या गेहूं और एक किलो ग्राम चना दिया जाएगा.

1 जुलाई को 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों के बारे में जब सवाल किया गया तब केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और उनके बाद उनके सचिव ने ये जवाब दिया. 

पासवान- अभी पांच महीने सिर्फ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को बढ़ाने का फैसला हुआ है. जहां तक बिना राशन कार्ड वाले 8 करोड़ माइग्रेंट वर्कर की बात है, कई राज्य बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मज़दूरों के लिए अनाज नहीं मांग रहे हैं क्योंकि वो वापस जा चुके हैं.आंध्र, तेलंगाना जैसे राज्यों ने हमें बताया है कि उन्हें माइग्रेंट वर्कर के लिए अलग से अनाज की ज़रूरत नहीं है.

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे - बिना राशन कार्ड वाले 8 करोड़ माइग्रेंट वर्कर वाला फिगर एक लिबरल एस्टिमेट था. राज्यों ने 2.13 करोड़ माइग्रेंट वर्कर को ही अनाज दिया है. इसलिए बिना राशन कार्ड वाले माइग्रेंट वर्कर का टारगेट रिवाइज़ हो गया है. 12 राज्यों ने जो लक्ष्य था इस मामले में, इसेस 1 प्रतिशत से भी कम अनाज प्रवासी मज़दूरों में वितरित किया. 

इन जवाबों से कई सवाल बनते हैं लेकिन फिलहाल आप इतना ही मान लें कि 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को मुफ्त में 5 किलोग्राफ चावल और एक किलोग्राम चना देने का एलान हुआ था. दिया गया 2.13 करोड़ को. अगर कोई सवाल नहीं करता तो सरकार खुद से बताती भी नहीं.  

लेकिन एक जुलाई को ही बीजेपी ट्विट करती है. बैनर पोस्टर पर प्रधानमंत्री की तस्वीर लगी है. इस पोस्टर पर लिखा है कि आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को 8 लाख मीट्रिक टन खाद्धान्न का किया जा रहा है वितरण 1.96 करोड़ प्रवासी परिवारों को 39000 मीट्रिक टन दालों की आपूर्ति की जा रही सुनिश्चित. प्रवासियों को प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान और प्रति परिवार एक किलो दाल का फ्री में हो रहा है वितरण. 

मोदी जी वाले पोस्टर में कहा गया है कि 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को अनाज दिया जा रहा है. लेकिन दाल सिर्फ 1.96 करोड़ प्रवासी परिवारों को दी जा रही है. ये अंतर क्यों हैं ? क्या सब को दाल नहीं मिली? मोदी जी के मंत्री कहते हैं कि 8 करोड़ प्रवासी मज़दूर अनुमानित संख्या थी. सिर्प 2.8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को अनाज दिया गया. लेकिन मोदी जी अपने पोस्टर में 8 करोड़ की संख्या बताते हैं.  सभी को पता है कि इन सब बातों पर किसी की नज़र पड़ेगी नहीं. लेकिन क्या बीजेपी को सही आंकड़े नहीं बताने चाहिए?

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